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टोक्यो ओलंपिक: भारत की महिला हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज़ मेडल खोकर भी बहुत कुछ जीता है
06-Aug-2021 2:50 PM
टोक्यो ओलंपिक: भारत की महिला हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज़ मेडल खोकर भी बहुत कुछ जीता है

-मनोज चतुर्वेदी

भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक तो हासिल नहीं कर सकी, लेकिन उन्हों जिस दिलेरी से ग्रेट ब्रिटेन जैसी मजबूत टीम से संघर्ष किया, वह भुलाए नहीं भूलेगा.

भारत को इस मुकाबले में 3-4 से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन भारतीय महिला टीम के हिसाब से यह प्रदर्शन काबिल ए तारीफ़ है.

जिस टीम के बारे में क्वार्टर फ़ाइनल में स्थान बनाने में भी संशय व्यक्त किया जा रहा था, उस टीम ने ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम को हराकर ना सिर्फ सेमी फ़ाइनल में स्थान बनाया बल्कि आख़िर तक अपनी लड़ाई जारी रखी.

इस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन से भारतीय टीम बिग लीग टीमों में अपना नाम शुमार कराने में सफल हो गई है. वह नई रैंकिंग में छठे स्थान पर आ सकती है.

ब्रिटेन के तीसरे कवार्टर में बराबरी पाने के बाद भारत को आख़िरी 15 मिनट में जीत के लिए सबकुछ झोंक देने की ज़रूरत थी. मगर शायद टीम सामने वाली टीम के शुरुआत से ही दवाब बनाने की वजह से इस रणनीति पर काम नहीं कर सकी.

टीम इस क्वार्टर में काफ़ी समय बचाव में ही व्यस्त रही. वहीं, ब्रिटेन के ग्रेस बाल्सडन द्वारा चौथा गोल जमाने के बाद भारतीय खिलाड़ियों पर दवाब दिखने लगा. वो गेंद को ढंग से क्लियर नहीं कर पा रही थीं और हमले बनाते समय गेंद पर नियंत्रण बनाने में भी उन्हें दिक्क़त हुई.

भारत की यादगार वापसी
पहले 24 मिनट के खेल में ब्रिटेन की 2-0 की बढ़त और ग्रेट ब्रिटेन के लगातार हमलावर रहने से लग रहा था कि मैच का हश्र ग्रुप मुकाबले वाला ही होने वाला है. लेकिन दूसरे क्वार्टर के आख़िरी छह मिनट में भारतीय टीम एक अलग ही अंदाज़ वाली दिखी.

इस अंदाज़ को देखने से लगा कि भारत की क्वार्टर फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर जीत कोई तुक्का नहीं थी.

भारत ने इस दौरान हमले बनाकर अपने ऊपर से दवाब ही नहीं हटाया बल्कि पहले ड्रैग फ़्लिकर गुरजीत कौर के पेनल्टी कार्नर पर जमाए दो गोलों से बराबरी की और फिर वंदना कटारिया के शानदार गोल से मैच में पहली बार बढ़त बनाकर अपनी श्रेष्ठता साबित की.

दवाब में ब्रिटेन का डिफ़ेंस चरमराया

पहले 24 मिनट के खेल में ग्रेट ब्रिटेन की सही मायनों में सही परीक्षा नहीं हुई, लेकिन भारत ने जब दूसरे क्वार्टर के आखिरी छह-सात मिनट जब ताबड़तोड़ हमले बनाए तो डिफ़ेंस में कमज़ोरी साफ़ दिखाई दी.

ब्रिटेन के डिफ़ेंडर गेंद क्लियर करने में ग़लतियां करते नज़र आ रहे थे. वहीं, भारतीय हमलावरों ने पहले सीधा गोल जमाने के बजाय पेनल्टी कॉर्नर हासिल करने की रणनीति पर काम किया और उनकी यह रणनीति कारगर साबित हुई.

इस रणनीति की वजह से मिले पेनल्टी कॉर्नरों को भारत गोल में बदलकर पहले 2-2 की बररबरी की. बराबरी से बने टेंपो को भारत ने खत्म नहीं होने दिया और वंदना कटारिया के बनाए हमले में कम से कम तीन खिलाड़ियों तक गेंद पहुंचने के बाद वंदना को गेंद मिली और वह गोल जमाने में सफल रहीं. इस गोल ने भारतीय टीम के हौसले को दोहरा कर दिया.
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भारत का पहल को खोना
ब्रिटेन तीसरे क्वार्टर में बराबरी पाने के इरादे से हमलावर रुख़ अपनाने के इरादे से उतरी. वैसे उनके और सफलता के बीच सविता पूनिया डटी हुई थीं. लेकिन फिर भी ग्रेट ब्रिटेन को हमलावर रुख़ अपनाने का फ़ायदा मिला.

शायद इस दौरान दिखा कि भारत बढ़त का बचाव करने का इरादा रखता है. लेकिन यह सोच ग़लत साबित हुई और ग्रेट ब्रिटेन ने शुरुआत में ही गोल जमाकर स्कोर 3-3 कर दिया.

