अंतरराष्ट्रीय

राजपक्षे की सिंगापुर की निजी यात्रा पर पूर्व राजनयिकों, शिक्षाविदों ने अपनी राय रखी
16-Jul-2022 11:09 AM
राजपक्षे की सिंगापुर की निजी यात्रा पर पूर्व राजनयिकों, शिक्षाविदों ने अपनी राय रखी

(गुरदीप सिंह)

सिंगापुर, 16 जुलाई। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की सिंगापुर की निजी यात्रा को लेकर पूर्व राजनयिकों और शिक्षाविदों ने अपनी-अपनी राय रखी है। किसी ने इसे किसी देश का नागरिक होने के कारण सामान्य पर्यटन यात्रा बताया तो किसी ने कहा कि सिंगापुर एक लोकप्रिय पारगमन स्थल है जो आम तौर पर अपने पर्यटकों को लौटाता नहीं है।

राजपक्षे कोलंबो से मालदीव जाने के बाद निजी यात्रा पर सिंगापुर पहुंचे हैं।

‘टुडे’ अखबार में शनिवार को प्रकाशित एक खबर के अनुसार, हालांकि राजपक्षे ने शरण देने का अनुरोध नहीं किया है लेकिन पासपोर्ट धारक के तौर पर सिंगापुर की यात्रा करना उनका अधिकार है।

विदेश मंत्रालय में पूर्व स्थायी सचिव बिलाहरी कौशिकन ने कहा कि कई देशों के नागरिक अपनी वीजा की शर्तों के अनुसार विभिन्न समयावधि के लिए सिंगापुर आ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वैध पासपोर्ट रखने वाला श्रीलंका का कोई भी नागरिक कोई खास अनुमति लिए बगैर निश्चित समय के लिए सिंगापुर आ सकता है...वह सामान्य व्यक्ति हैं, एक राष्ट्रपति अपने देश का नागरिक होता है।’’

उन्होंने कहा कि अपवाद भी हैं, जैसे कि कहीं वह व्यक्ति वांछित अपराधी तो नहीं है। कौशिकन ने कहा, ‘‘वह किसी भी अपराध में वांछित नहीं हैं, उनके लिए इंटरपोल ने कोई रेड नोटिस जारी नहीं किया तो हम उन्हें क्यों न आने दें?’’

सिंगापुर की वीजा वेबसाइट से पता चलता है कि राजपक्षे की तरह श्रीलंकाई नागरिक पर्यटन, परिवार एवं दोस्तों से मिलने तथा इलाज के लिए 30 दिनों से कम अवधि के लिए सिंगापुर की वीजा मुक्त यात्रा कर सकते हैं।

‘नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर’ में राजनीतिक विज्ञान पढ़ाने वाले सहायक प्रोफेसर चोंग जा इयान ने कहा कि सिंगापुर को लोकप्रिय पारगमन स्थल के तौर पर देखा जाता है, जो आम तौर पर अपने पर्यटकों को लौटाता नहीं है।

‘टुडे’ अखबार ने प्रोफेसर चोंग के हवाले से कहा, ‘‘हम प्रमुख पारगन और परिवहन स्थल हैं, जहां लोग आते-जाते रहते हैं। जब तक कि कोई बड़ी राजनीतिक वजह या कोई अन्य बात न हो तब तक किसी को आने से रोकने का कोई मतलब नहीं है।’’

प्रोफेसर चोंग ने कहा कि जिन लोगों को शरण दी जाती है, उन पर सामान्य तौर पर यह पाबंदी नहीं होती कि वे कब तक देश में रहेंगे।

गृह मंत्री के. षणमुगम ने पिछले सात सितंबर में संसद में कहा था, ‘‘छोटे, घनी आबादी वाले देश के साथ ही सीमित जमीन होने के कारण सिंगापुर राजनीतिक शरण या शरणार्थी का दर्जा मांगने वाले किसी भी व्यक्ति के अनुरोध को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है।’’

राजपक्षे के बृहस्पतिवार रात को चांगी हवाईअड्डे पर पहुंचने के बाद सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि श्रीलंकाई नेता को निजी यात्रा पर शहर में प्रवेश करने की अनुमति दी गयी है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘उन्होंने शरण नहीं मांगी है और न ही उन्हें कोई शरण दी गयी है। सिंगापुर आम तौर पर शरण देने के अनुरोधों को स्वीकार नहीं करता है।’’

गौरतलब है कि राजपक्षे ने सिंगापुर पहुंचने के तुरंत बाद राष्ट्रपति पद से अपना इस्तीफा पत्र ईमेल के जरिए भेज दिया था।

नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) के सहायक प्रोफेसर दिलान लोह ने कहा कि शरणार्थियों और शरण मांगने वालों पर सिंगापुर की मौजूदा स्थिति यह है कि उसके पास जगह की कमी है और लोगों के अचानक आने से उसके समाज का सामाजिक और सुरक्षा संतुलन बिगड़ सकता है। उन्होंने कहा कि इसकी कोई गुंजाइश नहीं हो सकती क्योंकि इससे भविष्य के लिए एक मिसाल कायम हो जाएगी।

वहीं, टुडे अखबार की खबर में कहा गया है कि पूर्व में कई मामले रहे हैं जिनमें राजनीतिक नेता निर्वासन में या इलाज के लिए सिंगापुर आए।

‘बैंकॉक पोस्ट’ की एक खबर के अनुसार, उदाहरण के लिए थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा को कई बार सिंगापुर में देखा गया। वह निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अपने देश में विभिन्न अपराधों का सामना कर रहे हैं।

जिम्बाब्वे के आजादी के बाद के पहले राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे 2019 में इलाज कराने सिंगापुर आए थे और यहीं के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया था। उन्होंने करीब चार दशकों तक जिम्बाब्वे पर शासन किया और 2017 में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया।

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम नासिर भी 2008 में 82 वर्ष की उम्र में अपने निधन तक सिंगापुर में रहे थे। वह 1978 से सिंगापुर में स्वनिर्वासन में रह रहे थे। (भाषा)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news