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तालिबान की अंतरिम सरकार में पड़ी फूट, मुल्ला ग़नी बरादर ने छोड़ा काबुल- सूत्र
15-Sep-2021 1:21 PM
तालिबान की अंतरिम सरकार में पड़ी फूट, मुल्ला ग़नी बरादर ने छोड़ा काबुल- सूत्र

ख़ुदा ए नूर नासिर

दोहा समझौते में मुल्ला ग़नी बरादर की अहम भूमिका रही है

तालिबान की अंतरिम सरकार में आपसी फूट पड़ गई है. तालिबान के सीनियर अधिकारी ने ये बात बीबीसी को बताई है.

उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन में तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला ग़नी बरादर के समूह और एक कैबिनेट सदस्य के बीच कहासुनी हुई है.

हाल के दिनों में मुल्ला बरादर सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे हैं. इसके बाद से ही क़यास लगाए जा रहे हैं कि तालिबान में नेतृत्व को लेकर असहमति सतह पर आ गई है.

हालांकि इन ख़बरों को तालिबान ने आधिकारिक रूप से ख़ारिज किया है.

तालिबान ने पिछले महीने अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया था और अफ़ग़ानिस्तान को इस्लामिक गणतंत्र से इस्लामिक अमीरात बनाने की घोषणा की थी. तालिबान ने सात सितंबर को नई कैबिनेट की घोषणा की थी जिसमें सभी पुरुष हैं और शीर्ष पर वे हैं जो पिछले दो दशकों में अमेरिकी बलों पर हमले के लिए कुख्यात रहे हैं.

तालिबान के एक सूत्र ने बीबीसी पश्तो से कहा कि बरादर और ख़लील उर-रहमान के बीच आपसी कहासुनी हुई है. इसके बाद दोनों नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ गए. ख़लील उर-रहमान आतंकवादी संगठन हक़्क़ानी नेटवर्क के नेता और तालिबान की सरकार में शरणार्थी मंत्री हैं,

विवाद क्यों छिड़ा?

क़तर स्थित तालिबान के एक सीनियर सदस्य और एक व्यक्ति, जो इस कलह में शामिल थे, उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले हफ़्ते ऐसा हुआ था. सूत्रों के अनुसार विवाद इसलिए हुआ क्योंकि बरादर, जिन्हें अंतरिम सरकार में उप-प्रधानमंत्री बनाया गया है, वे सरकार की संरचना से ख़ुश नहीं हैं. अफ़ग़ानिस्तान में जीत के श्रेय को लेकर तालिबान के नेता आपस में उलझ रहे हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार बरादर को लगता है कि उनकी डिप्लोमेसी के कारण तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता मिली है जबकि हक़्क़ानी नेटवर्क के सदस्यों और समर्थकों को लगता है कि अफ़ग़ानिस्तान में जीत लड़ाई के दम पर मिली है. हक़्क़ानी नेटवर्क की कमान तालिबान के एक शीर्ष नेता के पास है.

बरादर तालिबान के पहले नेता हैं जिन्होंने 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फ़ोन पर सीधे बात की थी. इसके पहले इन्होंने तालिबान की तरफ़ से दोहा समझौते में अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

दूसरी तरफ़ शक्तिशाली हक़्क़ानी नेटवर्क है जो कि हाल के वर्षों में अफ़ग़ानिस्तान में पश्चिमी बलों पर सबसे हिंसक हमलों में शामिल रहा है. अमेरिका ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. इसके नेता सिराजुद्दीन हक़्क़ानी तालिबान की नई सरकार में गृह मंत्री हैं.

अफ़वाहों का बाज़ार पिछले हफ़्ते तब गर्म हुआ जब तालिबान का सबसे अहम चेहरा माने जाने वाले बरादर सार्वजनिक मौजूदगी से ग़ायब हो गए. सोशल मीडिया पर उनकी मौत की ख़बरें चलने लगीं.

बरादर कहाँ हैं?
बीबीसी से तालिबान के सूत्रों ने कहा है कि विवाद के कारण बरादर काबुल छोड़ कंधार चले गए हैं. सोमवार को बरादार के नाम पर एक ऑडियो टेप जारी किया गया जिसमें वे कह रहे हैं कि वे यात्राओं पर बाहर हैं. इस ऑडियो टेप में बताया गया है कि इस वक़्त वे जहाँ भी हैं, ठीक हैं.

