अंतरराष्ट्रीय

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने चीन पर मतभेदों को नकारा
31-May-2021 7:37 PM
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने चीन पर मतभेदों को नकारा

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि चीन उनके और न्यूजीलैंड के बीच दरार डालने की कोशिश कर रहा है. दोनों देशों ने चीन में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है.

(dw.com)

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुई सालाना बातचीत में चीन सबसे बड़ा मुद्दा रहा है. दोनों देशों के बीच चीन के साथ निपटने के मुद्दे को लेकर मतभेद उबरने के बाद तनाव पैदा हो गया था. हालांकि ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर आईं न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने कहा कि वह वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन में चीन के खिलाफ कार्रवाई में ऑस्ट्रेलिया का साथ देंगी.

जब पत्रकारों ने न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या उनका देश चीन के नजदीक जा रहा है, तो आर्डर्न ने कहा, "हमारी बातचीत के दौरान किसी भी वक्त हमारे इस रुख में फर्क नजर नहीं कि व्यापार और मानवाधिकारों के मुद्दे पर एक उसूलन मजबूत रवैया होना चाहिए. मोटा-मोटी हम इन मुद्दों पर लगभग एक ही जगह खड़े हैं."

चीन पर मतभेद खुलेआम नहीं

चीन में मानवाधिकारों के उल्लंघन की निगरानी के लिए "फाइव आइज अलायंस" का इस्तेमाल करने को लेकर न्यूजीलैंड ने पहले ही झिझक जाहिर कर दी थी. फाइव आइज अलायंस पांच अंग्रेजी भाषी देशों अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का एक गठबंधन है जो सूचनाएं एक दूसरे से साझा करते हैं. अप्रैल में न्यूजीलैंड ने कहा था कि वह इस गठबंधन के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं है और एक स्वतंत्र एजेंसी को प्रयोग करने के हक में है.

न्यूजीलैंड के इस रुख को चीन के सरकारी मीडिया ने नरम बताते हुए सराहा था. इस बारे में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने एक सवाल के जवाब में चीन का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ हैं जो दोनों देशों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम दोनों के बीच मतभेद पैदा करके कुछ ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की सुरक्षा को नकुसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे जबकि मतभेद नहीं हैं. वे जो यहां से बहुत दूर हैं, हमें बांटने की कोशिश करेंगे. वे कामयाब नहीं होंगे."

दोनों नेताओं ने मीडिया के सामने एकजुटता दिखाई और खासकर कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच के मसले पर चीन पर दबाव बढ़ाने की बात कही. उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ को सूचनाएं उपलब्ध कराने को लेकर चीन पर दबाव बनाए जाना वे जारी रखेंगे. मॉरिसन ने कहा कि इस जांच का अंतरराष्ट्रीय राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और इस महामारी की जड़ तक पहुंचना इसलिए जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसा ना हो.

इसके अलावा व्यापार के मामले पर भी दोनों ने एक दूसरे का पक्ष लिया. पिछले हफ्ते ही न्यूजीलैंड ने कहा था कि वह डब्ल्यूटीओ में चीन के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की कार्रवाई में शामिल होगा. ऑस्ट्रेलिया ने जौ के आयात पर चीन के कर बढ़ाने के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में अपील कर रखी है.मानवाधिकार उल्लंघन पर चिंता

न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के नेता करीब 15 महीने बाद मिल रहे थे. हालांकि दोनों ही देशों के लिए चीन एक अहम देश है क्योंकि दोनों का वह सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. लेकिन मानवाधिकारों के मामले पर मॉरिसन और आर्डर्न ने चीन को आड़े हाथों लिया. हांग कांग के अलावा चीन के शिनजियांग प्रांत में भी मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर दोनों ने चिंता जताई.

एक साझा बयान में दोनों नेताओं ने चीन से उइगुर और अन्य मुस्लिम समुदायों के मानवाधिकारों के सम्मान का आग्रह किया. उन्होंने शिनजियांग इलाके में संयुक्त राष्ट्र और अन्य स्वतंत्र एजेंसियों को बेरोकटोक आने-जाने की इजाजत देने की भी मागं उठाई. चीन शिनजियांग में उइगुर मुसलमानों के किसी तरह के उत्पीड़न को नकारता रहा है जबकि कई मीडिया और मानवाधिकार रिपोर्ट्स में ऐसी बात कही गई है कि हजारों उइगुर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत कैंपों में रखा गया है. चीन ने हाल के महीनों में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कड़े व्यापारिक फैसले लिए हैं. जौ, वाइन और बीफ जैसे कई ऑस्ट्रेलियाई उत्पादों के आयात पर चीन ने कड़ी पाबंदियां लगा दी हैं. जौ के मामले पर तो विश्व व्यापार संगठन दोनों देश आमने सामने हैं.

वीके/एए (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)

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