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इमरान ख़ान का प्रांत की सरकारों से निकलने का फ़ैसला, सियासी चाल या छवि बचाने की कोशिश?
27-Nov-2022 3:38 PM
इमरान ख़ान का प्रांत की सरकारों से निकलने का फ़ैसला, सियासी चाल या छवि बचाने की कोशिश?

-मोहम्मद सोहेब और आज़म ख़ान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी (पीटीआई) के चेयरमैन इमरान ख़ान ने जब से 26 नवंबर को इस्लामाबाद की बजाए रावलपिंडी में जलसा करने का फ़ैसला किया था तभी से इस बात की चर्चा होने लगी थी कि आख़िर इमरान ख़ान इस जलसे में अपने अगले क़दम के बारे में क्या बताएंगे.

इमरान ख़ान पिछले कुछ दिनों से लॉन्ग मार्च कर रहे हैं जिन्हें वो 'हक़ीक़ी आज़ादी' मार्च यानी वास्तविक आज़ादी मार्च कहते हैं.

जब उन्होंने इस मार्च की शुरुआत की थी तो शुरू में ऐसा लग रहा था कि वो और उनकी पार्टी राजधानी इस्लामाबाद पहुंचकर पड़ाव डाल लेंगे और फिर आम चुनाव की घोषणा होने तक वो वहीं डेरा डाले रहेंगे.

इमरान ख़ान की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द आम चुनाव कराने की घोषणा करे.

साल 2014 में भी इमरान ख़ान ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की सरकार के ख़िलाफ़ 126 दिनों तक धरना दिया था.

हक़ीक़ी आज़ादी मार्च' या लॉन्ग मार्च की शुरुआत से पहले इमरान ख़ान ने पाकिस्तान के कई शहरों में रैलियां की थीं और उस दौरान हुए उपचुनावों में उनकी पार्टी ने जीत भी हासिल की थी.

उन नतीजों के आधार पर इमरान ख़ान ने ख़ुद को पाकिस्तान का सबसे लोकप्रिय नेता क़रार दिया और शहबाज़ शरीफ़ सरकार पर दबाव बनाने लगे कि जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं.

लेकिन शनिवार को रावलपिंडी पहुंचकर इमरान ख़ान ने जो कहा वो शायद किसी राजनीतिक विशेषज्ञ ने सोचा भी नहीं होगा.

यह अलग बात है कि इस दौरान पीटीआई ने भी कई समझौते किए.

पहले तो पीटीआई राजधानी में दाख़िल होने की घोषणा से पीछे हटी. उसके बाद पीटीआई को रैली के लिए फ़ैज़ाबाद में भी जगह नहीं मिली और प्रशासन ने उन्हें कड़ी शर्तों के साथ रावलपिंडी में जलसा करने के लिए मजबूर किया.

रावलपिंडी में इमरान ख़ान ने कहा, "हमने फ़ैसला किया है कि हम सारी प्रांतीय सरकारों से निकल जाएंगे."

उन्होंने अपने भाषण में कहा, "हम अपने ही देश में तोड़-फोड़ करें और तबाही मचाएं, उससे बेहतर है कि हम इस भ्रष्ट व्यवस्था से बाहर निकलें और इस सिस्टम का हिस्सा ना बनें, जिधर यह चोर बैठकर हर दिन अपने अरबों रुपए के केस माफ़ करवा रहे हैं."

इमरान ख़ान ने कहा कि अब वो इस्लामाबाद का रुख़ नहीं करेंगे क्योंकि उनके मुताबिक़, "जब लाखों लोग इस्लामाबाद जाएंगे तो कोई नहीं रोक सकता लेकिन मुझे पता है कि इससे तबाही मचेगी."

बीबीसी ने इमरान ख़ान के इस फ़ैसले पर कई राजनीतिक विश्लेषकों से बात की.

