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पाकिस्तान: जंगल में खोदी गईं सात कब्रें, हिंदुओं और मुसलमानों ने जताया शोक, क्या है पूरा मामला?
08-Jul-2022 9:49 AM
पाकिस्तान: जंगल में खोदी गईं सात कब्रें, हिंदुओं और मुसलमानों ने जताया शोक, क्या है पूरा मामला?

-रियाज़ सुहैल

जंगल में सात क़ब्रें खोदी गईं, जिसके बाद बारी-बारी से मरे हुए हिरणों को लाया गया. इसके बाद उन हिरणों को इन खोदी हुई क़ब्रों में लिटा दिया गया. इसके बाद हर क़ब्र में एक सफ़ेद कपड़ा डाला गया और वहां खड़े लोगों ने उन पर मिट्टी डाली. अंत में उन हिरणों के लिए दुआ पढ़ी गई.

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थार रेगिस्तान के रंगीलो गांव के पास ये वो जगह है, जहां मंगलवार की रात शिकारियों ने सात हिरणों का शिकार किया था.

स्थानीय लोगों ने उनका पीछा किया और तीन शिकारियों को पकड़ लिया. हालांकि दो और शिकारी भी थे, जो फ़रार हो गए.

स्थानीय निवासी हनीफ़ सूमरो ने बताया, "पिछले तीन-चार साल से शिकार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और ज़ालिम शिकारी हिरणों का शिकार कर रहे हैं."

स्थानीय लोग तीन-चार बार उनका पीछा कर चुके हैं लेकिन वो फ़रार हो जाते हैं.

जब स्थानीय वन्यजीव अधिकारियों से शिकायत की गई, तो उन्होंने कहा, "हमारे पास गाड़ी और लोग नहीं हैं."

वे यह मानने को भी तैयार नहीं थे कि यहां शिकार भी होता है.

हनीफ़ आगे कहते हैं, "रंगीलो और आसपास के गांव वालों ने एक दूसरे के साथ संपर्क में रहने का फ़ैसला किया है. अगर जंगल में कोई संदिग्ध गतिविधि होती है या रात में किसी गाड़ी की रोशनी नज़र आती है या फिर फ़ायर की आवाज़ आती है, तो हम तुरंत एक दूसरे को सूचित करेंगे."

आत्मा सिंह जिन्होंने गाड़ी की टक्कर से शिकारियों को रोका
इस हफ्ते भी कुछ ऐसी ही घटना हुई, जिसके बाद इस गांव के लोग रात के अंधेरे में एकजुट होकर शिकारियों की तलाश में निकल पड़े.

लोभार गांव के रहने वाले सरूप सिंह बताते हैं, "सोमवार को खाना खाने के बाद वह सो गए थे. रात को क़रीब दो बजे जंगल से गोलियों की आवाज़ सुनाई दी तो वह अपनी कार में सवार होकर रंगीलो गांव पहुंचे. इसी बीच दूसरे गांवों के लोग भी आ गए और शिकारियों का पीछा किया."

21 वर्षीय आत्मा सिंह भी घर में सो रहे थे. उनके चचेरे भाई सरूप सिंह ने उन्हें जगाया और बताया कि जंगल से गोली चलने की आवाज़ आ रही है. उन्हें संदेह हो गया था कि हो ना हो वहां ज़रूर कोई शिकारी है. सरूप सिंह ने उन्हें गाड़ी लेकर रंगीलो गांव पहुंचने को कहा.

आत्मा सिंह के मुताबिक़, ''सरूप सिंह ने कहा कि तुम रंगीलो गांव जाओ, हम पीछे आ रहे हैं.''

वह बताते हैं, "हम सड़क पर रुक गए. गांव वालों ने पीछा किया तो शिकारी भी पक्की सड़क पर आ गए जहां हम पहले से ही खड़े थे. एक गाड़ी ने ब्रेक नहीं लगाया और आगे निकल गई. दूसरी गाड़ी को मैंने आगे से टक्कर मारी तो उन्होंने फ़ायरिंग शुरू कर दी. इसी दौरान दूसरे लोग भी पहुंच गए और उन्हें रस्सियों से बांध दिया."

धरना और शोक शिविर
रंगीलो, लोभार और दूसरे गांवों के लोग उन तीनो शिकारियों और मारे गए सातों हिरणों के शव लेकर थार के डिस्ट्रिक्ट हेडक्वाटर मिट्ठी पहुंचे, जहां उन्होंने धरना दिया और आरोपियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने की मांग की.

