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आर्मिन लाशेट: सीडीयू के चांसलर पद के उम्मीदवार
14-Sep-2021 1:11 PM
आर्मिन लाशेट: सीडीयू के चांसलर पद के उम्मीदवार

जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य के प्रमुख इस साल आम चुनाव में कंजरवेटिव चुनौती का नेतृत्व कर रहे हैं. अगर वे सफल रहते हैं तो चांसलर अंगेला मैर्केल की जगह लेंगे.

डॉयचे वेले पर क्रिस्टोफ स्टार्क की रिपोर्ट

सितंबर के संसदीय चुनावों के बाद किसके चांसलर बनने की सबसे ज्यादा संभावना है, यह सवाल चाहे आप जर्मनी में आम मतदाताओं से पूछें या बर्लिन में बैठे बड़े राजनीतिक विशेषज्ञों से, ज्यादातर आपसे यही कहेंगे, आर्मिन लाशेट. हालांकि पिछले हफ्तों में इस उम्मीद डगमगा रही है. मतदाताओं में लाशेट की लोकप्रियता गिरी है और वे उसे संभालने की कोशिश में लगे हैं. अंगेला मैर्केल की तरह ही आर्मिन लाशेट कंजरवेटिव क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के सदस्य हैं, जो बुंडेस्टाग की सबसे बड़ी पार्टी है. यह बात स्पष्ट कर देती है कि क्यों यह 60 वर्षीय नेता दौड़ में सबसे आगे हैं. कम से कम, सैद्धांतिक तौर पर जरूर.

फिलहाल आर्मिन लाशेट जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया (एनआरडब्ल्यू) के मुख्यमंत्री हैं. उनकी परिस्थिति जर्मनी का अगला सबसे बड़ा नेता बनने की महत्वाकांक्षा के लिए आदर्श लगती है. और लाशेट कैंप के लिए ज्यादातर चीजें आराम से चल भी रही थीं. तभी जुलाई के अंत में आई घातक और विनाशकारी बाढ़ ने राइनलैंड-पैलेटिनेट राज्य में 180 से ज्यादा लोगों की जान ले ली. नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के प्रमुख लाशेट तबसे भारी दबाव में हैं और थोड़े नरम शब्दों में भी कहें तो उनका चुनावी अभियान लड़खड़ा गया है.

चुनाव प्रचार के दौरान हुई भूल
कोलोन के दक्षिण-पश्चिम में पड़ने वाले एर्फ्टश्टाट शहर के एक दौरे के दौरान जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर स्थानीय लोगों (जिनमें से कई ने बाढ़ में अपना सब कुछ खो दिया था) के सामने अपना सदमा और गहरी चिंता जाहिर करते हुए बातें कर रहे थे. इसी दौरान कैमरे ने स्थानीय अधिकारियों के साथ हंसी-मजाक करते हुए आर्मिन लाशेट की कुछ तस्वीरें भी उतार ली थीं. हालांकि अपने अनुचित व्यवहार के लिए उन्होंने तुरंत माफी मांगी थी और इस माफी को वे पिछले दिनों में कई बार दोहराते भी रहे हैं.

लेकिन फिर बाढ़ के पानी के स्तर और प्रभाव को लेकर उनकी और किरकिरी हुई. लाशेट ने कहा था, "ऐसे किसी एक दिन के चलते हम अपने पूरे नजरिए को बदलने नहीं जा रहे हैं." यह टिप्पणी ऐसे समय में जर्मनी में आलोचना से नहीं बच सकी, जब कई लोग पहले ही जर्मनी में चौंकाने वाली बाढ़ जैसी चरम मौसमी घटनाओं के बीच संभावित कदमों पर बात शुरू कर चुके थे. कुछ दिनों बाद उन्होंने इससे पलटते हुए कहा, "हम सभी जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए जो कर सकते हैं, वह करने की जरूरत है."

मैर्केलवादी होने की वजह से बने पार्टी प्रमुख
दुर्भाग्य से यह बातें लाशेट की उस छवि से मेल खाती हैं, जो जानकारों ने उनके बारे में बना रखी है. यानी जलवायु परिवर्तन से जूझने के बजाए नीति प्रतिबद्धताओं में बदलाव और कटौती में ज्यादा समझदारी देखने वाले की. कई आश्चर्य करते हैं कि वे कौन सी बातें हैं, जिन्हें वाकई इस उम्मीदवार का समर्थन है.

