अंतरराष्ट्रीय
इसराइल ने पिछले दिनों ग़ज़ा पर हमले के दौरान एक ऐसी इमारत पर हमला किया था, जहाँ मीडिया के दफ़्तर थे. इसराइली सेना प्रमुख ने उस हमले के बारे में कुछ बातें कही हैं, लेकिन इसराइल के रक्षा मंत्री ने इससे अपने आपको अलग कर लिया है.
ये हमला 15 मई को हुआ था, जिसमें इसराइल ने एक हवाई हमला कर एक बहुमंज़िला इमारत को ध्वस्त कर दिया था. इस इमारत में समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस और अल-जज़ीरा मीडिया समूह समेत अन्य विदेश न्यूज़ चैनलों के दफ़्तर थे.
इस हमले की व्यापक निंदा हुई थी.अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने भी तब ट्वीट कर कहा था कि उसने 'सीधे तौर पर इसराइल से कहा है कि सभी पत्रकारों और स्वतंत्र मीडिया की सुरक्षा सुनिश्चित करना उसकी अहम ज़िम्मेदारी है'.
लेकिन समाचार एजेंसी एपी के अनुसार इसराइली सेना प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल अवीव कोशावी ने इस सप्ताहांत छपे एक लेख में लिखा है कि "इमारत को गिराना जायज़" था और उन्हें "रत्ती भर अफ़सोस" नहीं है.
चैनल 12 न्यूज़ की वेबसाइट पर छपे लेख में दावा किया गया है कि फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास जाला टावर की कई मंज़िलों का इस्तेमाल "इलेक्ट्रॉनिक युद्ध" में करता था, जिनसे वो इसराइली वायुसेना के जीपीएस संपर्क को बाधित करना चाहता था.
लेख में ये भी कहा गया है कि जनरल कोशावी ने "एक विदेशी सूत्र" को बताया कि एपी के पत्रकार हर सुबह इमारत के प्रवेश पर बने कैफ़ेटेरिया में हमास के इलेक्ट्रॉनिक्स जानकारों के साथ कॉफ़ी पीते थे, हालाँकि ये नहीं मालूम कि उनको इसकी जानकारी थी या नहीं.
इसराइल के एक वरिष्ठ खोजी पत्रकार ने इस लेख का ज़िक्र करते हुए ट्वीट किया है कि "इसराइली सेना प्रमुख ने कहा कि इमारत को गिराना एक सही फ़ैसला था और अगर ज़रूरत पड़ती तो वो फिर से उसपर फिर हमला करते."
एपी के अनुसार इस बारे में सोमवार को इसराइल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सैन्य प्रमुख केवल हालात की बात कर रहे थे.
इसराइली रक्षा मंत्री ने विदेशी पत्रकारों से कहा, "सैन्य प्रमुख जब इस बारे में कह रहे थे तो वो बस माहौल को समझाना चाह रहे थे, असल पहलुओं को नहीं बता रहे थे."
हालाँकि रक्षा मंत्री ने फिर आरोप लगाया कि "उस इमारत में मौजूद दफ़्तरों में हमास के ठिकाने थे जहाँ से वो काम करते थे."
एपी पत्रकारों के हमास के लोगों से बात करने के बयान के बारे में पूछे जाने पर रक्षा मंत्री ने कहा, "सैन्य प्रमुख ने बस ऐसी मुलाक़ातों की संभावनाओं के बारे में कहा था जहाँ हमास आम नागरिकों में मिल कर आम लोगों की इमारतों का सैन्य मक़सद से इस्तेमाल करता है."
मीडिया दफ़्तरों पर हमला
इसराइल और फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच पिछले महीने 11 दिन तक ज़बरदस्त संघर्ष हुआ था, जिसमें फ़लस्तीनी गुट हमास इसराइली इलाक़ों पर रॉकेट हमले करता था और इसराइल अपने सैन्य विमानों से ग़ज़ा में निशाने लगाता था.
इसी दौरान 15 मई को इसराइली सेना ने ग़ज़ा पट्टी में जाला टावर नाम की एक इमारत पर हमला कर उसे गिरा दिया था.
इसराइली सेना ने हमले से पहले इमारत के लोगों को वहाँ से हटने के लिए केवल एक घंटे का नोटिस दिया था.
हमले में इमारत ज़मींदोज़ हो गई थी, लेकिन इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था.
एपी ने कहा है कि उन्हें इमारत में हमास के होने की कोई जानकारी नहीं थी. उसने इस घटना की स्वतंत्र जाँच कराए जाने की माँग की है और इसराइल से आग्रह किया है कि वो इस बारे में उसके पास उपलब्ध ख़ुफ़िया जानकारी को सार्वजनिक करे.
इसराइली रक्षा मंत्री ने कहा है कि उन्होंने ये जानकारियाँ अमेरिका सरकार के साथ साझा की हैं.
लेकिन उन्होंने ऐसा संकेत दिया कि इसराइल का इस जानकारी को सार्वजनिक करने का कोई इरादा नहीं है.
हमले के बाद अल-जज़ीरा ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया था. संगठन के कार्यवाहक महानिदेशक डॉक्टर मुस्तफ़ा स्वेग ने तब कहा, "ग़ज़ा में मौजूद अल-जाला टावर पर हमला करना, जिसमें अल जज़ीरा और दूसरे मीडिया संस्थानों के दफ्तर थे, मानवाधिकारों का उल्लंघन है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे युद्ध अपराध माना जाता है."
अल जज़ीरा ने तब एक बयान जारी कर कहा था कि इसराइल सरकार के इस क़दम का मक़सद मीडिया संस्थानों को ख़ामोश करना और ग़ज़ा में जो हो रहा है, उसे दुनिया के सामने न आने देना है. (bbc.com)