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अफ़ग़ान पत्रकार के कड़े सवाल और अमेरिकी विदेश मंत्री के ये जवाब
09-Sep-2021 12:42 PM
अफ़ग़ान पत्रकार के कड़े सवाल और अमेरिकी विदेश मंत्री के ये जवाब

पिछले महीने 31 अगस्त को अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से 20 सालों बाद निकल गया.

अमेरिका की आलोचना हो रही है कि उसने अफ़ग़ान नागरिकों को बीच मझधार में छोड़ ख़ुद को अलग कर लिया है.

यह भी कहा जा रहा है कि अमेरिका ने जिस लक्ष्य से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान पर हमला किया था क्या वो हासिल हुआ? अगर ऐसे ही छोड़कर जाना था या तालिबान को ही फिर से सत्ता सौंपनी थी तो 20 साल तक क्यों रहा?

अमेरिका के सामने ऐसे कई सवाल हैं, जो उससे पूछे जाएंगे. इन्हीं सवालों को अफ़ग़ानिस्तान में टोलो न्यूज़ के प्रमुख लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से पूछा.

लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा के इंटरव्यू को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर भी पोस्ट किया है.

लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने अमेरिकी विदेश मंत्री से पहला सवाल पूछा कि दो दशक, दो ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा ख़र्च और हज़ारों ज़िंदगियां. क्या इसे ऐसे ही ख़त्म किया जाना चाहिए था?

इस सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''यही सवाल हैं जो आने वाले वक़्त में पूछे जाएंगे और जिनके जवाब दिए जाएंगे. पहली बात तो यह कि हम अफ़ग़ानिस्तान क्यों गए? यह 9/11 के हमले के बाद हुआ. जिन्होंने 9/11 का हमला किया था, उन्हें जवाब देना था. हमने अपनी क्षमता के हिसाब से यह सुनिश्चित किया कि अफ़ग़ानिस्तान से ये दोबारा ऐसा ना कर सकें.''

''हमारी यह कोशिश व्यापक पैमाने पर सफल रही है. एक दशक पहले ही ओसामा बिन-लादेन को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जा चुका है. एक संगठन के तौर पर अल-क़ायदा के पास यह क्षमता थी कि वो हम पर या किसी पर हमला कर सके, लेकिन अब ऐसा नहीं है. 9/11 के हमले के बाद हमने इसे सुनिश्चित कर दिया है. हमने वो हासिल किया, जो हमारा लक्ष्य था.''

''आपने 20 साल, एक ट्रिलियन या इससे ज़्यादा डॉलर और कई ज़िंदगियां गँवाने की बात कही, लेकिन हमने कई ज़िंदगियां बदली भी हैं. हम इस बदलाव को आने वाले दिनों, हफ़्तों और महीनों में देखने जा रहे हैं. मैं इस बात को लेकर आश्स्त हूँ कि यह आने वाले दिनों में बहस और संवाद का विषय होगा.''

'अफ़ग़ान सेना के आकलन में ग़लती'
टोलो न्यूज़ के हेड लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने ब्लिंकन से दूसरा सवाल पूछा कि जब तालिबान को ही आना था तो आपने ये सब क्यों किया? इस सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''यह सवाल हमें सालोंसाल पीछे ले जाता है. हम तालिबान को सालों से देख रहे हैं कि वो अफ़ग़ानिस्तान के कई इलाक़ों में शासन अपने हाथ में लेने की कोशिश करता रहा. यहाँ तक कि पिछले छह या सात सालों में सरकार का अफ़ग़ानिस्तान पर नियंत्रण 60 प्रतिशत आबादी से 40 प्रतिशत आबादी तक रह गया था. और अब ये हुआ.''

लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने तीसरे सवाल में पूछा कि लेकिन पिछले 100 दिन काफ़ी नाटकीय रहे. जो कुछ हो रहा था, उसे कोई क्यों नहीं समझ सका?

इसके जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''मुझे लगता है कि यह अहम सवाल है कि अफ़ग़ान सुरक्षा बल कैसे इतने लाचार हो गए और सरकार भी बेबस दिखी. मैं ये कह सकता हूँ कि सुरक्षा बलों में कई अफ़ग़ानों ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपनी जान तक दांव पर लगा दिया. लेकिन एक इंस्टीट्यूशन के तौर पर कुछ बचा नहीं और सरकार को आख़िरकार सरेंडर करना पड़ा. ये सब कुछ बहुत ही जल्दी हुआ और इसका गहरा असर पड़ा.''

टोलो न्यूज़ के प्रमुख ने अमेरिकी विदेश मंत्री से अगला सवाल पूछा - आपने तो लोगों को ठीक से निकाला तक नहीं...यहाँ तक कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी नागरिकों को भी ठीक से नहीं निकाला. अफ़ग़ान नेशनल सिक्यॉरिटी फ़ोर्सेज़ में रहे अफ़ग़ानों को बड़ी संख्या में छोड़ दिया गया.

