अंतरराष्ट्रीय
-विनय झा
नई दिल्ली. स्वदेशी सोशल मीडिया ऐप कू ने अपना एल्गोरिदम सार्वजनिक कर दिया है. यह प्लेटफॉर्म फीड, ट्रेंडिंग, लोगों की रिकमंडेशंस और नोटिफिकेशंस जैसे अपने चार मुख्य एल्गोरिदम के प्रमुख वैरिएबल्स की चर्चा करता है. ये 4 एल्गोरिदम ही यूजर्स की ओर से देखे और इस्तेमाल किए जाने वाले कंटेंट के प्रकार को तय करते हैं. कू के को-फाउंडर और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण के मुताबिक, एल्गोरिदम जारी करना कंपनी की इस प्रतिबद्धता का हिस्सा है कि कू में कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं है. साथ ही, कंपनी की सभी नीतियों को कू की वेबसाइट पर कई भाषाओं में भी समझाया गया है. उन्होंने कहा कि कंपनी की कोशिश अपने सभी यूजर्स को लगातार बताने की है कि कू कैसे संचालित होता है और किस तरह से कंपनी भविष्य के लिए एक सुरक्षित, निष्पक्ष और विश्वसनीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बना रही है. कू की वेबसाइट पर इन एल्गोरिदम को मार्च, 2022 में ही पब्लिक कर दिया गया था.
आप अपने सोशल अकाउंट पर किस तरह का कंटेंट देखना चाहते हैं, अब आप इसे मैनेज कर सकते हैं. इस फीचर के लिए Koo App ने अपना एल्गोरिदम सार्वजनिक कर दिया है और ऐसा करने वाला यह पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है. कू ऐप के इस कदम से यूजर्स सभी कंटेंट को मैनेज कर सकेंगे कि वे क्या देखना चाहते हैं. इस तरह से कू ऐप ने पारदर्शी और सुरक्षित प्लेटफॉर्म के रूप में खुद को एक कदम आगे बढ़ा दिया है. यह यूजर्स को यह जानने का अधिकार देता है कि वे कोई कंटेंट क्यों देख रहे हैं. कू की आधिकारिक वेबसाइट पर इन एल्गोरिदम को मार्च 2022 में ही पब्लिक कर दिया गया था.
कू ने हाल ही में दुनिया में पहली बार स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन का फीचर सभी यूजर्स के पेश किया था. सोशल मीडिया पर कोई आईडी फेक है या असली, इसकी पहचान करना तब बहुत मुश्किल हो जाता है, जब अकाउंट वेरिफाइड न हो. आमतौर पर वीआईपी लोगों के ही खाते वेरिफाई होते हैं, लेकिन हाल ही में कू ने अपना खाता खुद वेरिफाई करने की सुविधा प्रदान की है. खास बात यह है कि दुनिया में सबसे पहले यह फीचर कू ने ही दिया है. इसके लिए आपके पास सिर्फ कोई वैध सरकारी आई़़डी होनी चाहिए. अभी सिर्फ आधार को ही लाइव किया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि कू पर अपने अकाउंट को आधार के जरिए वेरिफाई कर सकते हैं.
राधाकृष्ण और बिदावत ने की थी शुरुआत
अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावत ने 2020 में कू की शुरुआत की थी, ताकि यूजर्स को अपनी बात कहने और भारतीय भाषाओं के प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ने का अवसर मिल सके. यह हिंदी, तेलुगु और बंगाली सहित कई भाषाओं में उपलब्ध है. कू के को-फाउंडर मयंक बिदावत ने कहा, “हम अपने मुख्य स्टेकहॉल्डर्स, यूजर्स और क्रियेटर्स पर बहुत ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. सही क्रियेटर्स की खोज के लिए यूजर्स की मदद करना महत्वपूर्ण है.