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तालिबान से डोनाल्ड ट्रंप ने क्या बात की थी, ख़ुद ही बताया
29-Aug-2021 3:39 PM
तालिबान से डोनाल्ड ट्रंप ने क्या बात की थी, ख़ुद ही बताया

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक रेडियो कार्यक्रम में पुष्टि की है कि उनकी पिछले साल 'तालिबान के प्रमुख' से बात हुई थी.

यह प्रमुख कौन था, इसके बारे में वो साफ़-साफ़ नहीं बता सके लेकिन जब रेडियो शो के होस्ट ने उनसे पूछा कि वो मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि 'हाँ मैंने उनसे बात की थी.'

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने गुरुवार 26 अगस्त को कंज़रवेटिव टॉक रेडियो होस्ट ह्यू ह्यूवेट के कार्यक्रम में यह बात रखी.

उन्होंने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सुरक्षाबलों के लिए साल 2020 में जब बातचीत जारी थी तो उन्होंने यह बातचीत की थी.

मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर तालिबान के सह-संस्थापक और उपनेता हैं जबकि संगठन के नेता हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा हैं.

ट्रंप की मुलाक़ात कैसे तय हुई
रेडियो कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने मुल्ला बरादर से बात की थी और उन्होंने उनसे क्या कहा था? तो इस सवाल पर ट्रंप ने कहा कि उन्होंने मुल्ला बरादर को साफ़ और कड़े लफ़्ज़ों में कहा था कि अगर उन्हें (अमेरिका) नुक़सान पहुँचाया गया तो वो 'तालिबान को ऐसी चोट देंगे, जो घटना आज तक विश्व इतिहास में कभी नहीं हुई होगी.'

ट्रंप ने विस्तार से इस पर बात की और उन्होंने बातचीत की शुरुआत उत्तर कोरिया और किम जोंग उन से मुलाक़ात के मुद्दे से शुरू की.

उन्होंने कहा, "मेरी उनसे (तालिबान नेता) बातचीत तय कराई गई और लोग कह रहे थे कि आपको यह नहीं करना चाहिए. वैसे, मैंने उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन के साथ भी बातचीत तय की थी. हमारे (अमेरिका-उत्तर कोरिया) बीच कोई परमाणु युद्ध नहीं हुआ था. मैं अगर राष्ट्रपति न होता तो ओबामा की बात सच होती और हमारे बीच परमाणु युद्ध हो चुका होता."

"राष्ट्रपति ओबामा ने मुझसे कहा था कि हम उत्तर कोरिया के साथ परमाणु युद्ध की ओर जा रहे हैं. मैंने कहा कि आपने कभी उनसे बातचीत की तो उन्होंने कहा 'नहीं'. मैंने कहा कि आपको नहीं लगता कि यह अच्छा आइडिया नहीं है."

"लेकिन कोई बात नहीं, मैं जानता था कि वो (ओबामा) उनसे बातचीत करना चाहते थे लेकिन वो कभी बात करने नहीं गए और मुझे लगता है कि दूसरा पक्ष (उत्तर कोरिया) भी ओबामा से बातचीत नहीं करना चाहता था. मैंने उस जाने-माने (तालिबान) प्रमुख से बातचीत की."

ट्रंप ने बातचीत में क्या कहा था
इसके बाद कार्यक्रम के होस्ट ह्यू ने उनसे पूछा कि क्या वो बरादर की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि 'हां मैं उन्हीं की बात कर रहा हूं, जिनको एक प्रमुख के तौर पर जाना जाता है.'

ट्रंप ने कहा कि 'उस प्रमुख को लेकर कोई निश्चिंत नहीं था लेकिन मैं अब निश्चिंत हूं कि वो वही थे, जिनसे मैंने बात की थी और मुझे याद है कि मैंने उनसे जैसे बात की थी तो मैंने परिचय में भी हेलो कहा था और वो ज़ोर से कुछ चिल्लाए थे और उसके बाद मैंने उनसे बातचीत शुरू की थी.'

"मैंने कहा था कि सुनिए हम एक लंबी बातचीत शुरू करने जा रहे हैं और मैं एक बात कहना चाहता हूँ और मैं इसे आपके आगे फिर नहीं दोहराऊंगा. मैं यह कह रहा हूं कि अगर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ कुछ भी बुरा हुआ, अगर आपने हमारे नागरिकों या किसी भी अमेरिकी नागरिक के साथ कुछ भी बुरा किया, या अगर आपने कुछ भी असामान्य किया तो आप जान लीजिए कि मैं आपको ऐसी चोट दूंगा कि विश्व इतिहास में कभी किसी ने किसी को नहीं मारा होगा. आपको ऐसी मार पड़ेगी कि कभी किसी देश ने और कभी किसी शख़्स ने विश्व इतिहास में किसी को ऐसे नहीं मारा होगा."

