खेल

विंबलडन: पीरियड्स, महिला खिलाड़ी और सफ़ेद कपड़े पहनने का तनाव
08-Jul-2022 9:46 AM
विंबलडन: पीरियड्स, महिला खिलाड़ी और सफ़ेद कपड़े पहनने का तनाव

-वंदना

"विंबलडन में खेलते हुए महिला खिलाड़ियों का सफ़ेद कपड़े पहनना और यही सोचते रहना कि उन दो हफ़्तों के दौरान पीरियड्स न आएं,एक अलग किस्म का मानसिक तनाव है."

पूर्व टेनिस ओलंपिक चैंपियन मोनिका पुइग हाल ही में इस बारे में ट्वीट कर इस मुद्दे को उठाया है.

विंबलडन भारत समेत दुनिया भर में देखे जाने वाली अहम प्रतियोगिता है और सफ़ेद कपड़े पहनना यहां की पुरानी परंपरा रही है.

विंबलडन के नियमों के मुताबिक स्कर्ट,शॉर्ट्स और ट्रैकसूट को बिल्कुल सफ़ेद होना चाहिए, सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो एक सेंटीमीटर से ज़्यादा चौड़ी नहीं हो सकती. और सफ़ेद मतलब ऑफ व्हाइट या क्रीम नहीं.

मोनिका पुइग के ट्वीट ने उस बहस को फिर से छेड़ दिया है कि क्या टेनिस और दूसरे खेलों के कुछ नियम महिला खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ जाते हैं, जैसे सफ़ेद कपड़े पहनने की बाध्यता.

सोचिए कि एक तो महिला खिलाड़ी पीरियड्स के दौरान दर्द झेल रही होती हैं और उस पर ये डर कि कहीं सफ़ेद कपड़ों पर पीरियड्स के दाग़ न पड़ जाएं. कई महिला टेनिस खिलाड़ी इस बात को लेकर आवाज़ उठा रही हैं कि पीरियड्स के दौरान सफ़ेद कपड़ों में खेलना उन्हें असहज करता है. उनका तर्क एकदम सही है. बहुत से लोगों का तर्क ये है कि विंबलडन में सफ़ेद कपड़े पहनना पंरपरा का हिस्स है. लेकिन जो सवाल हमें पूछना चाहिए वो ये कि क्या पंरपरा एक महिला खिलाड़ी के कम्फ़र्ट से बड़ी है, वो खिलाड़ी जो कोर्ट पर जाकर खेल रही है

टेनिस हो या दूसरे खेल, कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सफ़ेद कपड़ों को लेकर बने नियमों पर अब सवाल पूछ रही हैं.

सिक्की रेड्डी भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और 2009 से भारत के लिए खेल रही हैं.

उनका कहना है, "किसी भी खिलाड़ी के लिए अच्छा प्रदर्शन करना ही सबसे अहम बात होनी चाहिए लेकिन वो अच्छा प्रदर्शन तभी कर सकते हैं अगर वो सहज महसूस कर रही हों. उन्हें ख़ास किस्म के कपड़े पहनने को कहना महिला खिलाड़ियों की दिक्कतें और बढ़ा सकता है. इसमें सही या ग़लत जैसा कुछ नहीं है. ये निजी च्वाइस की बात है. किसी को भी इसके लिए जज नहीं किया जाना चाहिए."

मैं कैसे कपड़े पहनती हूं ये बाद की बात है. सिर्फ़ मेरी परफ़ॉरमेंस ही अहम होनी चाहिए. मैं जो भी पहनूं वो ऐसी ड्रेस होनी चाहिए जिसमें मैं कम्फ़र्बेटल महसूस करूँ और अच्छा खेलने में मेरे लिए मददगार हो. अपने कपड़ों के लिए जज किया जाना खेल से ध्यान तो भटकाता ही है, ये बेवजह का तनाव है.

सोचा था कि गोली खा लेती हूं ताकि पीरियड्स देर से आएं

पीरयड्स एक ऐसा मुद्दा है जिस पर अब तक ज़्यादातर खिलाड़ी खुल कर बात नहीं करती थीं, और ये बात भारत में ही नहीं विदेशी खिलाड़ियों पर भी लागू है.

