अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान की कमान शहबाज़ शरीफ़ को मिल गई है. शहबाज़ शरीफ़ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के छोटे भाई और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के प्रमुख हैं.
पाकिस्तान में हुए इस सत्ता परिवर्तन की चर्चा दुनिया भर के मीडिया में काफ़ी हो रही है.
शहबाज़ शरीफ़ के प्रधानमंत्री बनने पर अरब न्यूज़ ने लिखा है, ''नए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की पहचान एक प्रभावी प्रशासक की रही है. इमरान ख़ान की पार्टी के सदस्यों ने संसद से इस्तीफ़ा दे दिया है. इमरान ख़ान नई सरकार पर जल्द से जल्द चुनाव कराने का दबाव डाल रहे हैं.''
''यह नए स्पीकर पर निर्भर करेगा कि इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के सदस्यों का इस्तीफ़ा स्वीकार करते हैं या नहीं. चुनाव आयोग का कहना है कि अक्टूबर से पहले चुनाव संभव नहीं है. पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के बीच वहाँ के शेयर मार्केट में 1,429.52 अंकों का उछाल देखा गया. इसके अलावा डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपया भी मज़बूत हुआ है.''
शहबाज़ शरीफ़ ने प्रधानमंत्री बनने के बाद जो पहला भाषण दिया उसमें सऊदी अरब, तुर्की, चीन और यूएई का नाम लिया. उन्होंने भारत का भी नाम लिया लेकिन कहा कि बिना कश्मीर मुद्दे के समाधान के रिश्ते पटरी पर नहीं आएंगे. इमरान ख़ान भी जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने तुर्की, सऊदी, चीन और यूएई से क़रीबी बढ़ाने की कोशिश की थी.
चीन के अंग्रेज़ी अख़बार ग्लोबल टाइम्स को वहाँ की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माना जाता है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीन और पाकिस्तान के संबंध के लिए इमरान ख़ान से बेहतर शहबाज़ शरीफ़ हो सकते हैं.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ''चीन और पाकिस्तान के विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन से दोनों देशों के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. शरीफ़ परिवार की लंबे समय से पाकिस्तान और चीन के संबंधों को मज़बूत करने में अहम भूमिका रही है. शहबाज़ शरीफ़ दोनों देशों के संबंधों के लिए इमरान ख़ान की सरकार से भी ज़्यादा अच्छे हो सकते हैं.''
तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलु ने लिखा है कि शहबाज़ शरीफ़ को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने पर बधाई संदेश भेजा है. अनादोलु के अनुसार, अर्दोआन ने फ़ोन करके बधाई दी है. अर्दोआन ने कहा है कि दोनों देशों के बीच गहरे संबंध हैं और आने दिनों में यह और मज़बूत होगा.
अर्दोआन ने कहा, ''तमाम मुश्किलों के बावजूद पाकिस्तान ने ख़ुद को लोकतंत्र से दूर नहीं किया और क़ानून-व्यवस्था बनी रही. तुर्की पाकिस्तान को हर मोर्चे पर मदद करने के लिए तैयार है.''
अर्दोआन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहबाज़ शरीफ़ को बधाई देने वाले पहले विश्व नेताओं में से हैं. पीएम मोदी की बधाई पर यूएई के हसन सजवानी ने लिखा है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने शहबाज़ शरीफ़ को बधाई देने में 'हिज एक्सलेंसी' टर्म का इस्तेमाल किया है. हिज़ एक्सलेंसी किसी देश के पुरुष प्रमुख के लिए किया जाता है.
जापान टाइम्स ने लिखा है कि शहबाज़ शरीफ़ का रुख़ मध्यमार्गी होगा. इमरान ख़ान ने खुलकर कहा था कि अमेरिका ने उनकी सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश की थी और नई सरकार अमेरिका की कठपुतली होगी. शहबाज़ शरीफ़ जब पाकिस्तानी प्रांत पंजाब के मुख्यमंत्री थे तब मिफ़्ताह इस्माइल वित्त मंत्री थे. उन्होंने ब्लूमबर्ग से कहा है, ''शहबाज़ शरीफ़ सभी देशों से दोस्ती रखना चाहते हैं. हम चीन, अमेरिका और रूस तीनों से दोस्ती रखना पसंद करेंगे.''
जापान टाइम्स ने लिखा है कि इमरान ख़ान ने अपनी विदेश नीति में अमेरिका को बिलकुल हाशिए पर रखा था लेकिन शहबाज़ शरीफ़ ऐसा नहीं करेंगे. शहबाज़ शरीफ़ एक बार फिर से आईएमएफ़ से बातचीत शुरू कर सकते हैं. आईएमफ़ से पाकिस्तान को तीन अरब डॉलर का फंड अब भी मिलना है.
ब्लूमबर्ग से वॉशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया के सीनियर फेले माइकल कगलमैन ने कहा, ''शहबाज़ की पहचान एक सीनियर प्रबंधक और नेता की रही है लेकिन वह कभी प्रधानमंत्री नहीं रहे. शहबाज़ शरीफ़ के सामने भी आर्थिक चुनौतियां हैं और वह भी गठबंधन सरकार के मुखिया हैं. इमरान ख़ान ने आरोप लगाया था कि अमेरिका ने साज़िश के तहत उनकी सरकार को गिरा दिया. इस पर शहबाज़ शरीफ़ ने कहा है कि वह इसकी जांच कराएंगे और इसमें कुछ भी सच्चाई मिलती है तो इस्तीफ़ा दे देंगे.''
नवाज़ शरीफ़ और शहबाज़ शरीफ़ 1999 के बाद सऊदी अरब और लंदन में निर्वासन के तौर पर क़रीब सात सालों तक रहे हैं. जापान टाइम्स ने लिखा है कि शहबाज़ शरीफ़ की एक पहचान यह भी रही है कि वह सरकारी दफ़्तरों में अचानक दस्तक दे देते थे. पंजाब की राजधानी लाहौर के विकास में शहबाज़ शरीफ़ की अहम भूमिका मानी जाती है. लाहौर में रोड नेटवर्क फैलाने में शहबाज़ शरीफ़ का नाम लिया जाता है.
नवाज़ शरीफ़ को ही चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का श्रेय दिया जाता है. इस्माइल ने जापान टाइम्स से कहा कि शहबाज़ शरीफ़ बिज़नेस फ्रेंडली नेता हैं और उनके नेतृत्व में सीपीईसी के काम में और तेज़ी आएगी.
लंदन के अख़बार द गार्डियन से पाकिस्तानी पत्रकार सिरिल अलमेडिया ने कहा है, ''शहबाज़ शरीफ़ का यह पुराना सपना था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनें और अपनी प्रशासनिक क्षमता के साथ राजनीतिक कुशलता का परिचय दें. 2013 में ही वह प्रधानमंत्री बनना चाहते थे लेकिन उनके भाई ने उन्हें पंजाब में ही रखा था.''
द गर्डियन ने लिखा है, ''70 साल के शहबाज़ शरीफ़ पहले परिवार का कारोबार संभालते थे और उन्होंने 1988 में राजनीति में दस्तक दी थी. 1997 में वह पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री बने. लेकिन 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ़ ने तख़्तापलट किया तो शरीफ़ परिवार को सऊदी अरब जाना पड़ा. 2007 में शहबाज़ शरीफ़ वापस आए थे और फिर से पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे.''