जनवरी में जब लाशेट को पार्टी अध्यक्ष के तौर पर चुना गया था तो कई लोगों ने उन्हें मैर्केल की नीतियों का प्रमुख समर्थक बताया था. पहले वकील और पत्रकार रहे लाशेट 2012 से ही सीडीयू के पांच उपाध्यक्षों में से एक हैं और उन्हें लंबे समय से मैर्केल और पार्टी प्रमुख आनेग्रेट क्रांप-कारेनबावर (2018 से 2020 तक) के दाएं हाथ के तौर पर देखा जाता था. अपनी पार्टी का विश्वास जीतने के लिए, लाशेट को सीडीयू और सीएसयू को यह विश्वास दिलाना पड़ा था कि चुनावों से इतर लंबे समय के लिए वे एक सुरक्षित विकल्प होंगे.

प्रशासन का व्यापक अनुभव
उन्होंने अपने दशकों पुराने राजनीतिक अनुभव और 2017 से नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के मुख्यमंत्री होने की ओर इशारा किया. यह अपने आप में बहुत बड़ा जनसमर्थन है क्योंकि राज्य में जर्मनी की करीब एक चौथाई आबादी रहती है. वे भी कहते हैं, "एक राज्य प्रमुख जो 1.8 करोड़ लोगों के राज्य को कामयाबी से चलाता है, वह चांसलर भी बन सकता है."

मैर्केल की तरह लाशेट भी एक जबरदस्त मध्यमार्गी सीडीयू में विश्वास करते हैं. यह लाइन उनके भाषणों में अक्सर आती है, हम तभी जीतेंगे, "जब हम केंद्र में मजबूत होंगे." पश्चिमी जर्मन शहर आखेन के कैथोलिक अक्सर उनकी राइनलैंड से जुड़ी जड़ों की ओर इशारा करते हैं. वैसे अब तक आठ में से केवल एक चांसलर कोनराड आडेनावर, नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया से रहे हैं. वे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के दौर के पहले चांसलर थे और 1949 से 1963 तक पद पर रहे थे.

लाशेट बनाम जोएडर
लाशेट ने मार्कुस जोएडर को  पछाड़ कर चांसलरी के लिए कंजरवेटिव उम्मीदवार होने का हक हासिल किया है. जोएडर कंजरवेटिव 'यूनियन' की बवेरियन शाखा क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU) के नेता हैं, जिसने युद्ध बाद की जर्मन राजनीति में अहम रोल अदा किया है.

जोएडर खुद को तेजतर्रार, दूरदर्शी ही नहीं बल्कि करिश्माई जताते आए हैं. हालांकि उनके आलोचक इसे अवसरवाद कहते हैं. बात यह है कि ओपिनियन पोल्स में वे राइनलैंड से आने वाले नेता से काफी आगे रहे. हालांकि लाशेट समर्थक इसके जवाब में जोरशोर से कहते रहे कि उनका नेता एक फाइटर है. मात्र 5 फीट 6 इंच के लाशेट एक हंसमुख और अच्छे स्वभाव वाले नेता हैं. लाशेट क्षेत्रीय लहजे के साथ बोलते हैं और सभी ओर आपसी सहमति और सौहार्द पर जोर देते हैं और सहज रहते हैं.

जब उन्होंने जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य में चुनाव जीता तो उन्होंने कई लोगों को आश्चर्य में डाल दिया था. अब क्या वे देश भर के मतदाताओं को प्रभावित कर सकेंगे, यह कंजरवेटिव मध्यमार्ग पर निर्भर करेगा.

मैर्केल से दूरी
आर्मिन लाशेट और अंगेला मैर्केल का एक साथ काम करने का पुराना उपलब्धियों भरा सफर रहा है: जब मैर्केल अपनी 2015 की हजारों रिफ्यूजियों को प्रवेश देने 'वेलकम पॉलिसी' लाने के बाद अपनी ही पार्टी के कुछ धड़ों की ओर से तीखी आलोचना का सामना कर रही थीं, लाशेट उनके सहयोगी बने रहे थे.

