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काबुल ड्रोन हमले में बच्चे और आम लोग कैसे मरे? जाँच कर रहा है अमेरिका
31-Aug-2021 12:14 PM
काबुल ड्रोन हमले में बच्चे और आम लोग कैसे मरे? जाँच कर रहा है अमेरिका

अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए लोगों के परिवार के एक सदस्य ने बीबीसी को बताया है कि हमले में छह बच्चों सहित उनके परिवार के 10 सदस्यों की मौत हो हुई है.

इन सभी लोगों की जान रविवार को उनके घर में खड़ी एक कार में हुए विस्फोट के कारण गई है.

अमेरिकी सेना ने कहा था कि उसने इस्लामिक स्टेट समूह की अफ़ग़ानिस्तान शाखा से जुड़े कम से कम एक व्यक्ति को ले जा रही एक कार को निशाना बनाया गया था. अमेरिका ने ये भी कहा था कि ड्रोन हमले की वजह आसपास के लोग प्रभावित हुए होंगे.

बीबीसी को पता चला है कि मारे गए लोगों में से कुछ ने पहले अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए काम किया था और उनके पास अमेरिकी वीज़ा भी था.

मारे जाने वाली सबसे छोटी बच्ची सुमाया की उम्र महज़ दो साल थी और सबसे बड़े बच्चे फ़रज़ाद की उम्र सिर्फ़ 12 साल थी.

मरने वालों के एक रिश्तेदार रामिन यूसुफी ने कहा, "यह ग़लत है, यह एक क्रूर हमला है और यह ग़लत जानकारी के आधार पर हुआ है."

एक अन्य रिश्तेदार एमाल अहमदी ने बीबीसी को बताया कि हमले में उनकी दो साल की बेटी की मौत हो हुई है.

अहमदी ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने अमेरिका जाने के लिए अर्ज़ी दी थी और वो एयरपोर्ट जाने के लिए फ़ोन कॉल का इंतज़ार कर रहे थे.

जिन लोगों ने अमेरिका जाने की अर्ज़ी दी थी, उनमें नासिर भी शामिल थे. नासिर अमेरिकी सेना के साथ दुभाषिए के रूप में काम कर चुके थे. अहमदी कहते हैं कि अमेरिका ने "एक ग़लती की. ये एक बहुत बड़ी ग़लती थी."

आम लोग कैसे मारे गए, अभी नहीं मालूम

अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड ने कहा है कि वे घटना की जांच कर रहे हैं. लेकिन फ़िलहाल वो ये साफ़ तौर नहीं बता पा रहे हैं कि इन लोगों की मौत कैसे हुई है.

सेंट्रल कमांड ने एक बयान में कहा है कि ड्रोन हमले के बाद कई "शक्तिशाली विस्फोट" हुए थे.

उनके मुताबिक, "अंदर बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री थी जिसके फटने की वजह और अधिक लोगों की जान गई होगी."

अमेरिकी सेना ने इससे पहले कहा था कि वो काबुल के हमीद करज़ई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को 'इस्लामिक स्टेट इन ख़ुरासान' नाम के संगठन से ख़तरे को ख़ात्मा करने में सफल रही है.

पिछले गुरुवार को काबुल हवाई अड्डे के बाहर एक आत्मघाती हमले में 100 से अधिक अफ़ग़ान नागरिकों और 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी. इस हमले की ज़िम्मेदारी 'इस्लामिक स्टेट इन ख़ुरासान' ने ही ली थी.

जान गँवाने वाले सभी लोग अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने वाली फ़्लाइट्स में से एक में सवार होने की उम्मीद कर रहे थे ताकि वो तालिबान के क़ब्ज़े वाले अफ़गानिस्तान से दूर निकल सकें.

31 अगस्त की डेडलाइन

जैसे-जैसे काबुल हवाई अड्डे को खाली करने की 31 अगस्त की डेडलाइन करीब आ रही थी, अमेरिका ने बार-बार एयरपोर्ट के आस-पास हमले की चेतावनी दी थी.

सोमवार को एक अधिकारी ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया कि एक अमेरिकी मिसाइल रोधी प्रणाली ने काबुल के ऊपर से हवाईअड्डे की ओर दाग़े गए रॉकेटों को रोका है.

स्थानीय समाचार संस्थानों के वीडियो और तस्वीरों में काबुल की छतों पर धुंआ उठता दिख रहा हैऔर सड़क पर जलती हुई कार दिखाई दे रही है.

व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन को रॉकेट हमले के बारे में जानकारी दी गई।

प्रेस सचिव जेन साकी ने एक बयान में कहा, "राष्ट्रपति को सूचित किया गया था कि काबुल हवाई अड्डे पर ऑपरेशन बिना रुके जारी है. उनके उस आदेश पालन हो रहा है जिसमें कमांडो को अपनी फ़ोर्स की हिफ़ाज़त के लिए जो भी ज़रूरी कदम उठाने और उन्हें दोगुना करने को कहा था."

सोमवार की घटना से अब तक किसी भी अमेरिकी या अफ़ग़ान के मरने की सूचना नहीं मिली है.

अमेरिकी सेना ने हवाई अड्डे को किसी भी संभावित हमले से बचाने के लिए एंटी-रॉकेट और मोर्टार सिस्टम स्थापित किया है. (bbc.com)

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