अंतरराष्ट्रीय
Twitter/@ImranKhanPTI
इमरान ख़ान एक बार फिर पाकिस्तान को संबोधित कर रहे हैं. गुरुवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली को एक बार फिर से बहाल कर दिया था.
इसके बाद से देश की राजनीति पर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं.
अपने ताजा संबोधन में इमरान ख़ान ने क्या-क्या कहा?
26 साल पहले मैंने जो तहरीक-ए-इंसाफ़ शुरू की. तब से मेरे सिद्धांत नहीं बदले हैं. मैंने अपनी पार्टी का नाम इंसाफ़ रखा. मैं ख़ुद्दारी, इंसाफ़ और जनता की भलाई के सिद्धांतों पर चला हूं. आज मैं ख़ुद्दारी और इंसाफ़ पर बात करना चाहता हूं.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से मुझे मायूसी हुई है लेकिन मैं पाकिस्तान की अदालतों और सुप्रीम कोर्ट की इज्जत करता हूं.
मैं आज तक एक बार जेल गया हूं. ये मेरा यक़ीन है कि किसी भी समाज की बुनियाद इंसाफ़ पर होती है और अदालत उस इंसाफ़ की रखवाली होती है. मुझे ये कहते हुए अफ़सोस हुआ है.अदालत का जो भी फ़ैसला है हम उसे स्वीकार करते हैं, लेकिन मुझे उस पर अफ़सोस है.
डिप्टी स्पीकर ने आर्टिकल 5 के तहत नेशनल असेंबली को भंग किया था. ये बड़ा गंभीर आरोप है कि एक बाहरी मुल्क साज़िश करके सरकार को गिराता है. ये बहुत गंभीर आरोप है, कम से कम सुप्रीम कोर्ट को इन आरोपों की जांच तो करनी चाहिए थी. कम से कम सुप्रीम कोर्ट को उस दस्तावेज़ को बुलाकर देखना चाहिए.
ख़ुलेआम राजनेताओं के जमीर ख़रीदे जा रहे हैं. भेड़ बकरियों की तरह उन्हें होटलों में बंद किया जा रहा है. सोशल मीडिया का ज़माना है. बच्चे-बच्चे को पता है कि वो किस क़ीमत में बिक रहे हैं. दुनिया के किस लोकतंत्र में ऐसा होता है.
हम सुप्रीम कोर्ट से ये उम्मीद कर रहे थे कि वो नेताओं की इस ख़रीद-फ़रोख़्त का स्वतः संज्ञान ले. ये किस तरह का लोकतंत्र है जिसमें नेताओं की खुलेआम बिक्री हो रही है.
पाकिस्तान ऐसा देश है जिसकी साठ प्रतिशत से अधिक आबादी तीस साल से कम उम्र की है. अगर हम इन युवाओं को दिशा नहीं देंगे तो वो भी ये समझेंगे कि अगर देश के नेता रिश्वत देकर नेताओं को ख़रीद सकते हैं, तो देश किस तरफ़ जा रहा है.
ये सब शरीफ़ भाइयों ने नेताओं को भेड़ बकरियों की तरह ख़रीदना शुरू किया था और तब से ही सियासत और नीचे जाती जा रही है. जनता की ख़िदमत करने का वादा करके आने वाले नेता बिक रहे हैं.
आरक्षित सीटों से चुने जाने वाले नेता बिक रहे हैं. मैं एक पाकिस्तानी के रूप में बात कर रहा हूं. मैं एक ख़्वाब देखता था कि हमारा पाकिस्तान एक महान देश बनेगा. मेरा ये ख़्वाब अब भी ज़िंदा है.
ये एक संघर्ष है मेरा. इस संघर्ष को इस तमाशे से बहुत धचका लगा है. हमने अदालत का फ़ैसला स्वीकार किया है, लेकिन हम इस बात से मायूस हैं कि पाकिस्तान में जो ये सब खुले आम हो रहा है, इसे लेकर कोई गंभीर नहीं है. सब तमाशा देख रहे हैं
मैंने दुनिया देखी है. बीस साल इंग्लैंड में रहा हूं. किसी पश्चिमी देश में मैंने ऐसा नहीं देखा है. वहां ना कोई किसी को ख़रीदने का सोच सकता है और ना कोई बिकता है क्योंकि समाज उसके ख़िलाफ़ खड़ा हो जाता है.
ये समाज की ज़िम्मेदारी है कि वो बुराई को रोके. जब बुराई को रोका नहीं जाता है तो वो समाज में फैल जाती है. जिस तरह से पश्चिमी देशों के लोग इंसाफ़ के लिए और बुराई के ख़िलाफ़ खड़े होते हैं, हमारे लोग नहीं होते.
