अंतरराष्ट्रीय

रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का जर्मन उद्योग पर क्या असर होगा
01-Mar-2022 1:22 PM
रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का जर्मन उद्योग पर क्या असर होगा

रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों की कार्रवाई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे जर्मनी के उद्योग भी प्रतिबंधों की आंच को महसूस करेंगे. जर्मन उद्योग, ऊर्जा और कच्चे माल के लिए फिलहाल रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर है.

   डॉयचे वैले पर निखिल रंजन की रिपोर्ट-

बीते सालों में जर्मनी और रूस के उद्योग जगत के बीच काफी करीबी संबंध रहे हैं. दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ मिल कर उद्योग और कारोबार को बढ़ाया है. यूक्रेन पर हमले के बाद जब जर्मनी रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है तो सवाल उठता है कि जर्मन उद्योग जगत पर इसका क्या असर होगा.

सबसे बड़ी समस्या तो ऊर्जा को लेकर है. जर्मनी अपनी ऊर्जा जरूरतों का 25 फीसदी हिस्सा प्राकृतिक गैस से पूरा करता है. नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन की तो बात ही छोड़िए फिलहाल यूक्रेन से हो कर जो पाइपलाइन गैस ला रही है, उससे जर्मनी की 55 फीसदी गैस की जरूरतें पूरी होती है. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद फिलहाल इस पाइपलाइन से सप्लाई पर कोई असर नहीं पड़ा है लेकिन हालात कभी भी बदल सकते हैं. बाल्टिक सागर से हो कर आने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन बन कर तैयार है लेकिन अब इसके निकट भविष्य में चालू होने की संभावनाओं पर पूर्ण विराम लग चुका है.

जर्मनी और रूस का कारोबारी रिश्ता
जर्मन सांख्यिकी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रूस के साथ जर्मनी का व्यापार 2021 में 34 फीसदी बढ़ गया. इसमें भी ज्यादा इजाफा आयात में हुआ है जो पिछले साल के मुकाबले 54 फीसदी बढ़ा. ऊर्जा की बढ़ी कीमतों का भी इसमें बड़ा योगदान है क्योंकि रूस से जर्मनी जो खरीदता है उसमें 59 फीसदी हिस्सा केवल कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का है.

राजनीतिक तनाव बढ़ने के बावजूद रूस और जर्मनी के बीच कारोबार बढ़ता रहा और महामारी वाले साल 2020 में घटने के बाद 2021 में  काफी तेजी से बढ़ा. दोनों देशों के बीच 2021 में कुल 59.8 अरब यूरो का कारोबार हुआ. इसमें से जर्मनी ने 33.1 अरब यूरो का सामान आयात किया.

जर्मनी और रूस के बीच जिन सामानों का व्यापार होता है उसमें मुख्य रूप से कच्चा माल, गाड़ियां और मशीनरी शामिल है. 2021 में जर्मनी ने 19.4 अरब यूरो का तेल और गैस रूस से खरीदा था. इसके साथ ही रूस ने 4.5 अरब यूरो के धातु, 2.8 अरब यूरो के कोक और रिफाइंड पेट्रोलियम प्रॉडक्ट और 2.2 अरब यूरो का कोयला जर्मनी को बेचा था.

जर्मन उद्योग पर असर
जर्मन खरीदारी की सूची बता रही है कि यूक्रेन युद्ध का असर जर्मन उद्योग जगत पर काफी ज्यादा पड़ेगा और राजनीतिक हालात जिस तरह से करवट ले रहे हैं उसमें इस संकट के खत्म होने की समय सीमा तय करना तो और मुश्किल है.

