अंतरराष्ट्रीय
-रजनी वैद्यनाथन और साइमन फ्रेज़र
श्रीलंका में सत्तारूढ़ राजपक्षे परिवार के एक घर को जला दिए जाने के पूरे देश में कर्फ़्यू लगा दिया गया है. सेना को क़ानून तोड़ने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं.
आर्थिक संकट की वजह से श्रीलंका की सरकार पर जनता का दबाव बढ़ रहा है. श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को इस्तीफ़ा दे दिया था लेकिन इसके बावजूद लोगों को ग़ुस्सा थमा नहीं और दिन भर अराजकता का माहौल बना रहा.
भीड़ ने जिस वक़्त महिंदा राजपक्षे के घर को घेरा था, वो उस वक़्त वहीं मौजूद थे. सुरक्षा पहरे में तड़के हुई कार्रवाई में उन्हें वहां से निकाला गया. सुरक्षा बलों अश्रु गैस और हवा में गोलियां दागनी पड़ी.
श्रीलंका में कर्फ़्यू के बावजूद विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. सोमवार से अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है और 200 लोग घायल हो चुके हैं.
प्रशासन ने हिंसा पर काबू पाने के लिए कर्फ़्यू बुधवार तक बढ़ा दिया है. मंगलवार को राजधानी की सड़कें सूनी थी लेकिन बीती रात हुई हिंसा की निशानी हर जगह महसूस की जा सकती है.
प्रधानमंत्री के घर के बाहर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. कुछ घंटे पहले वहां अफरा-तफरी का माहौल था.
समंदर के किनारे बने पार्क गॉल फेस ग्रीन पर प्रदर्शनकारी अभी भी इकट्ठा हो रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि सरकार समर्थक भीड़ ने उनपर हमला किया है.
प्रदर्शनकारियों के लिए काम कर रहे वकीलों ने बीबीसी को बताया कि वे प्रधानमंत्री के समर्थकों के ख़िलाफ़ केस फ़ाइल कर रहे हैं.
उधर, अधिकारियों ने बताया है कि कोलंबो में दो लोगों ने पुलिस के एक आला अधिकारी पर हमला किया है. उस अफ़सर का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
ऐसी अपुष्ट ख़बरें सामने आई हैं कि महिंदा राजपक्षे ने कोलंबो वाले घर पर हुए हमले के बाद परिवारवालों के साथ देश के पूर्वोत्तर हिस्से में मौजूद त्रिनकोमलाई नौसैनिक अड्डे पर पनाह ले रखी है जिसके बाद नैवल बेस के सामने इकट्ठा हो गए.
रिपोर्टों के मुताबिक़, सोमवार रात श्रीलंका में 50 से ज़्यादा राजनेताओं के घर जला दिए गए.
हालात की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिंदा राजपक्षे के भाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के घर के बाहर भी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद हैं.
उनसे भी पद छोड़ने की मांग की जा रही है.
कुछ दिनों पहले तक श्रीलंका के सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे नलाका गोडाहेवा ने बीबीसी से कहा, "ये किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है. ख़ासकर सत्ता पक्ष से जुड़े राजनेताओं के लिए."
उनका घर भी प्रदर्शनकारियों ने जला दिया है.
महिंदा राजपक्षे को कभी सिंहला बहुसंख्यक वॉर हीरो के तौर पर देखते थे. तमिल मुक्ति चीतों को शिकस्त देने का सेहरा उनके सिर बांधा जाता है. लेकिन आज वे अचानक से खलनायक बन गए हैं.
बहुत से लोग श्रीलंका के आज के हालात के लिए महिंदा राजपक्षे के समर्थकों को भी जिम्मेदार ठहराते हैं.
उनका कहना है कि राजपक्षे समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाया जिसके बाद श्रीलंका में हिंसक झड़पों का सिलसिला शुरू हो गया.
अब तक ये होता आया था कि राजपक्षे परिवार हर मौके पर एक दूसरे के साथ खड़ा दिखता था लेकिन इस बार उनके मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं.