"इसके बाद हमने ख़ास जगहों और शहर में बातचीत शुरू की. मुझे याद है कि मैंने उनके शहर का नाम दोहराया था. इससे हमने बात शुरू की थी. इसके बाद उन्होंने मुझसे एक सवाल पूछा था और मैंने उनसे कहा था कि हां पूछिए. बस वही एक सवाल उन्होंने किया था."

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"मैंने बातचीत के दौरान कहा कि हम 21 सालों के बाद (अफ़ग़ानिस्तान) छोड़ने जा रहे हैं. और जब हम छोड़ेंगे तो आपको हमें अकेला छोड़ना होगा और हम बड़े सम्मान और बड़े गौरव के साथ जा रहे हैं. और हम इस स्थिति का ध्यान रखने जा रहे हैं. हम अपना समय लेंगे. हमने एक मई की तारीख़ तय की है लेकिन वे (तालिबान) कुछ शर्तें लागू करवाने से चूक गए. मैं एक मई को बाहर आना चाहता था. मैंने बातचीत में कहा था कि हम एक मई से पहले छोड़ देंगे. लेकिन उन्होंने शर्तों को तोड़ा और उसके बाद हमने उन पर बम बरसाए और तेज़ी से वार किया."

"इसके बाद उन्होंने कहा कि हम उन शर्तों पर सहमत हों जाएं जो वो कह रहे हैं लेकिन मैंने कहा कि नहीं क्योंकि आप पहले ही पिछली शर्तों पर सहमत थे. हमने उन्हें अच्छे से पकड़ रखा था. वे काबुल में नहीं थे. आप देखिए कि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान पर कहां से क़ब्ज़ा करना शुरू किया था, जहां पर मैंने उन्हें छोड़ा था. जैसे ही मैं गया वे खूंखार होना शुरू हो गए क्योंकि वे दूसरे राष्ट्रपति से सौदा कर रहे थे."

'राष्ट्रपति कार्यालय की ताक़त का हुआ एहसास'
"मुझे यह एकबार फिर एहसास हुआ कि एक राष्ट्रपति कार्यकाल कितना महत्वपूर्ण और ताक़तवर होता है, जब तक यह नहीं हुआ था तब तक मुझे एहसास नहीं था कि राष्ट्रपति का कार्यालय कितना महत्वपूर्ण है क्योंकि बीते हफ़्ते से बहुत तेज़ी से कुछ डरावने और बेवकूफ़ाने फ़ैसले लिए गए हैं."

इसके बाद ट्रंप ने अमेरिकी सेना के पहले ही देश छोड़ देने की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि लोगों के निकलने और अपने साज़ो सामान को लाने से पहले ही सेना को जाने देने की अनुमति दे देना ख़राब फ़ैसला था. पूर्व राष्ट्रपति ने बताया कि सेना का सामान ही 83 अरब डॉलर का था.

उन्होंने कहा कि उन सामान को कोई इस्तेमाल करने के लिए नहीं समझ सकता है और हज़ारों गाड़ियों को ऐसे ही छोड़ दिया गया.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस इंटरव्यू के बाद अमेरिकी मीडिया में उन पर सवाल भी उठ रहे हैं. मीडिया में कई पत्रकार यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि जब उन्हें बरादर का नाम ही नहीं पता था तो उन्होंने किससे बात की थी.

इसके अलावा उत्तर कोरिया के साथ परमाणु युद्ध टाल देने जैसे उनके दावों का भी मखौल उड़ाया जा रहा है क्योंकि उनका दावा था कि उन्होंने किम जॉन्ग उन से मुलाकात करके यह किया था.

इस इंटरव्यू के हवाले से ट्रंप की इस बात को लेकर भी आलोचना हो रही है कि क्या वो आज तक अमेरिकी राष्ट्रपति और उसके कार्यालय की ताक़त के बारे में नहीं जानते थे. इसके अलावा वो इंटरव्यू के दौरान कभी राष्ट्रपति की ताक़त जानने और कभी न जानने की दोहरी बातें कह रहे हैं. (bbc.com)

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