ब्रिटेन की हैदर वाटसन मिक्सड वर्ग में पूर्व विंबलडन चैंपियन रह चुकी हैं. बीबीसी स्पोर्ट से बातचीत में उन्होंने बताया, "माहवारी के दौरान सफ़ेद कपड़े पहनने की वजह से विंबलडन में खिलाड़ी इस बात पर बातें करती हैं. खिलाड़ी मीडिया से बात नहीं कर पातीं पर आपस में ये बाते ज़रूर करती हैं. पीरियड्स से बचने के लिए एक बार तो मैंने ये सोचा था कि गोली खा लेती हूँ ताकि विंबडलन के दौरान माहवारी न हो. तो आप समझ सकते हैं कि महिला खिलाड़ियों में किस तरह की बात हो रही है."

महिलाओं के लिए टॉयलेट ब्रेक

सफ़ेद कपड़े और पीरियड्स में दाग़ लगने का डर ही एकमात्र मुद्दा नहीं है, महिला खिलाड़ियों से जुड़े और भी मुद्दों पर बहस हो रही है विंबलडन जैसी किसी भी खेल प्रतियोगिता में मैच के दौरान टॉयलेट ब्रेक लेना वैसे तो सामान्य सी बात है .

लेकिन कई महिला खिलाड़ियों का कहना है कि पुरुष और महिला खिलाड़ियों के लिए नियम एक से नहीं हो सकते और इससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ता है.

वैसे कई विशेषज्ञों मानते हैं कि चाहे पुरुष हों या महिला, टेनिस ग्रैंड स्लैम मैचों में टॉयलट ब्रेक और भी कम कर दिए जाने चाहिए. तर्क ये है कि इस ब्रेक का इस्तेबाल खिलाड़ी अपने लिए अतिरिक्त समय पाने के लिए पेंतरे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.

लेकिन एक महिला टेनिस खिलाड़ी होने के नाते तरुका की राय इससे अलग है.

तरुका कहती हैं, "मान लीजिए कि किसी महिला खिलाड़ी का पीरियड्स का पहला दिन है और वो मैच खेल रही है. अपना सैनेटरी पैड बदलने के लिए उसे पूरा सेट ख़त्म करने का इंतज़ार करना पड़ता है. क्योंकि टॉयलट ब्रेक तो सीमित हैं. महिला खिलाड़ी के लिए ये बहुत ही ख़राब स्थिति हो जाती है महिलाओं की ज़रूरतें.पुरुष खिलाड़ियों से अलग है. विंबलडन के नियमों में बदलाव की ज़रूरत है."

पुरुषों से अलग हैं महिला खिलाड़ियों की ज़रूरतें
नियमों के मुताबिक मैच के दौरान महिला खिलाड़ी के पास तीन मिनट तक का टॉयलट ब्रेक लेने का एक ही मौका होता है- या फिर पांच मिनट अगर उसे पैड या कपड़ने बदलने हैं. ग्रैंड स्लैम के नियमों के मुताबिक अगर महिला खिलाड़ी ने ज़्यादा समय लिया तो सज़ा हो सकती है.

मान लीजिए कि अगर पीरियड्स की वजह से महिला खिलाड़ी अंपायर से एक और टॉयलट ब्रेक की अनुमति लेती है तो उसे ये सबके सामने करना होगा, अंपायर का माइक्रोफ़ोन ऑन होगा या कैमरा चल रहा हो. सबके सामने बात करने में महिला खिलाड़ी शायद सहज महसूस न करे.

'काश! टेनिस कोर्ट पर मैं सिर्फ़ पुरुष होती'

ड्रेस कोड और ब्रेक जैसे मुद्दों के अलावा भी, अलग-अलग खेलों से जुड़ी महिला खिलाड़ी इस पर भी बात कर रही हैं कि कैसे पीरियड्स के कारण उनके प्रदर्शन पर असर पड़ता है.

2022 के फ्रेंच ओपन के अहम मैच में 19 साल की टेनिस खिलाड़ी येंग चिनविन का मैच शायद लोगों को याद होगा. वर्ल्ड नंबर वन खिलाड़ी के खिलाफ़ मैच के दौरान क्रैंप्स हो गए थे. दर्द से जूझ रही येंग चिनविन ने हार के बाद बताया था कि ये क्रैंप्स उन्हें पीरियड्स के कारण हुए थे.

काश टेनिस कोर्ट पर मैं सिर्फ़ मर्द होती, मैच के बाद येंग चिनविन.का ये बयान अपने आप में बहुत कुछ कहता है.

