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अल-क़ायदा नेता अल-ज़वाहिरी को अमेरिका ने काबुल में मारा, क्या बोला तालिबान
02-Aug-2022 9:40 AM
अल-क़ायदा नेता अल-ज़वाहिरी को अमेरिका ने काबुल में मारा, क्या बोला तालिबान

-रॉबर्ट प्लमर

अमेरिका ने अल-क़ायदा के नेता अयमान अल-ज़वाहिरी को अफ़ग़ानिस्तान में एक ड्रोन हमले में मार दिया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसकी पुष्टि की है. रविवार को अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी यानी सीआईए ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन चलाया था. इसी में अल-ज़वाहिरी की मौत हुई है.

बाइडन ने कहा,"ज़वाहिरी के हाथ अमेरिकी नागरिकों के ख़िलाफ़ हत्या और हिंसा के ख़ून से रंगे थे. अब लोगों को इंसाफ़ मिल गया है और यह आतंकवादी नेता अब जीवित नहीं है."

अधिकारियों का कहना है कि ज़वाहिरी एक सुरक्षित घर की बालकनी में थे तभी ड्रोन के ज़रिए दो मिसाइल दागी गई.

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ज़वाहिरी के परिवार वाले भी घर में थे लेकिन किसी को कोई नुक़सान नहीं हुआ है.

राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि उन्होंने 71 साल के अल-क़ायदा नेता के ख़िलाफ़ निर्णायक हमले की मंज़ूरी दी थी. 2011 में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-क़ाय़दा की कमान ज़वाहिरी के पास ही थी.

अमेरिका में 9/11 के हमले की साज़िश लादेन और ज़वाहिरी ने ही रची थी. ज़वाहिरी को अमेरिका मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मानता था.

बाइडन ने कहा कि अल-क़ायदा नेता के मारे जाने से 2001 में 9/11 के हमले के पीड़ितों के परिवार वालों को राहत मिली होगी.

ज़वाहिरी से जुड़ी ख़ास बातें
अयमान अल-ज़वाहिरी मिस्र के एक डॉक्टर थे जो बाद में इस्लामिक चरमपंथ में शामिल हो गए
1980 के दशक में अल-ज़वाहिरी मिस्र में इस्लामिक उग्रवाद में शामिल होने के कारण जेल में भी रहे थे
जेल से छूटने के बाद अफ़ग़ानिस्तान चले गए और ओसामा बिन-लादेन के साथ आ गए
2011 में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-क़ाय़दा की कमान ज़वाहिरी के पास ही थी
ज़वाहिरी को 9/11 के हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है

राष्ट्रपति बाइडन ने ज़वाहिरी को साल 2000 में अदन में अमेरिकी जंगी पोत यूएसस कोल पर आत्मघाती हमले के लिए भी ज़िम्मेदार बताया. इसमें 17 नौसैनिकों की मौत हुई थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ''यह मायने नहीं रखता कि इतना लंबा समय लगा. यह भी मायने नहीं रखता कि अगला कहाँ छुपा है. अगर आप हमारे नागरिकों के लिए ख़तरा हैं तो अमेरिका छोड़ेगा नहीं. हम अपने राष्ट्र और नागरिकों की सुरक्षा में कभी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.''

तालिबान ने क्या कहा
तालिबान ने अमेरिका के इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय नियमों और सिद्धांतों का खुला उल्लंघन बताया है. तालिबान के प्रवक्ता ने कहा, ''पिछले 20 सालों में ऐसी कार्रवाइयाँ नाकाम अनुभवों का दोहराव है. यह अमेरिकी हितों के ख़िलाफ़ है.''

ज़वाहिरी एक आई सर्जन थे, जिन्होंने मिस्र में इस्लामिक जिहादी ग्रुप बनाने में मदद की थी. अमेरिका ने मई 2011 में ओसामा बिन-लादेन को मारा था और उसके बाद से अल-क़ायदा की कमान अल-ज़वाहिरी के पास ही थी.

इससे पहले अल-ज़वाहिरी को ओसामा बिन-लादेन का दाहिना हाथ माना जाता था. ज़वाहिरी की पहचान अल-क़ायदा के प्रमुख विचारक के तौर पर भी थी.

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 में हमले के पीछे अल-ज़वाहिरी का ही दिमाग़ माना जाता है.