'वापसी का कोई रास्ता नहीं था, यह उनका आख़िरी पत्ता था'

ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह की राजधानी पेशावर स्थित एक निजी टीवी चैनल आज न्यूज़ की ब्यूरो चीफ़ फ़रज़ाना अली ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा, "इमरान के पास वापसी का कोई रास्ता नहीं था और यह घोषणा उनका आख़िरी पत्ता है जो उन्होंने खेल दिया है."

उनके अनुसार उन्होंने ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज़ ख़टक से भी यह पूछा कि अगर रावलपिंडी एक लाख लोग भी लेकर चले गए तो फिर क्या होगा. इसके जवाब में परवेज़ ख़टक ने कहा कि उन्हें भी पता नहीं है, वहां जाकर इमरान ख़ान जो फ़ैसला करेंगे, वही उनका फ़ैसला होगा.

फ़रज़ाना अली के अनुसार पीटीआई के लिए अपने अभियान को जारी रखना अब मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि इसके लिए ढेर सारे पैसों की ज़रूरत होती है और पीटीआई के कई नेता अब फ़ंड की कमी की शिकायत करते हुए नज़र आ रहे हैं.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सोहैल वडाएच का ख़्याल है कि इमरान ख़ान की तरफ़ से उठाया गया यह पहला गंभीर क़दम है.

उनके अनुसार इमरान ख़ान के पास यह विकल्प पहले ही दिन से मौजूद था लेकिन उन्होंने उसका इस्तेमाल नहीं किया.

सोहैल वडाएच का कहना है कि इस फ़ैसले से इमरान ख़ान यह बताना चाह रहे हैं कि उन्होंने सिस्टम के साथ समझौता करने से इनकार कर दिया है.

लेकिन राजनीतिक विश्लेषक आस्मा शीराज़ी इसे इमरान ख़ान के लिए 'फ़ेस सेविंग' (छवि बचाने) हथकंडा क़रार देती हैं.

आस्मा शीराज़ी कहती हैं कि अभी तो इमरान ख़ान ने सिर्फ़ घोषणा की है अभी उनके विधायकों ने इस्तीफ़ा नहीं दिया है.

रावलपींडि में इमरान ख़ान ने कहा था, "मैंने पंजाब और ख़ैबरपख़्तूनख़्वाह के मुख्यमंत्रियों से बात कर ली है. संसदीय बोर्ड से भी विचार विमर्श कर रहा हूं. आने वाले दिनों में घोषणा करूंगा कि हम किस दिन विधानसभा से इस्तीफ़ा देकर बाहर निकलेंगे."

आस्मा शीराज़ी के अनुसार इमरान ख़ान ने सोचा होगा कि एक इवेंट पैदा किया जाए ताकि मीडिया में इस पर बहस जारी रहे और इस तरह पीटीआई को 'फ़ेस सेविंग' का मौक़ा मिल जाए.

पंजाब और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के सीएम क्या करेंगे

फ़रज़ाना अली के अनुसार ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के मुख्यमंत्री महमूद ख़ान पूरी तरह इमरान ख़ान के प्रति वफ़ादार हैं. लेकिन अगर मुख्यमंत्री के सलाहकारों ने उन्हें कोई और रास्ता सुझाया तो हो सकता है कि इमरान ख़ान की इच्छा पूरी ना हो सके.

ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में पिछले नौ बरस से पीटीआई की सरकार है और महमूद ख़ान 2018 में मुख्यमंत्री बने थे.

फ़रज़ाना अली का कहना है कि इमरान ख़ान के क़रीबी सलाहकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने भी कहा है कि तीन दिन के बाद वो लोग इस पर विचार विमर्श करेंगे. इससे साफ़ ज़ाहिर है कि पीटीआई बहुत जल्दी में नहीं है और वो लोग इसे टालना चाहते हैं.

सोहैल वडाएच भी फ़रज़ाना अली की इस बात से सहमत हैं.