यह धरना पांच घंटे तक चला.

बुधवार की सुबह मिट्ठी के मुख्य चौराहे पर शोक शिविर भी लगाया गया, जहां शहर के लोगों ने आकर एकजुटता दिखाई और जानवरों की रक्षा के लिए प्रार्थना भी की.

सामाजिक कार्यकर्ता अकबर दरस ने कहा, "प्रकृति की हत्या करने वालों को हमदर्दी मिल रही है और यहां मासूम हिरणों को मारा गया है."

"जब थार में बारिश होती है, तो ये हिरण, मोर, तीतर और अन्य पशु पक्षी ख़ुश होते हैं. हम कितने बदक़िस्मत हैं कि हम उन्हें दफ़न कर रहे हैं. यहां उनका क़त्लेआम किया जा रहा है. हम मांग करते हैं कि मौजूदा वाइल्ड लाइफ़ क़ानून में संशोधन किया जाए और इन शिकारियों पर भारी जुर्माना लगा कर इनको कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए."

दुर्लभ चिंकारा हिरण के बारे में क़ानून क्या कहता है?
जिस जंगल में हिरणों का शिकार हुआ, वहां उनको संरक्षित किया गया है. थार पुलिस ने अवैध शिकार और अवैध हथियार रखने के आरोप में तीनों संदिग्धों को गिरफ़्तार कर लिया है, जिन्हें बुधवार को रिमांड पर लिया गया था.

दूसरी तरफ़, वन्यजीव विभाग के तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है और उनके ख़िलाफ़ जांच के आदेश दिए गए हैं.


पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्तमान में पाकिस्तान के जंगलों में 585 चिंकारा हिरण हैं.

इस सर्वेक्षण के अनुसार, चिंकारा को मंगलोट (ख़ैबर पख़्तूनख़्वा), कालाबाग़, चोलिस्तान रेगिस्तान (पंजाब) से लेकर खैरथार की पहाड़ियों (सिंध) तक के क्षेत्रों में देखा गया है. सर्वेक्षण के अनुसार, सिबी के मैदानी क्षेत्रों मकरान, तुर्बत और लासबेला (बलूचिस्तान) में भी चिंकारा पाए गए हैं.

पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़ के सहयोगी मोहम्मद मोअज़्ज़म ख़ान के अनुसार, "चिंकारा रेतीले, पहाड़ी और मैदानी इलाक़ों में पाए जाते हैं और उनकी संख्या लगातार कम हो रही है.

हिरण और मोर की रक्षा 'कर्तव्य'
सिंध के रेगिस्तानी क्षेत्र थार में हिरण और मोर बड़ी संख्या में पाए जाते हैं. स्थानीय लोग, विशेष रूप से ठाकुर समुदाय, उनकी रक्षा करना अपना नैतिक कर्तव्य मानते हैं.

आत्मा सिंह के अनुसार, "माता-पिता कहते हैं कि हिरणों की रक्षा करो वे हमारे क्षेत्र के वासी हैं."

रंगीलो में जब हिरणों को दफ़नाया जा रहा था, तो उस समय बारिश हो रही थी.

इस रेगिस्तान में बारिश को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इन क्षणों में लोग दुखी और उदास थे.

यहां हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे के सुख-दुख में तो जाते ही हैं, लेकिन आज वे उनके लिए आए थे जो उनकी साझा विरासत है.

थार के लेखक और शोधकर्ता भारुमल अमरानी के अनुसार, "थार रेगिस्तान पर पिछले दो दशकों से बढ़ते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और मानवीय कारणों से यहां के वन्यजीव और पर्यावरण ख़तरे में हैं."

"एक तरफ़ अकाल के कारण भूख और प्यास है, दूसरी ओर, अवैध शिकार की प्रथा से जंगली जानवरों, विशेष रूप से चिंकारा की नस्ल ख़तरे में है."

अब थार में कुंडी, कोनभट के साथ पीलों, थोहर, बावड़ी और गगराल के पेड़ तेज़ी से लुप्त हो रहे हैं. चिंकारा इन्हीं पेड़ों के जंगलों में रहता था और इन पेड़ों के नीचे की घास ही चिंकारा का भोजन है.

रेगिस्तान के लोगों का मनना है कि चिंकारा रेगिस्तान में बारिश का पानी पीते हैं और जहां प्राकृतिक तालाब होते हैं, वे वहां ज़रूर आते हैं और शिकार हो जाते हैं. (bbc.com)

 

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