सिर्फ़ टेनिस ही नहीं, हर खेल में महिला खिलाड़ियों को इन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

वेटलिफ़्टर मीराबाई चानू ने पिछले साल ओलंपिक में रजत पदक जीता था और वो 2021 की बीबीसी स्पोर्ट्सवुमेन ऑफ़ द ईयर भी चुनी गईं. मुझे दिए इंटरव्यू में मीराबाई ने बताया था कि ओलंपिक मैच से एक दिन पहले उनके पीरियड्स शुरु हो गए थे और कैसे उन्होंने मानसिक और शारीरिक तौर पर अपने आप को ओलंपिक के बड़े मैच के लिए तैयार किया था.

क्या पंरपरा महिला खिलाड़ी के कम्फ़र्ट से बड़ी है ?
'द टेलीग्राफ़' अख़बार ने पिछले साल भारत-इंग्लैंड महिला क्रिकेट सीरिज़ पर एक रिपोर्ट छापी थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, "भारत और इंग्लैंड के बीच इस मैच में इंग्लैंड की करीब आधी टेस्ट टीम की खिलाड़ियों की माहवारी चल रही थी और एक भारतीय खिलाड़ी की भी. इंग्लैंड की खिलाड़ी टैमी ब्यूमॉन्ट के पीरियड्स का पहला ही दिन था. उन्हें इसी बात का डर था कि टेस्ट मैच के लिए पहने पारंपरिक सफ़ेद कपड़ों पर कहीं दाग़ न लग जाए. और अगर उन्हें बार-बार टॉयलट जाना पड़ा तो ये कैसे होगा. अगर टीवी पर लाइव कवरेज के दौरान उनके कपड़ों पर दाग़ लग गया तो. सात साल में अपने पहले टेस्ट मैच से पहले ये सब तो नहीं ही सोचना चाहती थी."

2020 में बीबीसी के वूमन स्पोर्ट सर्वे के मुताबिक 60 फ़ीसदी खिलाड़ियों ने कहा था कि पीरयड्स के दौरान उनके प्रदर्शन पर असर पड़ता है और 40 फ़ीसदी खिलाड़ी अपने कोच से इस बारे में बात नहीं पातीं.

खेल से जुड़ी कंपनियां क्या कर रही हैं?
हालांकि खेल से जुड़ी कुछ कंपनियाँ इस पर काम कर रही हैं. एडिडास की साइट पर खिलाड़ियों के लिए पीरियड-प्रूफ़ कपड़े उपलब्ध हैं.

साइट पर लिखी जानकारी के मुताबिक ऐसे कपड़ों में एबज़ॉरबेंट लेयर और लीकप्रूफ़ मेंबरेन का इस्तेमाल होता है ताकि लीकेज न हो. बीबीसी स्पोर्ट्स से बातचीत में एडिडास ने बताया कि वो महिलाओं की ख़ास ज़रूरतों को ध्यान में रखकर प्रोडक्ट बना रही है.

विंबलडन का बयान
विंबलडन की ही बात करें तो महिला खिलाड़ियों के मुद्दे कई सारे हैं लेकिन सब खिलाड़ी खुलकर बात करने में सहज महसूस नहीं करतीं. कुछ इसलिए क्योंकि समाज के कई तबकों में पीरियड्स जैसे मुद्दे आज भी चर्चा के दायरे से बाहर हैं और कुछ इसलिए कि उन पर पीरियड्स का बहाना बनाने का इल्ज़ाम न लगे.

हालांकि विंबलडन ने अपनी ओर से बयान दिया है और कहा है, "हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि महिलाओं की सेहत को प्राथमिकता मिले और निजी ज़रूरतों के हिसाब से महिला खिलाड़ियों को सहूलियत मुहैया करवाई जाए. विंबलडन में खेल रहे खिलाड़ियों की सेहत का ध्यान रखना और देखभाल करना हमारे लिए अहम है."

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेनिस खेल चुकी तरुका श्रीवास्तव इस पूरी बहस को कुछ यूं समेटती हैं, "बहुत से लोगों का तर्क ये है कि विंबलडन में सफ़ेद कपड़े पहनना पंरपरा का हिस्सा है. लेकिन जो सवाल हमें पूछना चाहिए वो ये कि क्या पंरपरा एक महिला खिलाड़ी के कम्फ़र्ट से बड़ी है, वो खिलाड़ी जो कोर्ट पर जाकर खेल रही है." ? (bbc.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news