अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान के हाथ लगा अफगान सरकार का 'सीक्रेट डेटा'? काबुल से दस्तावेज लेकर निकले तीन विमान
11-Sep-2021 3:58 PM
 पाकिस्तान के हाथ लगा अफगान सरकार का 'सीक्रेट डेटा'? काबुल से दस्तावेज लेकर निकले तीन विमान

(मनोज गुप्ता)

काबुल. तालिबान शासित अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंधों को लेकर चौंकाने वाले जानकारी सामने आई है. खबर है कि अफगान सरकार के कई गोपीनीय दस्तावेज पाकिस्तान के हाथ लग गए हैं. कहा जा रहा है कि इन दस्तावेज़ों से सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा पैदा हो सकता है. एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को नियंत्रण में लेने के इरादे से काबुल के लिए आर्थिक योजनाओं की घोषणा की थी.

सूत्रों के मुतबिक, काबुल में मानवीय सहायता लेकर पहुंचे तीन C-170 विमान दस्तावेजों से भरे बैग लेकर रवाना हुए हैं. यह ऐसे समय पर हुआ जब तालिबान ने भी नई अंतरिम सरकार के शपथ ग्रहण के लिए तय 11 सितंबर यानी अमेरिका में हुए आतंकी हमले की 20वीं वर्षगांठ की तारीख टाल दी है. तालिबान ने 7 सितंबर को अंतरिम सरकार की घोषणा की थी.

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ काम कर रहे सूत्र ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया कि ये गोपनीय दस्तावेज थे, जिन्हें पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस एजेंसी ने अपने कब्जे में ले लिया है. इन दस्तावेजों में मुख्य रूप से एनडीएस के गोपनीय दस्तावेज, हार्ड डिस्क्स और अन्य डिजीटल जानकारी थी. शीर्ष सूत्रों ने बताया है कि इस डेटा को ISI अपने इस्तेमाल के लिए तैयार करेगा, जो सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. सूत्रों ने जानकारी दी कि यह तालिबान सरकार को पाकिस्तान पर निर्भर बना देगा.

सूत्रों ने जानकार दी कि डेटा लाइव था, क्योंकि पिछली अफगानिस्तान सरकार ने इस कब्जे की उम्मीद नहीं की थी. हालांकि, सैन्य समूह का उन दस्तावेजों पर कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि इनके प्रभारी कर्मचारी काम पर नहीं लौटे थे. उन्होंन बताया कि दस्तावेजों की लीक अफगानिस्तान में पाकिस्तान के राजदूत मंसूर अहमद की मदद से हुई थी.

पड़ोसी देशों ने द्विपक्षीय कारोबार के लिए पाकिस्तानी रुपयों का इस्तेमाल करने का फैसला किया है. इससे पहले अफगानिस्तान और पाकिस्तान में तालिबान का द्विपक्षीय कारोबार अमेरिकी डॉलर में होता था, जबकि अफगान की मुद्रा ज्यादा मजबूत है. इसके जरिए पाकिस्तान की मुद्रा की अफगान कारोबारियों और व्यापार समुदायों पर पकड़ मजबूत हो जाएगी.

कुछ ही दिनों पहले ISI प्रमुख हामीद फैज को काबुल में देखा गया था. तभी से यह माना जा रहा था  पाकिस्तान तालिबान के शासन में हिस्सेदारी की तलाश में है. इसका बड़ा मकसद अफगान की सेना में हो रहे बदलाव में हक्कानियों को लाना था. ISI को हक्कानी नेटवर्क का संरक्षक माना जाता है, जो अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की तरफ से नामित आतंकवादी समूह है. हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी को आंतरिक मंत्री बनाया गया है.

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news