यह गोल ग्रेट ब्रिटेन की हौली पियने ने जमाया. इस दौरान भारत की खिलाड़ियों को पास देने के बजाय ज़रूरत से ज़्यादा अपने पास गेंद रखने की रणनीति से कई बार उनसे गेंद भी छिनी.

इसकी वजह से बने हमलों में भारतीय गोल पर ख़तरा भी बना. पर भला हो गोलकीपर सविता पूनिया के शानदार बचाव का, कम से कम छह निश्चित गोल के मौके रोके.

भारत ने मौके किए बर्बाद
तीसरे क्वार्टर के आख़िरी मिनट में भारत ने दाहिने फ़्लैंक से हमला बनाकर गोल पर गेंद डाली.

इस दौरान ब्रिटेन की खिलाड़ी के ख़िलाफ़ फ़ाउल होने पर भारत ने पेनल्टी कार्नर के लिए रेफ़रल मांगा और उन्हें पेनल्टी कॉर्नर मिला भी, लेकिन इस समय टीम की विशेषज्ञ ड्रैग फ़्लिकर गुरजीत कौर मैदान पर नहीं थी, इसलिए दीप ग्रेस एक्का ने सीधा शॉट लेने के बजाय वेरिएशन किया. पर आगे पहुंची खिलाड़ी गेंद को डिफ़्लेक्ट नहीं कर सकी और बढ़त लेने का मौका चला गया.

भारतीय टीम का आख़िरी क्वार्टर की शुरुआत में डिफ़ेंसिव रुख़ अपनाना मुश्किलें पैदा करने वाला रहा. इससे ब्रिटेन को बढ़त बनाने के लिए हमलावर रुख़ अपनाने में मदद मिली.

तीन पेनल्टी कार्नर पर बचाव करने के बाद चौथे पर ग्रेस बाल्सडन ने गोल जमाकर 4-3 की बढ़त बना ली.

पिछड़ने के बाद भारतीय खेल में फिर से तेज़ी नजर आने लगी और भारत ने बराबरी पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. इसकी वजह से कुछ मौके भी मिले, लेकिन ब्रिटेन बढ़त बनाने के बाद ज़्यादा भरोसे से खेलती नज़र आई और उसका यही रुख़ उसे पोडियम पर पहुंचाने वाला साबित हुआ.

शुरू में दिखा दवाब
भारतीय टीम के खेल की शुरुआत से लगा कि वह ग्रुप मुकाबले में 1-4 की हार की वजह से सतर्कता के साथ खेल रही है. भारत ने खेल की गति तेज़ न होने देने का प्रयास किया.

वह इस प्रयास में 6-7 मिनट तक काफ़ी हद तक सफल भी रहा, लेकिन जल्दी ही ब्रिटेन ने तेज़ हमले बनाने शुरू कर दिए और कई बार वह गोल जमाने के क़रीब पहुंची. लेकिन भारतीय डिफ़ेंस की मुस्तैदी और आख़िर में गोल पर चट्टान की तरह डटीं सविता पूनिया ने शानदार बचाव से भारतीय गोलपोस्ट को भिदने से बचाए रखा.

भारत को इस दवाब से निकलने के लिए थोड़ा आक्रामक रुख़ अपनाने की ज़रूरत थी. ऐसा करके ही वह ग्रेट ब्रिटेन को थोड़ा बचाव में उलझाकर उनके हमलों पर लगाम ला सकता था. भारत भाग्यशाली रहा कि इस क्वार्टर में उसका गोल नहीं भिदा.

पहले ही मिनट में ग्रेट ब्रिटेन ने दाहिने फ़्लैंक से हमला बनाकर भारतीय डिफ़ेंस की ग़लती से बढ़त बनाने में सफलता पा ली. यह गोल इलेना सियान ने जमाया.

उन्होंने दाहिने कोने से सर्किल में घुसकर गोल के सामने क्रॉस फेंका और वहां खड़ी भारतीय डिफ़ेंडर दीप ग्रेस एक्का के बचाव करने का प्रयास करने पर गेंद उनकी स्टिक से लगकर गोल में चली गई.

भारत के दवाब से निकलने के लिए ज़रूरी था कि गेंद को सर्कल से जल्द से जल्द क्लियर किया जाए. पर कई बार खिलाड़ी गेंद क्लियर करने में देरी करके अपने ही ऊपर दवाब बनाती रहीं. इससे ब्रिटेन को कई बार गेंद छीनकर हमला बोलने का मौका मिला.

भारतीय टीम का गियर बदलना कारगर

भारत ने दो गोल से पिछड़ने के बाद हमलों पर ज़ोर बांधना शुरू किया और इसका उन्हें फ़ायदा भी मिला. भारत के हमलावार रुख़ से ब्रिटेन के डिफ़ेंस में दरार दिखने लगी.

भारत ने दूसरे क्वार्टर के आख़िरी छह मिनट में दो हमलों में पेनल्टी कार्नर हासिल किए और दोनों को गुरजीत कौर ने गोल में तब्दील कर भारत को 2-2 की बराबरी पर ला दिया.

इस बढ़त से उत्साहित भारतीय टीम के खेल में एकदम से निखार दिखने लगा और वह पहली बार मैच में बढ़त बनाने में सफल हुई. (bbc.com)

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