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म्यांमार: सू ची को सुनाई गई चार और साल की जेल की सजा
11-Jan-2022 2:02 PM
म्यांमार: सू ची को सुनाई गई चार और साल की जेल की सजा

म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार की उम्मीद दिखाने वाली नेता आंग सान सू ची तख्तापलट के बाद से कहां हैं, किसी को पता नहीं है. दिसंबर के बाद अब एक बार फिर उन्हें तीन अलग-अलग मामलों में चार साल कैदकी सजा सुनाई गई है.

  (dw.com) 

सेना के शासन वाले म्यांमार में एक अदालत ने सोमवार को अपदस्थ नेता आंग सान सू ची को चार साल जेल की सजा सुनाई है. अदालत की कार्रवाई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सू ची को यह सजा बिना लाइसेंस के वॉकी-टॉकी रखने समेत तीन मामलों में सुनाई गई है.

कोर्ट ने सू ची को हैंडहेल्ड रेडियो रखने के लिए आयात-निर्यात कानून का उल्लंघन करने के लिए दो साल की सजा और सिग्नल जैमर का एक सेट रखने के लिए एक साल की सजा सुनाई है. सू ची को अपने चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना वायरस नियमों से जुड़े प्राकृतिक आपदा प्रबंधन कानून के उल्लंघन के आरोप में दो साल की सजा सुनाई गई है.

76 साल की नोबेल विजेता सू ची पर म्यांमार में भ्रष्टाचार समेत दर्जनों मामलों में जांच चल रही हैं, जिनके तहत उन्हें सौ साल से ज्यादा की सजा भी हो सकती है. वह सभी आरोपों से इनकार करती हैं.

शानदार चुनावी जीत के बाद तख्तापलट
साल 2020 में म्यांमार में हुए आम चुनावों में सू ची की पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी. इसी के साथ देश में दशकों के सैन्य शासन का अंत हुआ और राजनीतिक सुधारों की एक उम्मीद दिखी. पर यह दौर लंबा नहीं चल सका. 1 फरवरी, 2021 को सेना ने सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया. सू ची की पार्टी 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी' के कई वरिष्ठ सदस्य भी गिरफ्तार कर लिए गए.

इसके बाद से देशभर में प्रदर्शनों और राजनीतिक उथल-पुथल का दौर जारी है, जिससे अंतरराष्ट्रीय खेमे में भी भारी चिंता है. सेना का दावा है कि सू ची को मिला जनमत फर्जी था, लेकिन स्वतंत्र चुनाव पर निगाह रखनेवाली संस्थाएं इस दावे पर ऐतबार नहीं करती हैं.

तलाशी के बाद लगाए गए ये आरोप
तख्तापलट वाले दिन ही सू ची को हिरासत में ले लिया गया था. उनके घर की तलाशी के बाद पुलिस के दस्तावेजों में बताया गया कि सू ची के घर से 6 अवैध रूप से आयात किए हुए वॉकी-टॉकी बरामद हुए हैं. अदालत में सू ची के वकीलों ने दलील दी कि ये वॉकी-टॉकी निजी तौर पर सू ची के पास नहीं थे और इनका इस्तेमाल उनकी सुरक्षा के लिए वैध तरीके से किया जा रहा था, लेकिन अदालत ने यह दलील खारिज कर दी.

सू ची पर जितने भी आरोप और मुकदमे हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक सुर में फर्जी करार देते हुए इनकी आलोचना कर चुका है. सू ची के समर्थक कहते हैं कि सैन्य नेतृत्व ये आरोप तख्तापलट को वैधानिकता दिलाने, अपना दावा मजबूत करने और सू ची का राजनीतिक करियर खत्म करने के मकसद से लगा रहा है.

दिसंबर में भी सुनाई गई थी सजा
इससे पहले 6 दिसंबर को सू ची को अपने चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना वायरस संबंधी नियम तोड़ने और लोगों को इसके लिए उकसाने के आरोप में चार साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, कोर्ट के यह फैसला सुनाने के कुछ ही देर बाद सैन्य शासक मिन आंग लेंग ने इस सजा को घटाकर दो साल कर दिया था.

लेंग ने यह भी कहा था कि सू ची चाहें, तो यह सजा अपने घर में नजरबंद रहते हुए भी काट सकती हैं. म्यांमार की जनता ने इस सजा के खिलाफ थाली और बर्तन बजाकर पुराने तरीकों से विरोध जताया था. पिछले सैन्य शासन के दौरान भी सू ची ने ज्यादातर समय यंगून स्थित अपने घर में नजरबंद रहते हुए बिताया था.

म्यांमार में प्रदर्शन और हालात
सू ची को हिरासत में लिए जाने के बाद से ही म्यांमार में अहिंसक विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था. शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में तमाम लोग सड़कों पर आ गए थे, जिनमें युवाओं की संख्या भी खूब थी. लेकिन सेना के विरोध को कुचलने की कोशिशों के साथ ही ये प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिनमें अब तक 1,400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी देश में गृहयुद्ध तक की चेतावनी दे चुके हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच से ताल्लुक रखने वाली मेनी मॉन्ग का कहना है कि सेना का आकलन है कि सू ची को सजा सुनाए जाने से लोगों में डर पैदा होगा, लेकिन इससे जनता में गुस्सा ही और बढ़ रहा है.

सभी बाहरी संपर्कों से कटीं सूची
तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद हिरासत में लिए जाने के बावजूद किसी को सू ची से मिलने नहीं दिया गया है. वह अदालत की सुनवाई से पहले सिर्फ अपने वकीलों से ही मुलाकात कर पाती हैं. अदालत की पिछली सुनवाइयों के दौरान उन्हें सफेद टॉप और भूरी लुंगी पहने हुए देखा गया, जिसे म्यांमार में कैदी पहनते हैं. सैन्य शासक लेंग ने पिछले महीने कहा था कि सू ची और अपदस्थ राष्ट्रपति विन मिंट को मुकदमा चलने तक एक ही जगह रखा जाएगा और जेल नहीं भेजा जाएगा.

राजधानी नेपीदाव में हुई अदालती कार्रवाई में भी किसी मीडियाकर्मी को शामिल नहीं होने दिया गया. पिछले साल अक्टूबर में ही सू ची के वकीलों को मीडिया और जनता से बात करने से रोक दिया गया था. म्यांमार की सदस्यता वाले 'दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ' के विशेष दूत को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई. इसके बाद संघ के अन्य सदस्यों ने मिन आंग को फटकराते हुए उन्हें संघ के सालाना सम्मेलन में शामिल होने से रोक दिया था.

यहां तक कि इस साल समूह की अध्यक्षता संभालने वाले और म्यांमार के सैन्य जनरलों से बातचीत की वकालत करने वाले कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन जब तख्तापलट के बाद म्यांमार जाने वाले पहले राष्ट्र-प्रमुख बने, तब भी वह सू ची से मुलाकात करने में नाकाम रहे.

वीएस/एमजे (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)
 

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