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हाईकोर्ट में पीआईएल पर शासन ने दिया जवाब
बिलासपुर, 15 सितंबर। प्रदेश में मानसिक रोगियों की चिकित्सा के लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराने की मांग पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शासन ने हाईकोर्ट में स्वीकार किया है कि एकमात्र राज्य मानसिक चिकित्सालय में विशेषज्ञ डॉक्टरों और बिस्तरों की संख्या कम है। शासन ने जवाब दिया है कि दोनों कमियां शीघ्र दूर कर ली जाएगी। छोटे बच्चों के इलाज के लिए अलग व्यवस्था करने की बात भी कही गई।
रायपुर के अधिवक्ता विशाल कोहली ने अधिवक्ता हिमांशु शुक्ला के माध्यम से एक याचिका दायर की है जिस पर कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने इससे संबंधित मुद्दों का स्वतः संज्ञान भी लिया है। याचिका में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रत्येक 10 हजार में एक मानसिक चिकित्सक होना चाहिए पर छत्तीसगढ़ में 8 लाख लोगों पर एक है। हर जिले में एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र तथा एक चिकित्सक भी जरूरी है। प्रदेश में एकमात्र राज्य मानसिक चिकित्सालय बिलासपुर के सेंदरी में स्थित है। यहां 11 पद स्वीकृत हैं पर केवल 3 डॉक्टर पदस्थ हैं। राज्य के 78 प्रतिशत मानसिक रोगियों को उपचार नहीं मिल पा रहा है।
शासन की ओर से बताया गया कि 3 मनोचिकित्सक के अलावा एक ईएनटी तथा एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर की नियुक्ति मानसिक चिकित्सालय में की गई है। आगे और पद भरे जाएंगे। हालांकि सरकार की ओर से यह भी दावा किया गया कि वर्तमान सुविधाएं चिकित्सालय में आ रहे मरीजों के लिए पर्याप्त है।
हाईकोर्ट ने चिकित्सकों और सुविधाओं की कमी पर चिंता जताई है। मामले की सुनवाई जारी रहेगी।