बीबीसी ने इस ऑडियो रिकॉर्डिंग की जाँच नहीं की है कि इसमें किसकी आवाज़ है. इस ऑडियो टेप को तालिबान की कई आधिकारिक वेबसाइटों पर पोस्ट किया गया है.

तालिबान का कहना है कि सरकार के भीतर कोई विवाद नहीं है और बरादर सुरक्षित हैं. लेकिन बरादर अभी क्या कर रहे हैं, इसे लेकर अलग-अलग बात कही जा रही है. एक प्रवक्ता ने कहा कि बरादर कंधार सुप्रीम नेता से मिलने गए हैं, लेकिन बाद में बीबीसी पश्तो को बताया गया कि वे थक गए थे और अभी आराम करना चाहते हैं.

अफ़ग़ानों के बीच तालिबान के बयान पर शक़ की कई वजहें हैं. 2015 में तालिबान ने स्वीकार किया था कि उसने अपने संस्थापक नेता मुल्ला उमर की मौत की बात दो साल से ज़्यादा वक़्त तक छुपा कर रखी थी. इस दौरान तालिबान मुल्ला उमर के नाम पर बयान जारी करता रहा था.

बीबीसी से सूत्रों ने बताया कि बरादर काबुल पहुँचकर कैमरे के सामने आ सकते हैं और किसी भी तरह के विवाद की बात को ख़ारिज कर सकते हैं.

तालिबान के सुप्रीम नेता हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा को लेकर भी कई तरह की अटकलें हैं. वे सार्वजनिक रूप से कभी दिखे ही नहीं. उनके पास तालिबान की राजनीतिक, सैन्य और धार्मिक मामलों की ज़िम्मेदारी है.

इस बीच अफ़ग़ानिस्तान के कार्यकारी विदेश मंत्री ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं से मदद फिर से शुरू करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी मदद को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान में हालात भयावह रूप से बिगड़ने की चेतावनी दी है. इसके बाद से एक अरब डॉलर से ज़्यादा की मदद को लेकर पहल शुरू की गई है.

ट्रंप ने की थी बरादर से बात?
पिछले महीने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक रेडियो कार्यक्रम में पुष्टि की कि उनकी पिछले साल 'तालिबान के प्रमुख' से बात हुई थी.

यह प्रमुख कौन था, इसके बारे में वो साफ़-साफ़ नहीं बता सके थे. लेकिन जब रेडियो शो के होस्ट ने उनसे पूछा कि वो मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि 'हाँ मैंने उनसे बात की थी.'

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने गुरुवार 26 अगस्त को कंज़रवेटिव टॉक रेडियो होस्ट ह्यू ह्यूवेट के कार्यक्रम में यह बात रखी. उन्होंने बताया था कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सुरक्षाबलों के लिए साल 2020 में जब बातचीत जारी थी तो उन्होंने यह बातचीत की थी.

रेडियो कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने मुल्ला बरादर से बात की थी और उन्होंने उनसे क्या कहा था? तो इस सवाल पर ट्रंप ने कहा कि उन्होंने मुल्ला बरादर को साफ़ और कड़े लफ़्ज़ों में कहा था कि अगर उन्हें (अमेरिका) नुक़सान पहुँचाया गया तो वो 'तालिबान को ऐसी चोट देंगे, जो आज तक विश्व इतिहास में कभी नहीं हुई होगी.'

ट्रंप ने विस्तार से इस पर बात की थी और उन्होंने बातचीत की शुरुआत उत्तर कोरिया और किम जोंग उन से मुलाक़ात के मुद्दे से शुरू की थी.

उन्होंने कहा था, "मेरी उनसे (तालिबान नेता) बातचीत तय कराई गई और लोग कह रहे थे कि आपको यह नहीं करना चाहिए. वैसे, मैंने उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन के साथ भी बातचीत तय की थी. हमारे (अमेरिका-उत्तर कोरिया) बीच कोई परमाणु युद्ध नहीं हुआ था. मैं अगर राष्ट्रपति न होता तो ओबामा की बात सच होती और हमारे बीच परमाणु युद्ध हो चुका होता." (bbc.com)

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