लेकिन कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में गड़बड़ी और कमजोरियों को देखकर लाशेट ने धीरे-धीरे खुद को चांसलर से दूर कर लिया. ये एंटी इनकंबेंसी से बचने की उनकी नीति भी थी लेकिन इस बीच ऐसा लगने लगा है कि मैर्केल से दूरी की कीमत उनसे मतदाता उनसे दूर जाकर वसूल रहा है.

लाशेट, ग्रीन और एफडीपी
अगर लाशेट चांसलर बनना चाहते हैं तो उन्हें निराश हो चुकी कंजरवेटिव पार्टियों को एकजुट करना होगा ताकि वे नए आत्मविश्वास वाली ग्रीन पार्टी के पीछे धकेल सकें. हालिया सर्वे दिखाते हैं कि पर्यावरणवादी पार्टी ज्यादा पीछे नहीं है. लेकिन वे एक ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्हें लेकर यह अटकलें भी हैं कि वे सितंबर के बाद ग्रीन पार्टी के साथ एक आसान गठजोड़ भी बना सकते हैं.

लाशेट और ग्रीन पार्टी का सालों पुराना संबंध है: बुंडेसटाग में 1994 में उनकी उनकी एंट्री के बाद लाशेट ने अपनी पार्टी सीडीयू को तेजी से द ग्रीन्स के साथ रिश्ते बनाने में मदद की थी. लाशेट कह चुके हैं कि वे एक ऐसे गठबंधन सहयोगी को तवज्जो देंगे जो उदारवादी मुक्त बाजार समर्थक लिबरल डेमोक्रेट (एफडीपी) होगा. और सच में लाशेट अपने गृह राज्य में ऐसे एक गठबंधन के प्रमुख हैं.

यूरोपीय नेता
लाशेट के पास चांसलर बनने से पहले मैर्केल की तुलना में ज्यादा राजनीतिक अनुभव है. उनकी कानूनी और पत्रकारीय बैकग्राउंड से अलग, उन्हें स्थानीय, राज्य स्तर और संघीय तीनों स्तरों पर चुना जा चुका है बल्कि वे यूरोपीय संसद के भी सदस्य रहे हैं. बेल्जियम के सीमावर्ती क्षेत्र में पले-बढ़े लाशेट एक सच्चे यूरोपीय हैं. बेल्जियम में उनकी पारिवारिक जड़ें हैं और वे धाराप्रवाह फ्रेंच बोलते हैं. 2019 के बाद से ही लाशेट फ्रैंको-जर्मन सांस्कृतिक संबंधों के लिए जर्मनी के प्रतिनिधि भी रहे हैं और लंबे समय से पेरिस के राजनीतिक नेतृत्व के साथ उनके घनिष्ठ संबंध हैं.

ट्रांस-अटलांटिक संबंधों के बारे में लाशेट को छूटी कड़ी को फिर से पकड़ना होगा. हालांकि उन्होंने 2019 में राज्य के प्रमुख के तौर पर अमेरिका का दौरा करते हुए कुछ दिन बिताए थे. वे जलवायु और व्यापार नीति पर अमेरिका के साथ और सहयोग पर जोर देने की इच्छा रखते हैं.

एक विस्तृत क्षेत्र
सीडीयू से संबद्ध कोनराड आडेनावर फाउंडेशन की वेबसाइट पर उनका यह परिचय दिया हुआ है, "आर्मिन लाशेट एक ऐसे राजनेता हैं, जो पार्टी की सर्वोच्च कमान और राष्ट्रीय स्तर सहित सरकारी कार्यालयों को संभालने की सभी आवश्यक शर्तें पूरी करता है." हालांकि ऐसा लगता है कि लाशेट को अब भी मतदाताओं को यह बात समझाने की जरूरत होगी.

यहां तक कि अपने स्तर के नेताओं के बीच भी उन्हें बहुत काम करने की जरूरत होगी. उन्हें अपनी पार्टी के कंजरवेटिव नेताओं के साथ-साथ पार्टी की महिला सदस्यों तक भी पहुंचना होगा, जिन्हें मैर्केल पर हमेशा गर्व रहा है और फिर भी देश भर में महिला उम्मीदवार एक-चौथाई ही हैं. लाशेट की चांसलरशिप की राह लंबी और पथरीली है. (dw.com)
 

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