अशरफ़ ग़नी
इस सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''अफ़ग़ानिस्तान से लोगों को निकालने का काम असाधारण रहा है. हमने क़रीब एक लाख 25 हज़ार लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से निकाला है और यह बहुत कम समय में किया गया. लोगों को निकालने का काम बेहद कठिन परिस्थिति में किया गया है. आईएसआईएस-के का ख़तरा भी था. अब भी अफ़ग़ानिस्तान में छोटी संख्या में वैसे लोग हैं जो वहाँ से निकलना चाहते हैं. हम इन्हें वहाँ से सुरक्षित निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं.''

लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने ब्लिंकन से पूछा, ''क्या आपने राष्ट्रपति ग़नी को देश से भगाने में मदद की है? इस पर ब्लिंकन ने कहा, ''नहीं. सच तो यह है कि मैं उनसे फ़ोन पर बात कर रहा था. जिस दिन राष्ट्रपति ग़नी ने अफ़ग़ानिस्तान छोड़ा, उससे एक दिन पहले उनसे फ़ोन पर बात हुई थी. हमारी बातचीत दोहा में जारी सत्ता हस्तांतरण पर हो रही वार्ता पर थी. उन्होंने मुझसे पूछा था कि अगर यह वार्ता सफल नहीं रही तो वे मरते दम तक लड़ेंगे. इसके बाद 24 घंटे के भीतर ही उन्होंने देश छोड़ दिया. मुझे उनकी योजना के बारे में बिल्कुल पता नहीं था और न ही हमने उनके भागने का इंतज़ाम किया था.''

लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने ब्लिंकन से पूछा कि ग़नी अपने साथ आपके टैक्सपेयर्स और अफ़ग़ानों के लाखों डॉलर साथ ले गए हैं. क्या आपको इसके बारे में पता है?

इस सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''ये मुझे नहीं पता है. उनका देश छोड़ना अचानक हुआ और बहुत कम समय में. एक संस्थान के रूप में सुरक्षाबल की व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी और सरकार ने फिर वही काम किया.''

टोलो न्यूज़ के प्रमुख ने पूछा कि पिछले कुछ सालों में शांति प्रक्रिया को लेकर जो वार्ता चल रही थी, राष्ट्रपति ग़नी उस चुनौती का हिस्सा थे या वे शांति प्रक्रिया में बाधा थे?

इस सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''मैं इसमें बहुत दिलचस्पी नहीं रखता. मैं फिर से पीछे नहीं जाना चाहता. 20 साल का लेखा-जोखा करने के लिए बहुत वक़्त है. पिछले कुछ महीनों में जो कुछ भी हुआ है, वो अचानक नहीं हुआ है बल्कि उसका संबंध पिछले 20 सालों से है.''

लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने ब्लिंकन से पूछा कि अब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का पूरा नियंत्रण है. क्या आप तालिबान को मान्यता देंगे? इस सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता की बात कही है. लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि तालिबान क्या कर रहे हैं न कि वो क्या कह रहे हैं. तालिबान का हमसे या पूरी दुनिया से संबंध उनकी करनी और कथनी में फ़र्क़ पर निर्भर करेगा. तालिबान ने कई वादे किए हैं. लेकिन हम देखेंगे कि वे किन वादों के साथ ईमानदार हैं.

अमेरिका के लिए सबक
टोलो न्यूज़ के प्रमुख लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने अमेरिकी विदेश मंत्री से पूछा कि अमेरिका को अफ़ग़ानिस्तान से क्या सीख लेनी चाहिए या अफ़ग़ानिस्तान पर हमला या 20 साल की संलिप्तता से क्या सबक़ लेना चाहिए?

इस सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''यह एक बहुत ही अहम सवाल है. इस सवाल पर विचार करने के लिए पर्याप्त समय चाहिए होगा. अभी हमारा ध्यान अफ़ग़ानों की मदद पर है.''

लोतफ़ुल्लाह नजफ़िज़ादा ने ब्लिंकन से आख़िरी सवाल पूछा कि क्या आप ऐसा सोचते हैं कि लोकतंत्र अफ़ग़ानिस्तान के लिए नहीं बना है? इस सवाल के जवाब में ब्लिंकन ने कहा, ''मैं ऐसा नहीं मानता हूँ. मेरा मानना है कि दुनिया भर के लोगों में आज़ाद जीवन जीने की तमन्ना होती है और अफ़ग़ानिस्तान के लोग भी ऐसा ही चाहते हैं.'' (bbc.com)

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