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यूक्रेन युद्ध के साये में तुर्की पहुंचे जर्मन चांसलर
15-Mar-2022 1:21 PM
यूक्रेन युद्ध के साये में तुर्की पहुंचे जर्मन चांसलर

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स तुर्की की संक्षिप्त यात्रा पर अंकारा पहुंचे हैं. यहां उन्होंने तुर्क राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान से मुलाकात की है. चांसलर बनने के बाद वो पहली बार तुर्की पहुंचे हैं.

(dw.com)

शॉल्त्स और एर्दोवान की बातचीत में प्रमुख रूप से रूस और यूक्रेन युद्ध पर चर्चा हुई है. तुर्क राष्ट्रपति के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि यूक्रेन के अलावा दोनों नेता तुर्की और यूरोपीय संघ के रिश्तों के साथ ही आपसी संबंधों पर भी बातचीत करेंगे.

अंकारा पहुंचने के बाद जर्मन चांसलर ने कहा है कि उनका देश यूक्रेन को इस लायक बनाना चाहता है कि वो अपनी रक्षा कर सके. नाटो के सदस्य देश तुर्की का करीबी संबंध रूस और यूक्रेन दोनों से है. तुर्की ने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की पिछले हफ्ते मुलाकात भी करवाई थी. हालांकि इससे कोई नतीजा नहीं निकला था. अब भी कूटनीतिक कोशिशें जारी हैं. शॉल्त्स ने यह भी कहा कि बातचीत

बड़ा कारोबारी रिश्ता
जर्मनी और तुर्की के बीच बड़ा कारोबारी रिश्ता है. 2021 में दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़ कर 41 अरब यूरो के पार हो गया है. जर्मनी में तुर्क मूल के 30 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं जिसकी वजह से दोनों देशों के आपसी रिश्ते प्रगाढ़ बने हुए हैं. हालांकि तुर्की में मानवाधिकार के खराब रिकॉर्ड की वजह से जर्मनी के साथ उसके रिश्तों में तनाव भी रहा है. तुर्की ने कई जर्मन पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया है.

जर्मनी ने तुर्की को यूरोप में आने वाले शरणार्थियों की संख्या को नियंत्रित करने में एक अहम सहयोगी माना है. हजारों लोग जो तुर्की से यूरोप आना चाहते हैं उन्हें वह रोक लेता है. जर्मन सरकार यह भी जानती है कि नाटो का सदस्य होने के कारण तुर्की रणनीतिक रूप से अहम स्थान रखता है.

सहयोग और आलोचना का संतुलन
पूर्व जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने अपने 16 साल के कार्यकाल में तुर्की के साथ रिश्ते में सहयोग और आलोचना के बीच कठिन संतुलन बनाए रखा. उन्होंने एर्दोवान से कई बार मुलाकात की और कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले आखिरी बार बीते अक्टूबर में तुर्की के दौरे पर गई थीं.

चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के लिए भी तुर्की के साथ संबंधों को निभाना एक चुनौती होगी. यूक्रेन के युद्ध से उपजी परिस्थितियां दोनों देशों के लिए चुनौती के साथ ही सहयोग का मौका भी लेकर आई हैं. तुर्की ने यूक्रेन पर हमले को अस्वीकार्य बताया है लेकिन रूस पर पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों में शामिल नहीं हुआ है. तुर्की गैस और सैलानियों से होने वाली कमाई के लिए रूस पर निर्भर है.

जानकारों का कहना है कि पश्चिमी देश तुर्की से प्रतिबंधों में शामिल होने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं. लेकिन इतना जरूर चाहते हैं कि वह कोई और नया ऐसा काम ना करे, जिससे कि रूस को प्रतिबंधों का सामना करने में मदद मिले. जर्मन चांसलर सोमवार की रात ही बर्लिन लौट आएंगे.

एनआर/आरएस(एपी, डीपीए)
 

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