अयमान अल-ज़वाहिरी अल-क़ायदा के वैचारिक दिमाग़ थे. मिस्र के डॉक्टर अल-ज़वाहिरी 1980 के दशक में इस्लामिक उग्रवाद में शामिल होने के कारण जेल में भी रहे.

जेल से छूटने के बाद उन्होंने मिस्र छोड़ दिया और अंतरराष्ट्रीय जिहादी अभियानों में शामिल हो गए. आख़िरकार वह अफ़ग़ानिस्तान चले गए और सऊदी अरब के एक जिहादी अमीर ओसमा बिन-लादेन के साथ आ गए.

अल-ज़वाहिरी और ओसामा ने मिलकर अमेरिका के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा की और 2001 में 11 सितंबर के हमले को अंजाम दिया. इस हमले के एक दशक बाद ओसामा को मारने में अमेरिका को कामयाबी मिली.

ओसामा के बाद अल-क़ायदा पूरी तरह से अल-ज़वाहिरी के पास आया. लेकिन ओसामा के मारे जाने के बाद अल-ज़वाहिरी के पास कुछ बचा नहीं था. कभी-कभार कुछ बयान जारी कर दिए जाते थे.

अमेरिका अल-ज़वाहिरी के मारे जाने को जीत के तौर पर देखेगा. पिछले साल ही अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान से बिना कोई ठोस लक्ष्य हासिल किए अफ़ग़ानिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया था. लेकिन अल-ज़वाहिरी तुलनात्मक रूप से कमज़ोर हो गए थे. अब इस्लामिक स्टेट के सामने अल-क़ायदा की कोई पूछ नहीं थी.

बेशक अल-क़ायदा का कोई एक नया नेता उभरेगा लेकिन अपने पूर्ववर्ती नेतृत्व की तुलना में अल-ज़वाहिरी का कोई प्रभाव नहीं रह गया था. काबुल में अल-ज़वाहिरी के मारे जाने से इस बात का भी अंदाज़ा मिलता है कि अफ़ग़ानिस्तान की अहमियत बनी हुई है.

तालिबान के आने से यहाँ इस्लामिक समूहों को सुरक्षित ठिकाना मिल सकता है. लेकिन अमेरिका ने भी दिखा दिया है कि वह भले ज़मीन पर नहीं है लेकिन दूर से ही हमला कर सकता है.

अफ़ग़ानिस्तान से पिछले साल ही राष्ट्रपति बाइडन ने सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लिया था. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ठीक एक साल हुआ है और तभी अल-ज़वाहिरी को बाइडन ने मारने की मंज़ूरी दी.

2020 में तालिबान ने अमेरिकी के साथ एक शांति समझौता किया था, जिसमें उसने वादा किया था कि वह अपने मुल्क में अल-क़ायदा को पनाह नहीं देगा. उसने किसी भी अतिवादी समूह को पनाह नहीं देने की बात कही थी.

हालाँकि तालिबान और अल-क़ायदा लंबे समय से सहयोगी रहे हैं. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि तालिबान को पता था कि अल-ज़वाहिरी काबुल में मौजूद हैं.

बाइडन ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान को वह फिर से आतंकवादियों का अड्डा नहीं बनने देंगे.

पिछले साल अफ़रातफ़री की हालत में अफ़ग़ानिस्तान से 20 सालों बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई थी.

अब जब एक साल बाद बाइडन प्रशासन में ही काबुल में अल-ज़वाहिरी को मारा गया तो यह राष्ट्रपति के लिए मायने रखता है.

2011 में जब ओसामा बिन-लादेन को मारा गया था तब बाइडन उपराष्ट्रपति थे. अब उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर एक अल-क़ायदा के दूसरे अहम नेता के मारे जाने की घोषणा की है.

अटकलों का बाज़ार गर्म है कि क्या तालिबान को अल-ज़वाहिरी की काबुल में मौजूदगी का पता था और किस तरह की मदद दी जा रही थी.

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि काबुल के जिस घर में अल-ज़वाहिरी को ड्रोन स्ट्राइक में मारा गया, उसमें बाद में तालिबान के अधिकारी गए और यह छुपाने की कोशिश की कि यहाँ कोई मौजूद नहीं था. (bbc.com)

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