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नेपाल में भी श्रीलंका वाले संकट की आशंका से बढ़ी चिंता
14-Apr-2022 8:21 AM
नेपाल में भी श्रीलंका वाले संकट की आशंका से बढ़ी चिंता

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-संजय धकाल

भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के आर्थिक हालात पिछले कई दिनों से लगातार ख़राब होते गए हैं. देश में ज़रूरी सामानों के साथ दवाइयों की घोर कमी हो गई है. इससे परेशान लोग कई दिनों से सड़कों पर उतरकर मौजूदा सरकार का जमकर विरोध कर रहे हैं.

दूसरी ओर भारत के दूसरे पड़ोसी देश नेपाल की भी आर्थिक दशा चिंता का कारण बनती नज़र आ रही है.

ऐसा नहीं कि नेपाल में ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात अचानक पैदा हो गए. आँकड़ों के अनुसार, 16 जुलाई से शुरू हुए मौजूदा वित्त वर्ष (2021-22) के प्रारंभ से ही देश के कई आर्थिक संकेतकों में गिरावट आनी शुरू हो गई थी.

कोरोना महामारी और यूक्रेन संकट के दौर में उच्च महंगाई दर आम लोगों को बहुत परेशान कर रही है. उधर देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी की देखने को मिल रही है.

मौजूदा वित्त वर्ष के बीते आठ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में क़रीब 17 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है.

मार्च 2022 के मध्य में देश का विदेशी मुद्रा भंडार महज़ 975 करोड़ डॉलर यानी 1.17 लाख करोड़ नेपाली रुपए (तब एक डॉलर क़रीब 121 नेपाली रुपए के बराबर था​) रह गया. हालांकि पिछले साल जुलाई के मध्य में यह भंडार 1,175 करोड़ डॉलर यानी 1.4 लाख करोड़ नेपाली रुपए का था.

विदेशी मुद्रा भंडार उपयोगी क्यों
विदेशों से सामान आयात करने के लिए किसी देश को विदेशी मुद्रा की ज़रूरत होती है. नेपाल का जो मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार है, उससे अगले 6.7 महीने तक विदेशी वस्तुओं का आयात आराम से हो सकता है.

पारं​परिक तौर पर माना जाता है कि किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम से कम 7 महीने के आयात के लिए पर्याप्त होना चाहिए.

इसका मतलब ये हुआ कि पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार उस अहम और रणनीतिक स्तर के नीचे चला गया है. जानकारों के मुताबिक़, नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की ये एक बड़ी वज़ह है.

उधर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन पर हमले के चलते पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़ते दामों को देखते हुए विदेशी मुद्रा भंडार के अभी और कम होने की आशंका है.

पिछले दो सालों के दौरान कोरोना महामारी और अब बढ़ते आयात ख़र्च के चलते नेपाल का व्यापार घाटा बढ़कर 1.29 लाख करोड़ नेपाली रुपए तक जा पहुँचा है. नेपाली अर्थव्यवस्था के लिए यह भी चिंता की बात है.

यही वजह है कि नेपाल सरकार और वहाँ के केंद्रीय बैंक यानी नेपाल राष्ट्र बैंक ने ''सोना, गाड़ियों जैसे लग्ज़री सामानों के आयात को हतोत्साहित किया है.''

देश के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने सोमवार को बताया कि सरकार समस्या पर क़ाबू पाने के उपायों पर विचार कर रही है. उनके अनुसार, सरकार 'ग़ैर-ज़रूरी इलेक्ट्रॉनिक सामानों' सहित महंगे सामानों के आयात को अस्थायी रूप से नियंत्रित करने की सोच रही है.

नेपाल सरकार ने ये भी कहा है कि वो पेट्रोलियम उत्पादों की खपत को कम करने के उपाय भी खोज रही है.

वहाँ की कैबिनेट के पास एक प्रस्ताव आया है कि देश में फ़िलहाल हफ़्ते में एक के बजाय दो छुट्टियां दी जाएं. नेपाल में केवल शनिवार को छुट्टी देने की परंपरा है, लेकिन ताज़ा प्रस्ताव यदि मंज़ूर हो गया तो आगे शनिवार के साथ रविवार को भी छुट्टी होगी.

नेपाल को ये दिन इसलिए भी देखने पड़ रहे हैं कि उसकी अर्थव्यवस्था के दो सबसे अहम स्तंभों- नागरिकों द्वारा विदेशों से भेजी जाने वाली आय और पर्यटन से होने वाली कमाई, पर कोरोना महामारी का तगड़ा असर हुआ है.

दूसरी ओर एक नाटकीय घटनाक्रम के बीच सरकार ने नेपाल राष्ट्र बैंक के गवर्नर को बर्ख़ास्त करने का फ़ैसला किया है. अब उन पर लगे 'आरोपों' की जाँच की जाएगी.

सरकार ने कहा, चिंता की बात नहीं
इन सभी तथ्यों को देखते हुए कई आ​र्थिक विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि नेपाल भी जल्द ही श्रीलंका के रास्ते पर जा सकता है. हालांकि वहाँ के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने ऐसी चिंताओं को ख़ारिज कर दिया है.

वित्त मंत्री ने सोमवार को गर्वनर को बर्ख़ास्त करने के अपने फ़ैसले का बचाव करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. इसमें उन्होंने कहा कि जाँच के दौरान केंद्रीय बैंक के गवर्नर पर लगे सभी आरोपों को सार्वजनिक किया जाएगा.

उन्होंने उन चिंताओं को भी ख़ारिज कर दिया कि नेपाल भी श्रीलंका के रास्ते पर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "मुझे आश्चर्य है कि लोग श्रीलंका से हमारी तुलना क्यों कर रहे हैं." जनार्दन शर्मा ने कहा कि नेपाल की आर्थिक स्थिति अच्छी है.

नेपाल के लिए कुल सार्वजनिक कर्ज़ का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि ये दक्षिण एशिया या दूसरी जगह के देशों की तुलना में बहुत कम है.

मालूम हो कि श्रीलंका में यही आँकड़ा उसकी जीडीपी का 120% है. वहीं नेपाल पर अभी जीडीपी के मुक़ाबले केवल 43.4 प्रतिशत का सार्वजनिक कर्ज़ है.

मौजूदा वित्त वर्ष में नेपाल को 33 करोड़ डॉलर का कर्ज़ भी लौटाना है. इसके लिए भी उसे विदेशी मुद्रा भंडार की ज़रूरत है.

नेपाल और श्रीलंका के महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों की तुलना:
आर्थिकसंकेतकश्रीलंकानेपाल

जनसंख्या 2.17 करोड़ 2.9 करोड़

अर्थव्यवस्था का आकार 8,000 करोड़ डॉलर3,500 करोड़ डॉलर

विदेशी मुद्रा भंडार 200 करोड़ डॉलर958 करोड़ डॉलर

सार्वजनिक कर्ज़ जीडीपी का 120%जीडीपी का 43%

इस साल लौटाने वाले विदेशी कर्ज़ 400 करोड़ डॉलर 33 करोड़ डॉलर

महंगाई दर 14% 7%

(bbc.com)

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