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बिलासपुर, 15 सितंबर। हाईकोर्ट जस्टिस रजनी दुबे ने एक आपराधिक मामले में फैसला देते हुए राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दी, जिसमें सिंचाई विभाग के तीन अधिकारी-कर्मचारियों को सीमेंट के गबन के मामले में बरी करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। इनमें से दो की अब मौत हो चुकी है। हिंदी दिवस के मौके पर आदेश हिंदी में दिया गया है।
कार्यपालन यंत्री के पद से सेवानिवृत्त हुए सीधी निवासी स्व. अविनाश चंद्र, सेवानिवृत्त उप यंत्री गुलाब सिंह वर्मा और स्टोर कीपर स्व. सफदर अली के खिलाफ धारा 409, 367, 471 व 120 बी आईपीसी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) व 13 (2) के तहत अपराध दर्ज किया गया था। इन पर आरोप था कि तरईगांव जलाशय में पदस्थ रहने के दौरान उन्होंने 252 बोरी सीमेंट का गबन किया था तथा खराब गुणवत्ता का निर्माण कार्य कराया था। बिलासपुर के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया था। इसे हाईकोर्ट में शासन ने 10 अप्रैल 2022 को चुनौती दी । हाईकोर्ट ने इसकी सुनवाई कर 26 जुलाई 2022 को फैसला सुरक्षित रखा था। 14 सितंबर को आदेश आया, जिसमें उन्होंने शासन की अपील खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने मौखिक व दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर निर्णय दिया है, जिसमें दो निष्कर्ष संभव हैं। अपीलीय अदालत इस फैसले पर हस्तक्षेप नहीं किया।
हिंदी दिवस पर हिंदी में दिए गए फैसले की कोर्ट परिसर में दिनभर चर्चा रही। इसके पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पूर्व चीफ जस्टिस यतींद्र सिंह प्रत्येक दिन अपना पहला फैसला हिंदी में देते थे। जस्टिस फखरुद्दीन ने अपने कार्यकाल में एक फैसला छत्तीसगढ़ी में भी दिया था।