मनोरंजन

KGF के यश की कहानी: घर से भागने से लेकर सुपरस्टार बनने तक
01-Apr-2022 10:44 AM
KGF के यश की कहानी: घर से भागने से लेकर सुपरस्टार बनने तक

'वॉयलेंस...वॉयलेंस.. वॉयलेंस! आई डोंट लाइक इट. आई अवॉइड..बट..वॉयलेंस लाइक्स मी' यह डायलॉग यह बता देता है कि यह किसी मार-धाड़ ऐक्शन से भरपूर फ़िल्म का संवाद हो सकता है. यह डायलॉग है 'केजीएफ़-2' का और यह फ़िल्म कई सितारों और अपने एक्शन की वजह से चर्चा में है और इसके साथ ही सुर्ख़ियों में हैं ऐक्टर यश.

यह मूल रूप से कन्नड़ फ़िल्म है. केजीएफ़ का पहला भाग 2018 में कन्नड़ और हिंदी समेत कई भाषाओं में रिलीज़ हुआ था और फ़िल्म हिट रही थी. केजीएफ़-2 में सुपरस्टार यश के साथ संजय दत्त, रवीना टंडन और प्रकाश राज मुख्य भूमिका में हैं.

यश की फ़िल्मी दुनिया में आने की यात्रा भी सपाट पटकथा वाली फ़िल्म नहीं है. इसमें कई पुट हैं-ड्रामा है, घर से भागने की कहानी है, बैक स्टेज से लेकर हीरो के पर्दे पर आने की कहानी है.

'फ़िल्म कॉम्पैनियन' को दिए एक इंटरव्यू में यश ने कहा था, ''जब मैं नया-नया इस इंडस्ट्री में आया था तो यही सोचता था कि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप किस बैकग्राउंड से आ रहे हैं, कहां से आ रहे हैं. चीज़ें इस बात पर निर्भर करती हैं कि आपको अपना काम आता है या नहीं. दर्शक आपके साथ कनेक्ट कर पाते हैं या नहीं.''

यश की यात्रा नवीन कुमार गौड़ा के रूप में शुरू होती है, लेकिन 'बॉलीवुड हंगामा' के साथ रैपिड फ़ायर में इस नाम से बुलाए जाने के एक सवाल पर वह कहते हैं कि जब उन्हें कोई इस नाम से बुलाए तो उनका पहला रिऐक्शन होगा- 'कौन है ये?' क्योंकि ज़्यादातर लोग उन्हें इस नाम से नहीं जानते हैं.

'द न्यूज़ मिनट' के साथ साक्षात्कार में यश ने बताया था कि उनके पिता बीएमटीसी में बस चालक थे और वह चाहते थे कि उनका बेटा एक सरकारी अधिकारी बने. लेकिन उन्हें कुछ और पसंद था. वह नाटकों और डांस कॉम्पिटीशन में हिस्सा लेते थे और उस दौरान जो सीटियां बजतीं, वही उनके अंदर पल रहे एक कलाकार को ऊर्जा देती थी.

यश के मुताबिक़, वह बचपन से ही ऐक्टर बनना चाहते थे. नाटक और डांस में हिस्सा लेते थे. दर्शकों को ख़श होकर तालियां और सीटियां बजाते देखना उन्हें पसंद था और जब दर्शक ऐसा करते तो उन्हें लगता कि वह हीरो हैं.

इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह घर से भागकर हीरो बनने बेंगलुरु पहुंचे थे, लेकिन वहां क़दम रखते ही वह घबरा गए. उनकी जेब में सिर्फ़ 300 रुपये थे, लेकिन वापस जाने का ख़्याल कुछ ऐसा था कि अगर लौट गए तो फिर घरवाले वापस नहीं भेजेंगे.

वह कहते हैं कि उन्हें संघर्ष से डर नहीं लगा. बेंगलुरु में वह थियेटर के साथ बैकस्टेज काम करने लगे. फ़िल्म इंडस्ट्री का संघर्ष भी साथ-साथ चलता रहा.

यश ने फ़िल्मी दुनिया में अपने करियर की शुरुआत 2008 में बनी कन्नड़ फ़िल्म 'मोगिना मनासु' से की. इस फ़िल्म के लिए उन्हें 'बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्टर' का फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड भी मिला. इसके बाद वह 'राजधानी', 'गजकेसरी', 'मास्टरपीस', जैसी फ़िल्मों से लोकप्रिय होते गए.

अगर निजी जीवन की बात करें तो उनकी शादी अभिनेत्री राधिका पंडित से हुई है. राधिका और यश ने कई इंटरव्यू में यह बताया कि कई साल की डेटिंग के बाद उन्होंने शादी की क्योंकि उन्हें लगा कि वह एक-दूसरे के लिए ही बने हैं. दंपति के दो बच्चे हैं.

यश की ख़्वाहिश

बॉलीवुड में यश नवाज़ुद्दीन सिद्दिक़ी के साथ काम करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें वो बेहतरीन अभिनेता मानते हैं.

शाहरुख ख़ान को वह अपना इंस्पीरेशन (प्रेरणास्रोत) मानते हैं. अमिताभ बच्चन को यश 'ट्रू जेंटलमैन' बताते हैं.

यश अपने पुराने इंटरव्यूज़ में ये कह चुके हैं कि दर्शक शायद उन्हें इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि उनकी यात्रा गांव से आकर हीरो बनने की यात्रा है और यह बात दर्शकों को प्रेरित करती है. (bbc.com)

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news