ब्रितानिया में मैंने इराक़ युद्ध के ख़िलाफ़ मार्च में हिस्सा लिया. बीस लाख लोग इस मार्च में शामिल थे. उस युद्ध से ब्रितानिया को फ़ायदा हो रहा था लेकिन देश के लोग उसके ख़िलाफ़ खड़े हो गए थे. मैं अपने देश के लोगों से आह्वान करता हूं कि उन्हें भी अपने आप को और अपने देश के भविष्य को बचाना होगा. कोई बाहर से हमें बुराई के ख़िलाफ़ बचाने नहीं आएगा, हमें ख़ुद खड़ा होना होगा.
हम 22 करोड़ लोग हैं. ये हमारी कितनी बेइज्जती है कि वो अधिकारी हमारे देश को हुक्म दे रहा है. वो कह रहा है कि अगर आपका प्रधानमंत्री बच जाता है तो आपको परीणाम झेलने पड़ेंगे और अगर ये हार जाता है तो हम आपको माफ़ कर देंगे. मैं पाकिस्तान के लोगों से सवाल करना चाहता हूं कि अगर हमें ऐसे ही रहना है तो फिर हम अपनी आज़ादी का जश्न क्यों मनाते हैं. बाहर के देश हमें हुक्म दे रहे हैं. वो हमारे प्रधानमंत्री को हटाने के लिए कह रहे हैं.
मीडिया के अंदर पैसा चल रहा है. मीडिया को भी शर्म नहीं आ रही. सबको पता है कि एक पार्टी के लिए चुने गए लोग दूसरी पार्टी में जा रहे हैं. मीडिया को भी सब पता है. इस बात का जश्न मनाया जा रहा है कि सरकार गिर रही है. हमें धीरे-धीरे चीज़ें पता चलनी शुरू हुई हैं.
अमेरिका के राजनयिक हमारे लोगों से मिल रहे हैं. चंद महीने पहले अमेरिकी अधिकारियों ने हमारे नेताओं को बताया कि इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव आ रहा है. मैं अपने देश के लोगों से ये कहना चाहता हूं कि हम क्या चाहतें हैं. क्या हम आज़ाद और खुद्दार क़ौम बनकर रहना चाहते हैं या किसी के ग़ुलाम बनकर रहना चाहते हैं.
इमरान ने फिर की भारत की तारीफ़
मैं हिंदुस्तान को बाक़ी लोगों से बेहतर जानता हूं. मेरे वहां संबंध हैं. मुझे अफ़सोस है कि आरएसएस की विचारधारा और कश्मीर के हालात की वजह से हमारे संबंध ख़राब हुए हैं.
किसी की जुर्रत नहीं है कि भारत के बारे में ऐसी बात करें. किसी विदेशी ताक़त की हिम्मत नहीं है कि वो भारत की विदेश नीति में दख़ल दे सके. भारत एक ख़ुद्दार देश है.
भारत की विदेश नीति स्वतंत्र हैं और हर दबाव को दरकिनार कर वो रूस से तेल ले रहा है.
शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील
आपने सबने ईसा की नमाज़ के बाद परसों (रविवार को) निकलना है और एक ज़िंदा क़ौम की तरह शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना है. प्रदर्शन में तोड़फोड़ नहीं करनी है बल्कि आपको बताना है कि आप अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए निकले हैं.
ये जो बाहर से साज़िश करके, ज़मीर ख़रीदकर जो ड्रामा हो रहा है, इसका आपको विरोध करना है. ये आपका फ़र्ज़ है. इससे पता चलेगा कि पाकिस्तान एक ज़िंदा क़ौम है. इतिहास कभी किसी को माफ़ नहीं करता है. कौन क्या भूमिका निभा रहा है, इतिहास इसे साफ़ कर देता है. सुप्रीम कोर्ट के कौन से फ़ैसले अच्छे हैं और कौन से देश के हित में नहीं हैं, ये इतिहास बता देता है.
आपको एक आज़ाद क़ौम की तरह खड़ा होना है. ज़िंदा क़ौमें खड़ी होती हैं. पाकिस्तान के लोगों ने ला इलाहा इल्लाह के लिए क़ुर्बानियां दी थीं, इसलिए नहीं कि कोई बाहर से आकर सरकार हम पर थोप दे और हम ग़ुलामी करें. आपको पाकिस्तान के उस ख़्वाब के लिए परसों ईसा की नमाज़ के बाद बाहर निकलना है और प्रदर्शन करना है.
मैं भी लोगों के बीच में रहूंगा और किसी क़ीमत पर ये क़ुबूल नहीं करूंगा कि बाहर की कोई ताक़त पाकिस्तान में हस्तक्षेप करें. पाकिस्तान ज़िंदाबाद. (bbc.com)