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दुनिया भर में लड़कियों के बीच 'सोलोगेमी' का चलन क्यों बढ़ रहा?
23-Jan-2023 11:59 AM
दुनिया भर में लड़कियों के बीच 'सोलोगेमी' का चलन क्यों बढ़ रहा?

2011 में स्पेन की 10 लड़कियों ने मिलकर यह घोषणा की थी कि उनमें से हर लड़की अपने आप से शादी कर रही है. अचंभे में डालने वाला यह काम, जो बस हंसी ठिठोली के लिए शुरू हुआ, पारंपरिक दांपत्य जीवन के ख़िलाफ़ बग़ावत का एलान था.

हालांकि वास्तव में उन लड़कियों ने इस काम से कुछ ऐसा पाया जिसकी मुहिम पहले ही दुनिया भर में शुरू हो चुकी थी जिसका नाम 'सोलोगेमी' है.

पारंपरिक विवाह अब हर लड़की के लिए जीवन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य नहीं रहा. बल्कि 'सोलोगेमी' में विश्वास रखने वाली लड़कियां दूसरों से प्रेम करने से पहले अपने आप से प्रेम की इच्छा व्यक्त करती हैं.

लेकिन क्या ख़ुद से मोहब्बत के इज़हार का यह तरीक़ा कुछ ज़्यादा ही अजीबोग़रीब है या फिर यह किसी पुरानी कहानी का एक नया और हैरानी में डालने वाला रवैया है?

माय 11 साल से शादीशुदा हैं और ख़ुश भी हैं. उन्होंने ख़ुद से शादी कर रखी है यानी उनका जीवन साथी कोई और नहीं, वह ख़ुद ही हैं.

वह अपने विवाह के बंधन को नए सिरे से ताज़ा करने के एक समारोह में शामिल हुईं तो उन्होंने कहा कि शादी के मौक़े पर मैंने संकल्प लिया कि मैं अपने अंदर की आवाज़ को सुनूंगी और ख़ुद से हर दिन सवाल करूंगी कि मुझे किस चीज़ की ज़रूरत है ताकि उसे पूरा कर सकूं.

माय के इन शब्दों पर समारोह में उपस्थित दूसरी महिलाओं ने तालियां बजाईं.

इस बात की बहुत संभावना है कि आपने 'सोलोगेमी' का शब्द कभी नहीं सुना होगा. स्पेन में सरकारी तौर पर यह शब्द भाषा का अंग तक नहीं है हालांकि इस शब्द की शुरुआत यहीं से हुई.

लेकिन ख़ुद से शादी का रिवाज दुनिया के कई देशों में प्रचलित हो रहा है जिनमें जापान, अमेरिका, भारत, इटली और ब्रिटेन शामिल हैं.

स्पेन से संबंध रखने वाली माय ने 2011 के बाद से अब तक 70 महिलाओं को अपने नक़्श-ए-क़दम पर चलने में मदद की है.

हालांकि अधिकतर देशों में ख़ुद से शादी का क़ानून मौजूद नहीं? तो फिर भी कई महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं?

माय सीरानो का कहना है, "मैंने तो मज़ाक़ में ऐसा किया था. शादी के दिन तक मेरा मक़सद सिर्फ़ रूमानी मोहब्बत पर आम बहस को शुरू करना था."

"लेकिन अपने आप से शादी के दिन हमें एहसास हुआ कि हम कुछ महत्वपूर्ण करने जा रहे हैं. मैंने सोचा कि मैं अपने आप से मोहब्बत करती हूं, मैं अपनी बेहतरीन दोस्त भी हूं, और उस वक़्त और उस लम्हे के दौरान मैंने सैकड़ों लोगों के सामने ख़ुद से वादा किया कि मैं अपना ख़्याल रखूंगी और सबसे पहले अपने बारे में सोचूंगी."

नेविस ट्रबजोसा लैंगिक संबंधों की विशेषज्ञ हैं. उनका कहना है कि लैंगिक दृष्टि से ऊपर उठकर हर इंसान के लिए व्यक्तिगत तौर पर अपने व्यक्तित्व का सम्मान ज़रूरी है.

उनका कहना है कि मर्दों को अपने आपको महत्व देना सिखाया जाता है तो फिर औरत के लिए उसका व्यक्तित्व क्यों एक रुकावट है.

"औरत समझती है कि अपने आपसे मोहब्बत करना ज़रूरी नहीं है."
मनोवैज्ञानिक इसप्रांका बोश फ़ेविल का कहना है कि ख़ुद से मोहब्बत करना सीखना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमें दुनिया में अपनी जगह तय करने में मदद मिलती है.

"दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे हमें यह जांचने में मदद मिलती है कि कौन हमारी मोहब्बत का हक़दार है और कौन नहीं."

हम किससे और कैसे प्रेम करते हैं, यह चलन बदल रहा है. स्पेन में अब भी पारंपरिक वैवाहिक बंधन में बंधे जोड़ों की बहुलता है लेकिन आंकड़ों पर नज़र दौड़ाएं तो एक महत्वपूर्ण बिंदु सामने आता है.

