अंतरराष्ट्रीय
शुक्रवार को जारी किए गए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के मसौदे में सरकार ने इसके प्रस्तावित प्रावधानों का उल्लंघन पर जुर्माने की रकम 500 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी है.
साल 2019 में इस क़ानून का जो मसौदा जारी किया गया था, उसमें 15 करोड़ रुपये या कंपनी के ग्लोबल टर्न ओवर के चार फ़ीसदी तक के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया था.
इस विधेयक के मसौदे में एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ़ इंडिया के गठन का प्रस्ताव दिया गया है जो बिल के प्रावधानों के तहत अपना काम करेगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बिल के मसौदे में कहा गया है, "किसी व्यक्ति द्वारा क़ानून का अनुपालन न किए जाने की सूरत में जांच के बाद अगर बोर्ड ये पाता है कि मामला गंभीर है तो वह उस व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का मौका देने के बाद उस पर ऐसी पेनाल्टी लगा सकता है जो हरेक मामले में 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा नहीं होगा."
मसौदे में ग्रेडेड पेनाल्टी सिस्टम का भी प्रस्ताव रखा गया है. यानी वो कंपनी जो लोगों की निजी जानकारी को इकट्ठा करती है और दूसरा वो जो उसकी तरफ़ से डेटा प्रोसेस करेगी, दोनों कंपनियों की डेटा ब्रीच होने पर अलग-अलग जिम्मेदारी होगी.
मसौदे में डेटा फिडुसियरी और डेटा प्रोसेसर कंपनी दोनों पर 250-250 करोड़ रुपये जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है. (bbc.com/hindi)