अंतरराष्ट्रीय

इलेक्ट्रिक कार क्रांति, लेकिन हजारों नौकरियां खतरे में
06-Sep-2021 7:21 PM
इलेक्ट्रिक कार क्रांति, लेकिन हजारों नौकरियां खतरे में

यूरोप में कार उद्योग पेट्रोल और डीजल के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, लेकिन इस क्रांति ने इस क्षेत्र में लाखों नौकरियां भी खतरे में डाल दी है.

(dw.com)  

आंद्रेया क्नेबेल ने पिछले दो दशकों से जर्मन शहर बुइल में बॉश कंपनी के लिए काम किया, लेकिन उनकी कंपनी का कहना है कि जिन 700 लोगों की 2025 तक नौकरी जा सकती है उनमें क्नेबेल भी हो सकती हैं. यूरोपीय संघ 2035 में पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाएगा, जिसका मतलब है कि तब सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही बेचे जाएंगे.

यूरोपीय संघ के मुताबिक इस प्रतिबंध का कारण यह है कि ब्लॉक में चलने वाले वाहनों से 15 फीसदी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है.

उद्योग में कुछ सबसे कुशल श्रमिकों की नौकरियां बनी रहेंगी, लेकिन वे इलेक्ट्रिक कार क्षेत्र में ही काम कर पाएंगे. हालांकि बड़ी संख्या में कुशल श्रमिकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. यूरोपियन ऑटो मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुताबिक यूरोप में 1.46 करोड़ लोग ऑटो सेक्टर में काम करते हैं, जो यूरोप के कुल कार्यबल का लगभग 7 प्रतिशत है.

क्नेबेल ट्रेड यूनियन की सदस्य हैं और बुइल में नगर परिषद का भी प्रतिनिधित्व करती हैं. वह इस समय प्रशासन से बातचीत कर रही हैं. क्योंकि अधिकांश कर्मचारी डर के कारण बोल नहीं पा रहे हैं. लेकिन क्नेबेल की खुद की नौकरी फिलहाल सुरक्षित नहीं है. 55 वर्षीय क्नेबेल कहती हैं, "मैं वास्तव में चिंतित हूं." वे कहती हैं, "चार साल में मैं साठ साल की हो जाऊंगी. मेरी बेटी तब भी पढ़ाई कर रही होगी."

कुशल कर्मचारियों के पास मौके

डीजल से चलने वाली ट्रेन प्रणाली में इलेक्ट्रिक सिस्टम की तुलना में दस गुना अधिक कार्यबल की जरूरत होती है. वैकल्पिक रोजगार या प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किए बिना इलेक्ट्रिक वाहनों में जाने की सामाजिक लागत बहुत अधिक है. अर्थशास्त्रियों ने इस बात पर जोर दिया है कि हरित उत्पादों की ओर बढ़ने से व्यवसायों को अधिक लाभ होगा और इसका नौकरियों और विकास दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

श्रमिक अधिकार संघों के मुताबिक वृद्ध या अकुशल श्रमिक जिन्हें कहीं और नहीं लगाया जा सकता है, उन्हें राज्य की सामाजिक सहायता की आवश्यकता होगी. वर्तमान में सलाहकार की नौकरी के लिए आवेदन कर रही क्नेबेल का कहना है कि "उम्र" के कारण उनके लिए नई नौकरी खोजना मुश्किल है.(dw.com)

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news