अंतरराष्ट्रीय
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जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद साझा बयान जारी नहीं हो सका था.
ऐसा सदस्य देशों के मतभेदों के कारण हुआ था.
रूस और चीन ने अध्यक्षीय सारांश और आउटकम डॉक्यूमेंट के उन दो पैराग्राफ़ पर आपत्ति जताई थी, जिनमें यूक्रेन में जारी रूसी 'युद्ध' का ज़िक्र किया गया था.
अब चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस वार्ता में इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के पूछे सवाल के जवाब में माओ निंग ने कहा, "यूक्रेन के मुद्दे पर चीन का स्टैंड अब भी बदला नहीं है. अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहयोगी के लिए जी-20 एक अहम समूह है. बाली समिट के दौरान सदस्य देशों के नेताओं ने कहा था कि जी-20 सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को सुलझाने का मंच नहीं है."
चीनी प्रवक्ता ने कहा, "चीन का मानना है कि जी-20 देशों के नेताओं को आर्थिक सुधारों, स्थायित्व पर ध्यान देना चाहिए."
माओ निंग बोलीं, "हमने ये भी देखा कि जी-20 सदस्यों के यूक्रेन मुद्दे पर अलग-अलग विचार हैं. हम उम्मीद करते हैं कि जी-20 के सदस्य एक दूसरे की चिंताओं का सम्मान करेंगे और बँटवारे की बजाय एकता का संदेश देंगे."
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब साझा बयान पर सहमति नहीं बन पाई है. इससे पहले जी 20 देशों के वित्त मंत्रियों की जो बैठक हुई थी, उसमें भी रूस और चीन की आपत्ति के बाद साझा बयान जारी नहीं किया जा सका था.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "विवाद के कुछ मुद्दे थे. सीधे तौर पर मैं कहूंगा यूक्रेन संघर्ष को लेकर अलग-अलग राय थी. इस पर आम सहमति नहीं बन पाई क्योंकि अलग-अलग पक्षों में इसे लेकर मतभेद था. ग्लोबल साउथ के लिएकरने या मरने की स्थिति हो गई है क्योंकि इन देशों में खाने, तेल और खाद की कीमतें आसमान छू रही हैं. ये गंभीर मुद्दे हैं." (bbc.com/hindi)