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अफ़ग़ानिस्तान: सिर्फ़ पुरुषों वाली तालिबान सरकार के विरोध में महिलाओं का प्रदर्शन
09-Sep-2021 12:07 PM
अफ़ग़ानिस्तान: सिर्फ़ पुरुषों वाली तालिबान सरकार के विरोध में महिलाओं का प्रदर्शन

काबुल और उत्तर-पूर्वी अफ़गान प्रांत बदख्शां में दर्जनों महिलाओं ने अफ़ग़ानिस्तान में पुरुष प्रधान अंतरिम सरकार के गठन का विरोध किया है.

इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो महिलाओं की गै़रमौजूदगी वाली सरकार को स्वीकार नहीं करेंगी.

ख़बरें हैं कि विरोध प्रदर्शन के तितर-बितर होने से पहले कुछ महिलाओं को कथित तौर पर पीटा गया.

स्थानीय समाचार एजेंसी एतिलाट्रोज़ के मुताबिक रैली को कवर कर रहे उसके कुछ पत्रकारों को हिरासत में लिया गया और पीटा गया.

तालिबान ने इन आरोपों का अब तक कोई जवाब नहीं दिया है लेकिन चेतावनी दी कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन अवैध हैं.

उन्होंने कहा है कि प्रदर्शनकारियों को मार्च करने के लिए अनुमति की आवश्यकता है, और उन्हें अभद्र भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए।

तालिबान का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को मार्च करने के लिए मंज़ूरी की आवश्यकता है, और उन्हें अभद्र भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए.

इस बीच, मंगलवार को पश्चिमी शहर हेरात में एक प्रदर्शन के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई.

यूरोपीय संघ का कहना है कि तालिबान सरकार को "समावेशी और प्रतिनिधि" बनाने के वादों से मुकर गया है.

अमेरिका ने भी चिंता जताई कि अंतरिम सरकार में अमेरिकी बलों पर हमलों से जुड़े लोग शामिल किए गए हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि वो "कुछ व्यक्तियों के ट्रैक रिकॉर्ड" से चिंतित है.

लेकिन चीन ने अफ़ग़ानिस्तान में "तीन सप्ताह की अराजकता" की समाप्ति का स्वागत किया, और तत्काल $ 31 मिलियन डॉलर की आथिक मदद का वादा किया.

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान विरोधी ताकतों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान की नई सरकार को मान्यता नहीं देने का अनुराध किया है.

तालिबान की अंतरिम कैबिनेट में कोई महिला नहीं है और इसमें सिर्फ़ तालिबान या उससे जुड़े नेता हैं. इसकी अमेरिका ने भी आलोचना की है. पंजशीर में तालिबान से लड़ रहे लड़ाकों ने सरकार को 'ग़ैर-क़ानूनी' बताया है.

अंतिरम कैबिनेट मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व में काम करेगी जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने ब्लैक लिस्ट कर रखा है. अंतरिम कैबिनेट में सिराजुद्दीन हक्कानी अमेरिकी एफबीआई की वॉन्टेड लिस्ट में हैं.

नेशनल रेज़िस्टेंस फ़ोर्स (एनआपएफ़) ने कहा है कि वो तालिबान की अंतरिम सरकार की कैबिनेट को "अफ़ग़ान लोगों के ख़िलाफ़ दुश्मनी के साफ़ संकेत की तरह देखते हैं."

तालिबान ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि उन्होंने नेशनल रेज़िस्टेंमस फोर्स को हरा दिया है, लेकिन एनआरएफ के नेता का कहना है कि वो अभी भी लड़ रहे हैं.

अमेरिका ने जताई चिंता
अमेरिका की तरफ़ से जारी एक बयान में कहा गया है, "हमने देखा है कि जारी की गई लिस्ट में सिर्फ़ तालिबान से जुड़े लोगों या उनके नज़दीकियों के नाम हैं, और इसमें कोई महिला नहीं है." "इनमें कुछ लोगों के ट्रैक रिकॉर्ड और उनके जुड़ाव को लेकर भी हम चिंतित हैं."

बयान कहा गया कि अमेरिका अफ़ग़ान नागरिक, जिनके पास वैध दस्तावेज़ हैं, उन्हें विदेश जाने की इजाज़त देने की "तालिबान की प्रतिबद्धता पर कायम रखने" के लिए कहता रहेगा.

"इसके अलावा हम इस बात पर ज़ोर देना चाहते हैं कि हमें उम्मीद है कि तालिबान ये सुनिश्चित करेगा कि अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के लिए ख़तरा पैदा करने के लिए नहीं होगा."

तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर क़रीब तीन हफ़्ते पहले कब्ज़ा कर लिया था. अब उसके सामने कई मुश्किलें हैं जिनमें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना करना और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करना अहम है.

बुधवार को कुछ महिलाओं ने काबुल में उस महिला पुलिसकर्मी की तस्वीर के साथ प्रदर्शन किया जिसकी कथित तौर पर तालिबान ने हत्या कर दी थी. इससे पहले भी महिलाओं से सार्वजनिक तौर पर विरोध करने की अपील की गई थी और तालिबान को मिल रहे कथित पाकिस्तान के समर्थन पर विरोध जताया गया था.

मंत्रियों को इस्लामी क़ानून लागू करने के लिए कहा गया
मंगलवार को तालिबान के सुप्रीम लीडर मौलवी हिबातुल्लाह अखुंदज़दा के हवाले से जारी एक बयान में सरकार को शरिया क़ानून के हिसाब से काम करने के लिए कहा गया है. तालिबान को शरिया कानून की कठोर व्याख्या के मुताबिक काम करने के लिए जाना जाता है.

समूह ने बयान में कहा, "तालिबान दूसरे देशों के साथ "मज़बूत और स्वस्थ" रिश्ते चाहता है और उन अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और संधियों मुताबिक चलेगा जिनका "इस्लामी क़ानून और देश की मूल्यों" के साथ विरोधाभास न हो.

नए अंतरिम प्रधानमंत्री हसन अखुंद 1996 से 2001 के बीच उप विदेश मंत्री रह चुके हैं, जब तालिबान पिछली बार सत्ता में थी. उनका वर्चस्व सैन्य पक्ष से अधिक धार्मिक में है.

हाल ही में कुछ उदारवादी तालिबान सदस्य और उनके कट्टर सहयोगियों के बीच लड़ाई की खबरों के बाद उनकी नियुक्ति को एक समझौते के रूप में देखा जा रहा है.

गृह मंत्री अमेरिका के आतंकवादियों की लिस्ट में

अंतरिम आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी सैन्य समूह हक्क़ानी नेटवर्क के प्रमुख हैं. इस समूह को तालिबान की मान्यता प्राप्त है और पहले दो दशकों तक चली जंग में कई घातक हमलों के लिए ये ज़िम्मेदार रहा है, इसमें काबुल में 2017 में हुआ ट्रक धमाका भी शामिल है जिसमें 150 लोगों की जान चली गई थी.

तालिबान से अलग इस नेटवर्क को अमेरिका ने विदेशी आतंकवादी समूह का दर्जा दिया है. इस समूह के अलकायदा के साथ भी क़रीबी रिश्ते हैं. एफबीआई के मुताबिक सिरजुद्दीन की तलाश 2008 में अफ़ग़ानिस्तान मे हुए होटल हमले के संबंध में की जा रही है. इस हमले में एक अमेरिकी नागरिक की मौत हो गई थी.

"एक आंदोलन जो लंब समय तक छिपकर चला है, उनमें शामिल ऐसे लोग जिनका नाम सिर्फ आतंकवादियों की लिस्ट में आता था, अब दुनियाभर की सरकारों में इस्तेमाल हो रहे पद के नाम से जाने जा रहे हैं.

कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला अखुंद प्रमुख सैन्य और राजनीतिक सदस्यों के बीच प्रतिद्वंद्विता के बाद एक समझौते के रूप में सामने आए हैं जो उनके अधीन काम करेंगे.

तालिबान बंदूकों से सरकार की ओर बढ़े हैं इसलिए इसके संरक्षक भी थोड़ी सांस लेनें की जगह दे रहे हैं.

लेकिन इसके साथ ही ये तालिबान की उस सोच को दर्शाता है कि तालिबान की जीत मतलब है सिर्फ तालिबान का शासन है.

सूत्रों का कहना है कि उन्होंने "समावेशी" सरकार के आह्वान के ख़िलाफ ज़ोर दिया है. वे पूर्व राजनीतिक शख्सियतों और अधिकारियों को शामिल करने से कतराते दिखे, जो शीर्ष पर रह चुके हैं, और ख़ासतौर पर वो जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं.

एक तर्क ये दिया गया कि "जब दूसरे देश अपनी कैबिनेट खुद बनाते हैं तो हम किसी और को अपनी कैबिनेट चुनने क्यों दें"

जहां तक महिलाओं की बात है तो ऐसी कोई उम्मीद थी ही नहीं कि उन्हें किसी मंत्री पद की ज़िम्मेदारी दी जाएगी. महिला मामलों मंत्रालय अब पूरी तरह से ख़त्म होता दिख रहा है.(bbc.com)

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