जर्मनी का उद्योग जगत पहले से ही कई चीजों की कमी झेल रहा है, खासतौर से ऑटोमोबाइल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सेक्टर में. जर्मन चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स एसोसिएशन के प्रमुख पीटर आड्रियान का कहना है कि पैलेडियम जैसे कच्चे माल की बड़ी कमी होगी जिसका इस्तेमाल कार के कैटेलिटिक कंवर्टर में होता है. दक्षिण अफ्रीका के बाद रूस पैलेडियम का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर है. आड्रियान का कहना है, "अगर इसकी रूस से सप्लाई नहीं आती है तो अर्थव्यवस्था के अलग अलग क्षेत्रों में इसकी वजह से बड़ी बाधा पैदा होगी." इसकी वजह से कारों की डिलीवरी में देर होगी.

जर्मन कंपनियां पहले से ही मुश्किल में
जर्मन ऑटोमोटिव कंपनियों की दिक्कत कई महीनों से चली आ रही है. म्युनिख के इफो इंस्टीट्यूट ने फरवरी में कंपनियों का सर्वे किया था. इनमें से तीन चौथाई कंपनियों ने कच्चे माल और इंटरमीडिएट सामानों को हासिल करने में हो रही दिक्कतों की शिकायत की थी. पिछले महीने की तुलना में फरवरी में स्थिति और ज्यादा खराब हो गई. इससे पहले के महीने में 2300 कंपनियों के सर्वे में 67.3 फीसदी लोगों ने ऐसी शिकायत की थी. इफो में सर्वे के प्रमुख क्लाउस वोह्लराबे का कहना है, "स्थिति बदलने की उम्मीद नाकाम हो गई." वोह्लराबे का कहना है कि कच्चे माल की कमी सारे सेक्टरों में फिर से बढ़ गई है.

इफो के मुताबिक ऑटोमोटिव और मैकेनिकल इंजीनियरिंग उद्योग की 89 फीसदी कंपियों ने सप्लाई चेन की दिक्कतों की शिकायत की है. इसके बाद बारी आती है डाटा प्रोसेसिंग और इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रिक सामान बनाने वाली कंपनियों की. इनमें से हरेक सेक्टर में 88 फीसदी कंपनियों का यही हाल है.

जर्मनी को विकल्प ढूंढना होगा
कार कंपनी फॉक्सवागेन ने रूस के हमले को देखते हुए उत्पादन बंद करने या कुछ समय के लिए स्थगित करने की योजना बनाई है.

अमेरिका ने रूस के खिलाफ गुरुवार को निर्यात से जुड़े प्रतिबंदों का एलान किया. इसमें कमर्शियल इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कंप्यूटर, सेमी कंडक्टर और विमान के पार्ट्स शामिल हैं. इसका असर कंपनियों के उत्पादन पर पड़ेगा और उन्हें सप्लाई का विकल्प ढूंढना पड़ेगा.

इस बीच जर्मन चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया है कि रूस को प्रतिबंधों के कारण जिन चीजों को यूरोप से खरीदने में दिक्कत होगी वह उसे चीन से खरीदने की कोशिश करेगा.

रूस, जर्मनी से गाड़ियां, ट्रेलर, सेमी ट्रेलर, रसायन और रासायनिक सामान खरीदता है. जर्मनी के कुल विदेश व्यापार में रूस की हिस्सेदारी 2.3 फीसदी की है और यह 2021 में 15 सबसे बड़े कारोबारी साझीदारों में एक था. यूरोपीय संघ के बाहर के देशों में जर्मनी का सबसे ज्यादा व्यापार चीन से है जिसके बाद अमेरिका की बारी आती है.

रूस और जर्मनी का कारोबारी रिश्ता आयात निर्यात से आगे भी है. 2021 में रूस के 472 एंटरप्राइज का नियंत्रण 2019 में जर्मन निवेशकों के पास था. इसमें कुल मिला कर 129,000 लोग काम करते हैं और इनका सालाना टर्नओवर 38.1 अरब यूरो का है. यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का दायरा इन सब को अपनी चपेट में लेगा.

मुश्किलें बड़ी हैं और युद्ध लंबा खिंचा तो और बड़ी होंगी. जब प्रतिबंध लगाने वाले देशों की समस्या ऐसी है तो जिस पर प्रतिबंध लग रहा है उसका हाल क्या होगा. (dw.com) 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news