अंतरराष्ट्रीय
बच्चों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी संस्था 'सेव द चिल्ड्रेन' का कहना है कि म्यांमार में उसके दो कर्मचारी पिछले दो दिनों से लापता है.
लंदन स्थित मुख्यालय वाली इस संस्था का आरोप है कि म्यांमार की सेना ने शुक्रवार को काया राज्य में 35 से अधिक आम लोगों को चरमपंथी बताकर मार दिया. सेना पर शव जलाने के भी आरोप लगाए गए हैं.
चैरिटी संस्था का दावा है कि इस घटना में कम से कम 38 लोग मारे गए हैं. इनमें से अधिकांश के शव बरामद हो गए हैं.
संस्था ने अपने बयान में कहा है, काया राज्य में सेना ने लोगों को उनकी कारों से निकालकर, गिरफ़्तार कर और उन्हें मारकर उनके शव जला दिए. मरने वालों में बच्चों और महिलाओं के भी होने का दावा किया गया है.
'घर लौट रहे थे दोनों कर्मचारी'
बयान के अनुसार, उनके दोनों लापताकर्मचारी संस्था के मानवीय काम पूरा करने के बाद छुट्टी बिताने अपने घर जा रहे थे.
संस्था ने बताया कि वे दोनों सेना की कार्रवाई में पकड़े गए और तभी से लापता हैं. संस्था का दावा है कि उनकी निजी गाड़ियों पर हमले हुए और उनमें आग लगा दी गई.
सेव द चिल्ड्रेन का कहना है कि वो आम बेक़सूर लोगों और उनके कर्मचारियों के साथ हुई हिंसा की इन घटनाओं से हतप्रभ है.
हालांकि म्यांमार की सेना का दावा है कि मरने वाले सभी चरमपंथी थे. सेना ने बताया कि उसने इलाक़े में कई हथियारबंद चरमपंथियों को मारा है.
ग़ौरतलब है कि इस साल फ़रवरी में सेना ने अचानक से चुनी हुई नेता आंग सान सू ची को हिरासत में लेकर देश में तख़्तापलट कर दिया.
उस समय से पूरे म्यांमार में आम लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए सेना ने काफ़ी बल प्रयोग किया. सेना पर तब से कई लोगों की हत्या करने के आरोप लगाए गए हैं.
इसी महीने आंग सान सू ची को चार साल की सज़ा सुनाई गई. बाद में उसे घटाकर दो साल कर दिया गया. (bbc.com)