समस्याओं की शुरुआत उस घड़ी शुरू हुई जब गोटाबाया ने परिवार के मुखिया महिंदा से जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा देने के लिए कहा.
श्रीलंका की राजनीति पर सालों तक वर्चस्व बनाए रखने वाला राजपक्षे परिवार इस संकट से कैसे उबर पाएगा, अब ये सवाल सबके सामने है.
श्रीलंका में बढ़ती क़ीमतों और लगातार बिजली कटौती की वजह से पिछले महीने से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
सोमवार को कोलंबो में महिंदा राजपक्षे के टेंपल ट्रीज़ रेज़ीडेंस के बाहर सरकार समर्थक और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई और उसके बाद गॉल फेस ग्रीन पार्क में भी यही हुआ.
पुलिस और दंगा रोधी दस्ते की तैनाती की गई है. सरकार समर्थकों ने जब हद पार की तो पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ भी बल प्रयोग किया.
सरकार समर्थकों के हमले के बाद विरोधी प्रदर्शनकारियों ने बदले की कार्रवाई की. उन्होंने हमला बोला और सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों को निशाना बनाया.
इन्हीं सांसदों में वो भी शामिल थे जिन्होंने भीड़ से सामना होने के बाद दो लोगों को गोली मार दी और पुलिस के मुताबिक़, इसके बाद उन्होंने खुदकुशी कर ली.
जैसे-जैसे रात गुज़री प्रदर्शनकारी भीड़ ने राजपक्षे परिवार, मंत्रियों और सासंदों से जुड़े घरों को आग के हवाले करना शुरू कर दिया.
इसमें दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा शहर में एक गांव में राजपक्षे परिवार का वो घर भी शामिल था जिसे विवादास्पद म्यूज़ियम में बदल दिया गया था.
सोशल मीडिया पर आ रहे फुटेज में आगे में लिपटे घर और शोर-शराबा करते हुए लोग देख देखे जा सकते हैं.
राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास के आस-पास मौजूद घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया है.
नगर निगम के एक जनप्रतिनिधि की अस्पताल में मौत हो गई. उनके घर पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था.
महिंदा राजपक्षे के इस्तीफ़े के बाद प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास में दाखिल होने और आंतरिक सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश की.
उस वक़्त वहां वो अपने कई वफादार सहयोगियों के साथ मौजूद थे.
राजपक्षे के घर के बाहर खड़ी एक बस को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया. पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए हवा में गोलियां चलाईं और आँसू गैस का इस्तेमाल किया.
मंगलवार सुबह राजपक्षे ने कोलंबो छोड़ दिया है और वे किसी ऐसी जगह पर चले गए हैं जिसके बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
कोलंबो में दूसरी जगहों पर भी तनाव बरकरार है. लोगों के हाथों में डंडे और छड़ें देखी जा सकती हैं.
एयरपोर्ट रूट और उन तक पहुंचने वाले रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक कर रखा है. जिस इलाके में पुलिस और सुरक्षा बलों का दिखना आम बात थी, अब वो कहीं नहीं दिख रहे हैं.
साल 1948 में ब्रिटेन से आज़ादी मिलने के बाद से श्रीलंका अब तक के सबसे बदतरीन आर्थिक संकट से गुजर रहा है.
वहां लोग परेशान हैं क्योंकि रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीज़ें बेहिसाब महंगी हो गई हैं.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चुका है. दवाएं, ईंधन और खाने-पीने की चीज़ों की किल्लत हो गई है.
सरकार ने आपातकालीन वित्तीय मदद मांगी है. वो कोरोना महामारी को देश की बदहाली के लिए ज़िम्मेदार ठहरा रही है.
विदेशी मेहमानों से मिलने वाली मुद्रा श्रीलंका के लिए आमदनी का बड़ा जरिया था लेकिन अब वो भी ख़त्म हो चुका है.
लेकिन बहुत से विश्लेषक आर्थिक कुप्रबंधन को भी इन हालात के लिए ज़िम्मेदार मानते हैं. (bbc.com)