और वह बिंदु यह है कि अब पहले की तुलना में कम शादियां हो रही हैं मगर दूसरी ओर तलाक़ की दर बढ़ चुकी है.

लेकिन जिंकल जैसी महिलाओं का मामला कुछ अलग है जिन्होंने दो बार शादी की. पहली बार एक मर्द (पति) से और दूसरी बार ख़ुद से. वह बताती हैं, "मैंने ख़ुद से शादी का फ़ैसला इसलिए किया क्योंकि उस समय हमारी सबसे छोटी बेटी पैदा हुई थी और मुझे अचानक एहसास हुआ कि मेरे जीवन में मेरे पास अपने लिए कोई समय और जगह नहीं है."

"मैं जिंकल से पेरू और मैरिन की मां बन चुकी थी."
जिंकल के पति सर्गीव कहते हैं, "जब उसने ख़ुद से शादी का इरादा बताया तो पहले मुझे अजीब सा लगा और मैं हक्का-बक्का रह गया."

लेकिन उनका कहना है, "अगर वह ख़ुद से मोहब्बत नहीं करती और अपने आप से संतुष्ट नहीं है तो इससे मुझ पर, हमारे बच्चों पर और उन सब लोगों पर असर पड़ता जो उसके जीवन से जुड़े हैं."

"मुझे तो यही बात लगी."
नेविस ट्रबजोसा का कहना है कि यह बात याद रखनी चाहिए कि एक समय था जब बैंक अकाउंट खुलवाने और गाड़ी चलाने के लिए ज़रूरी था कि औरत की चर्च में शादी हुई हो.

"पिछले कुछ दशकों में बहुत सी बातों में बदलाव आए हैं. इसके बावजूद पारंपरिक परिवार ही समाज का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है जिसे स्वाभाविक माना जाता है."

मनोवैज्ञानिक इसप्रांका बोश फ़ेविल का कहना है कि बड़ी हद तक पारंपरिक विवाह महिला के लिए एक जेल की तरह होता है.

"इसका पहला कारण तो यह है कि जीवन भर हमें बताया जाता है कि विवाह करना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण उद्देश्य है. आंकड़े साबित करते हैं कि विवाह के बाद घरेलू कामकाज, बच्चों, बड़ों और बीमारों का ध्यान रखना महिलाओं की ज़िम्मेदारी रही है."

स्पेन के सरकारी आंकड़े के अनुसार सन 2010 में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में घर के कामों पर दो घंटे अधिक लगाए.

नेविस ट्रबजोसा का मानना है कि सोलोगेमी समस्या का हल नहीं है बल्कि यह एक पितृसत्तात्मक समाज का प्रतीक है.

वो बात जो बदल रही है
अपने इतिहास के 300 साल में पहली बार सन 2018 में रॉयल स्पेनिश एकेडमी ने भाषा में ऐसी महिलाओं के लिए एक शब्द को प्रचलित कराया जो एक जैसे अनुभव और पसंद रखती हैं. यह शब्द 'सोरोरेटी' है.

माय कहती हैं, "जब हम महिलाएं एक जगह जुटती हैं तो ऐसा लगता है कि हम आइने के सामने खड़ी हैं."

"यह सोच कि महिलाएं एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी होती हैं, एक पितृसत्तात्मक समाज की उपज है जो चाहता है कि हम एकजुट न हो सकें."

"लेकिन वास्तव में बिल्कुल उलटा होता है. जब हम इकट्ठे होते हैं तो हम ताक़तवर होते हैं."

2017 में माय ने ऐसी महिलाओं का संगठन बनाया जो एक साथ मिलकर तैराकी करती थीं. इस संगठन की शुरुआत पर उसके सदस्यों की संख्या 14 थी. आज उनकी संख्या 140 है.

महिला अधिकारों पर काम करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे उपायों से महिलाओं को अपने अधिकार लेने में मदद मिलती है.

माय कहती हैं, "एक आह्वान है जो हमसे कहता है कि ख़ुद से प्यार करो, कि हमें दूसरे की तुलना में ख़ुद से अधिक प्यार करने की ज़रूरत है."

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"लेकिन लोग पूछते हैं कि हम ऐसा कैसे कर सकते हैं?"
"यह छोटे-छोटे काम है जिनसे आपको महसूस होगा कि आप अपना ख़्याल रख रहे हैं."

जिंकल कहती है कि कभी-कभी ऐसा करना मुश्किल होता है क्योंकि लोग इस बात को नहीं समझते और हम पर स्वार्थी होने का आरोप लगाते हैं.

"लेकिन हक़ीक़त यह है कि ख़ुद से शादी करने के बाद मेरा संबंध अपने पति और बच्चों से बेहतर हुआ है."

माय कहती हैं, "मैं जब आइना देखती हूं तो मुझे अच्छा लगता है. 11 साल पहले मैंने ख़ुद से जो वादा किया था, मैंने उसे पूरा किया है और मैं अब भी उस पर टिकी हुई हूं. मुझे विश्वास है कि मैं ख़ुश रहूंगी." (bbc.com/hindi)

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