सोहैल वडाएच के अनुसार अभी यह सिर्फ़ एक धमकी है और पंजाब और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में बहुत सारे ऐसे विधायक हैं जो विधानसभा में बने रहना चाहते हैं.

सोहैल वडाएच का कहना है कि पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज़ इलाही ख़ुद तो नहीं चाहेंगे लेकिन इमरान ख़ान के कहने पर वो विधानसभा को भंग करने की सिफ़ारिश कर देंगे क्योंकि उनका राजनीतिक भविष्य इमरान ख़ान पर निर्भर है.

परवेज़ इलाही के बेटे मूनिस इलाही ने ट्वीट कर कहा, "जिस दिन इमरान ख़ान ने कहा उसी वक़्त पंजाब विधानसभा भंग कर दी जाएगी."

इमरान ख़ान की घोषणा के बाद मीडिया में इस बात पर बहस छिड़ गई है कि क्या परवेज़ इलाही विधानसभा भंग करने की सिफ़ारिश करेंगे.

पंजाब और ख़ैबरपख़्तूनख़्वाह के अलावा पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान में भी पीटीआई की सरकार है.

इमरान ख़ान के फ़ैसले का असर इनपर भी पड़ सकता है.

शहबाज़ शरीफ़ सरकार का रोल क्या होगा

शहबाज़ शरीफ़ सरकार के कई मंत्री कहते आएं हैं कि अगर इमरान ख़ान चुनाव चाहते हैं तो पहले उनकी पार्टी की सरकार पंजाब और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह से इस्तीफ़ा दे.

लेकिन इस पर इमरान ख़ान और पीटीआई अब तक ख़ामोश ही रहे हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि इमरान ख़ान की यह अप्रत्याशित घोषणा उनका आख़िरी पत्ता था जिसे उन्होंने फेंक दिया है.

पीटीआई के फ़व्वाद चौधरी ने ट्वीट किया है, "इमरान ख़ान का जनता पर पूरा विश्वास है. वो विधानसभा भंग करके चुनाव में जा रहे हैं. घोड़ा भी है और मैदान भी. चुनाव के अलावा कोई और तरीक़ा पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिरता नहीं ला सकता, वे आएं और चुनाव की ओर बढ़ें."

शहबाज़ शरीफ़ गठबंधन सरकार में शामिल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता क़मर ज़मान कायरा का कहना है कि इमरान ख़ान अपने फ़ैसले से पलट जाएंगे.

कायरा ने कहा कि इमरान ख़ान अगर अपने फ़ैसले पर क़ायम रहे और उनके विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया तो उनके (पीपीपी) पास भी बहुत से विकल्प हैं.

केंद्रीय गृहमंत्री राना सनाउल्लाह ने एक निजी चैनल जियो न्यूज़ से बातचीत में कहा, "यह इमरान ख़ान का वक़्ती फ़ैसला है. वो इस फ़ैसले पर शायद अमल ना करें और हो सकता है कि वो संसद में भी वापस आ जाएं."

गृहमंत्री के अनुसार इमरान ख़ान के लिए अब सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने का समय ख़त्म हो चुका है.

राना सनाउल्लाह ने ट्वीट किया, "प्रांतीय विधानसभाओं में समय नष्ट किए बग़ैर अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. विधानसभा भंग नहीं होंगी. पंजाब में सरकार बनाने के लिए विपक्ष के पास पूरे नंबर हैं."

गृहमंत्री ने कहा कि इमरान ख़ान ने अपनी हार स्वीकार कर ली है.

उनका कहना था, "सात महीने पहले बनाए गए प्रोग्राम को दबाव और ब्लैकमेलिंग को बुरी तरह से नाकामी का सामना करना पड़ा. इमरान ख़ान का कहना कि पिंडी में समंदर लाऊंगा, उसकी हालत सबके सामने है."

(bbc.com/hindi)

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