अंतरराष्ट्रीय
इस्राएल में विपक्षी दल सरकार बनाने के काफी करीब पहुंच गए हैं और उन्होंने राष्ट्रपति को समझौते के बारे में सूचित कर दिया है. यानी प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू का लंबा कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है.
बुधवार को इस्राएल के विपक्षी दल के नेता राष्ट्रपति को सूचित किया कि उनका गठबंधन सरकार बनाने के लिए तैयार है. विपक्षी दलों के पास बुधवार आधी रात तक का ही समय था. समयसीमा खत्म होने से 35 मिनट पहले मध्यमार्गी नेता याइर लैपिड ने राष्ट्रपति रोएवन रिवलिन को एक ईमेल भेजी, जिसमें लिखा था, "मैं आपको सूचित करते हुए बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि मैं सरकार बनाने में सफल हो गया हूं.”
राष्ट्रपति रिवलिन उस वक्त इस्राएली फुटबॉल कप के फाइनल मैच में थे. उनके दफ्तर के मुताबिक उन्होंने फोन कर लैपिड को बधाई दी. लैपिड के मुख्य सहयोगी दक्षिणपंथी नेता नफ्ताली बेनेट हैं. दोनों नेताओं के बीच बारी-बारी से प्रधानमंत्री बनने का समझौता हुआ है. पहले बेनेट दो साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे. उसके बाद पूर्व टीवी होस्ट और वित्त मंत्री, 57 वर्षीय लैपिड प्रधानमंत्री बनेंगे.
इस गठबंधन में कई छोटे दल भी शामिल हैं, जो विभिन्न राजनीतिक विचारधारओँ का प्रतिनिधित्व करते हैं. मसलन, युनाइटेड अरब लिस्ट भी इस गठबंधन का हिस्सा है, जो देश की 21 प्रतिशत अरब आबादी का प्रतिनिधित्व करती है और पहली बार सरकार में शामिल हो रही है. इसके अलावा बेनेट की यामिना पार्टी है जो दक्षिणपंथी झुकाव रखती है जबकि रक्षा मंत्री बेनी गांत्स की ब्लू एंड वाइट वामपंथी झुकाव वाली पार्टी है. वाम दल मेरेत्स और लेबर पार्टी भी सरकार का हिस्सा होंगी. पूर्व रक्षा मंत्री अविग्दोर लिबरमान की राष्ट्रवादी यिसराएल बेतेनू पार्टी और पूर्व शिक्षा मंत्री दक्षिणपंथी गीडन सार की न्यू होप भी गठबंधन में शामिल हुई हैं.
बहुत मामूली बहुमत से बना यह नाजुक गठबंधन दो हफ्ते के भीतर शपथ लेने की तैयारी कर रहा है, जिस कारण नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के पास इसके सदस्यों को तोड़कर अपनी ओर मिलाने के लिए बहुत कम वक्त होगा. हालांकि, इस्राएल के राजनीतिज्ञ मानते हैं के नेतन्याहु हर संभव कोशिश करेंगे. इसमें उनके निशाने पर यामिना पार्टी के सांसद हो सकते हैं जो अरब और वामपंथियों के साथ समझौते से नाखुश हैं.
हारेत्स अखबार के राजनीतिक विश्लेषक आंशेल फेफर ने ट्विटर पर लिखा, "शांत रहिए. जब तक विश्वास मत पारित नहीं हो जाता तब तक नेतन्याहू प्रधानमंत्री हैं. और वह गठबंधन के मामूली बहुमत को तोड़ने में कोई कसर नहीं उठा रखेंगे. अभी यह मामला खत्म नहीं हुआ है.” 120 सदस्यों वाली इस्राएली संसद क्नेसेट में नेतन्याहू के पास 30 सीटें हैं यानी लैपिड की येश एतिद पार्टी से दोगुनी. और उनके पास कम से कम तीन अन्य धार्मिक और राष्ट्रवादी दलों का समर्थन भी है.
12 साल से प्रधानमंत्री पद पर काबिज नेतन्याहू ने सबसे लंबे समय तक इस दफ्तर में वक्त गुजारा है. हालांकि उन्हें देश और दुनिया में ध्रुवीकरण करने वाला नेता माना जाता है. 71 वर्षीय नेतन्याहू ने बेनेट-लैपिड गठबंधन को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था. लेकिन पिछले दो साल में चार बार चुनाव के बावजूद वह बहुतम जीतने में नाकाम रहे हैं. इस साल 23 मार्च को हुए चुनाव में भी उनके नाकाम होने के बाद मध्यमार्गी माने जाने वाले लैपिड ने सरकार बनाने का बीड़ा उठाया था. उन्होंने नेतन्याहू पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को मुद्दा बनाया और देश में ‘विवेक लौटाने' का आह्वान किया.
लैपिड ने ट्विटर पर लिखा, "यह सरकार सारे इस्राएली लोगों के लिए काम करेगी. जिन्होंने वोट दिया उनके लिए भी, और जिन्होंने नहीं दिया उनके लिए भी. यह अपने विपक्षियों का आदर करेगी और इस्राएल के सारे दलों को एक करने के हर संभव प्रयास करेगी.” यदि नई सरकार बनती है तो उसके सामने कूटनीतिक और सुरक्षा दृष्टि से कई बड़ी चुनौतियां होंगी. ईरान और फलस्तीन के साथ शांति वार्ता और अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में युद्ध अपराधों की जांच जैसे मोर्चों के अलावा घरेलू स्तर पर डगमगाती अर्थव्यवस्था और महामारी से निपटने के काम भी आसान नहीं होंगे. 2020 में इस्राएली सरकार पर कर्ज उससे पिछले साल के 60 फीसदी से बढ़कर 72.4 प्रतिशत हो गया है.
गठबंधन के लिए हुई बातचीत में शामिल एक सूत्र ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि सरकार वेस्ट बैंक जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बात ना करने की ही कोशिश करेगी ताकि वैचारिक मतभेदों को परे रखा जा सके. बेनेट कह चुके हैं कि ऐसे मुद्दों पर दोनों पक्षों को ही समझौते करने होंगे ताकि देश को वापस पटरी पर लाया जा सके.
वीके/ एए (एएफपी, रॉयटर्स)