अंतरराष्ट्रीय

अमेरिकी प्रोफ़ेसर ने भारत को दी गाली, मचा हंगामा
14-Apr-2022 8:22 AM
अमेरिकी प्रोफ़ेसर ने भारत को दी गाली, मचा हंगामा

 

अमेरिका की पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी की एक प्राध्यापिका ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में भारत के बारे में कुछ टिप्पणियाँ की हैं जिसे लेकर हंगामा हो रहा है.

प्रोफेसर एमी वैक्स ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान भारत के ख़िलाफ़ अपशब्दों का प्रयोग किया. उन्होंने साथ ही दक्षिण एशिया से अमेरिका पहुंचने वाले लोगों से लेकर ब्राह्मण महिलाओं के प्रति भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है.

इस इंटरव्यू की क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं और भारतीय और अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोग उनके इस बयान की निंदा कर रहे हैं.

क्या बोली हैं एमी वैक्स
एमी वैक्स ने बीती 8 अप्रैल को अमेरिकी टीवी चैनल फॉक्स न्यूज़ के एंकर टकर कार्लसन को दिए इंटरव्यू में भारतीय आप्रवासियों की आलोचना की है.

उन्होंने इस इंटरव्यू में कहा कि 'पश्चिमी लोगों की बेहतरीन उपलब्धियों एवं भारी योगदान की वजह से ग़ैर पश्चिमी लोगों में उनके ख़िलाफ़ भारी नाराज़गी और शर्म का भाव है'.

उन्होंने एशिया, दक्षिण एशिया और भारतीय लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें यहां बेहतरीन शिक्षा और शानदार अवसर मिलते हैं लेकिन इसके बदले में वे अमेरिका की आलोचना करते हैं.

प्रोफेसर एमी वैक्स ने कहा, "ये अजीब सी बात है कि एशियाई, दक्षिण एशियाई और भारतीय डॉक्टर पेन्सिल्वेनिया की चिकित्सा सेवा में काम करते हैं. मैं वहां लोगों को जानती हूं और मुझे पता है कि वहां क्या हो रहा है. वे नस्लवाद के ख़िलाफ़ जारी मुहिम को लेकर मोर्चा संभाले हुए हैं. वे अमेरिका को दोष देते रहते हैं जैसे कि अमेरिका एक दुष्ट नस्लवादी जगह है."

इसके बाद उन्होंने भारतीय ब्राह्मण महिलाओं पर भी टिप्पणी करते हुए उनकी आलोचना की.

उन्होंने कहा, "भारत से आने वाली महिलाएं सफलता की सीढ़ियां चढ़ती हैं. उन्हें बेहतरीन शिक्षा मिलती है. हम उन्हें बेहतरीन अवसर देते हैं. और वे पलटकर हम पर ही आरोप लगा देते हैं कि हम नस्लवादी हैं, ख़राब देश हैं जिसमें सुधार की ज़रूरत है. और हमारे मेडिकल सिस्टम को सुधार की ज़रूरत है. समस्या ये है कि उन्हें ये सिखाया गया है कि वे दूसरों से बेहतर हैं क्योंकि वे ब्राह्मण उच्चकुलीन (परिवार से) हैं."

ये कहने के बाद उन्होंने भारत के संदर्भ में कुछ ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया जिसे गाली समझा जाता है.

सोशल मीडिया पर मचा बवाल
एमी वैक्स का ये बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं.

जहां एक ओर तमाम लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं, वहीं भारत में दलितों-शोषितों और वंचितों की आवाज़ बनने वाले वैक्स के इस बयान के प्रति सहमति जता रहे हैं.

भारत में दलित राजनीति पर लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है, "भारत में शोषण करने वाली जाति बेहद चतुराई से अमेरिका में काले लोग बन जाते हैं (और खुद को पीड़ित के रूप में पेश करते हैं). काले, मूल अमेरिकी लोगों और एक हद तक हिस्पैनिक लोगों ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया है. सवर्ण हिंदू लोग उन पदों को हथिया रहे हैं जो वास्तव में काले लोगों, हिस्पैनिक्स या मूल अमेरिकियों के पास जाने चाहिए थे."

वहीं, लेखक और पत्रकार सदानंद धूमे ने इस मामले पर अलग तरह का ट्वीट किया है.

उन्होंने लिखा है, "कुछ भारतीय अप्रवासी एमी वैक्स की व्याख्या में फिट होते हैं जो लगातार अमेरिका की आलोचना करते रहते हैं. उनसे ये पूछना जायज़ है कि अगर वे इस देश को इतना बुरा मानते हैं तो वे यहां क्यों आए? लेकिन मेरे अनुभव में ऐसे लोग काफ़ी कम हैं. ज़्यादातर लोग उन अवसरों के प्रति शुक्रगुज़ार हैं जो अमेरिका ने उन्हें दिए हैं."

पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर असीम शुक्ला ने ट्वीट करके लिखा है, "एमी वैक्स, हम में से कुछ भारतीय अमेरिकी डॉक्टर अमेरिका के हेल्थकेयर सिस्टम को मजबूत बनाने में अपना योगदान देते हैं. ऐसे में हमें आलोचना करने का भी अधिकार है."

पेनसिल्वेनिया के क़ानून विभाग में लेक्चरर नील मखीजा ने भी एमी की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है.

उन्होंने कहा है कि प्रोफेसर एमी पेन मेडिसिन में ब्राउन चेहरे देखती हैं और उनसे पूछना चाहती हैं कि वे यहां क्यों आए हैं, जबकि ज़्यादातर अमेरिका में ही पैदा हुए हैं और अपनी पूरी ज़िंदगी अमेरिका में रही हैं. और शायद यही लोग उनका इलाज भी करेंगे अगर वे अस्पताल में भर्ती होती हैं.

पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के कानून विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत एमी वैक्स एक जानी-मानी वकील हैं.

न्यूयॉर्क के यहूदी परिवार में जन्म लेने वालीं एमी वैक्स के माता-पिता पूर्वी यूरोप से निकलकर अमेरिका पहुंचे थे. ये तथ्य उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में साझा किया था.

इसके साथ ही एमी वैक्स ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता ने शुरुआती दिनों में कपड़े बनाने की फैक्ट्री में काम किया था. और उनकी मां एक टीचर थीं.

और इसी इंटरव्यू में उन्होंने खुद की व्याख्या एक वर्किंग क्लास गर्ल यानी मध्यम वर्गीय समाज की महिला के रूप में की थी.

अमेरिका की प्रतिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से बायो-फिजिक्स और बायोकैमिस्ट्री में पढ़ाई करने वाली एमी वैक्स ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी दर्शनशास्त्र विषय में पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने हार्वड लॉ स्कूल में कानून की पढ़ाई की.

अमेरिका के बुश और रीगन प्रशासन के साथ काम कर चुकीं एमी बैक्स पहले भी अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में आ चुकी हैं.

इससे पहले वह अमेरिका में एशियाई लोगों की मौजूदगी और एशिया अप्रवासियों को लेकर दिए गए विवादित बयान को लेकर चर्चा में आ चुकी हैं.

उन्होंने कहा था कि अगर अमेरिका में एशियाई आप्रवासियों का आना कम हो तो ये अमेरिका के लिए बेहतर रहेगा. (bbc.com)

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