अंतरराष्ट्रीय
नई दिल्ली, 29 अप्रैल । यूक्रेन के एक सैनिक कमांडर ने पाकिस्तान से मिले हथियारों की गुणवत्ता को 'घटिया' क़रार दिया है. इससे पहले किया गया वो दावा फिर से चर्चा में आ गया है कि पाकिस्तान ने रूस के साथ जारी लड़ाई में यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की है. रूस भी पाकिस्तान को लेकर ऐसा दावा कर चुका है.
हालांकि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने के रूस के दावे को फिर से ख़ारिज कर दिया है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में प्रवक्ता मुमताज़ ज़हरा बलोच ने बीबीसी से यूक्रेन को हथियार न देने का दावा किया है.
मुमताज़ ज़हरा बलोच के अनुसार, ''रूस और यूक्रेन के बीच की लड़ाई में पाकिस्तान का रुख़ हमेशा तटस्थ रहा है और उसने यूक्रेन को कोई हथियार नहीं दिए हैं.''
उन्होंने कहा है कि यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि अतीत में पाकिस्तान के यूक्रेन के साथ बेहतर रिश्ते रहे हैं.
क्या है पाकिस्तान का दावा?
बीबीसी के रक्षा संवाददाता जोनाथन बेल से बात करते हुए यूक्रेन की सेना की 17वीं टैंक ब्रिगेड के कमांडर वोलोदिमीर ने दावा किया है कि यूक्रेन के हथियार अब ख़त्म हो गए हैं और अब वो दूसरे देशों से मिले हथियारों पर निर्भर है.
उन्होंने बताया कि यूक्रेन की सेना को 'चेक गणराज्य, रोमानिया और पाकिस्तान' से हथियार और गोला-बारूद मिल रहे हैं.
वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज़ ज़हरा बलोच ने बीबीसी से हुई बातचीत में यूक्रेन की सेना के दावे को सिरे से ख़ारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान यूक्रेन-रूस की लड़ाई में तटस्थ है और उसने यूक्रेन को किसी तरह के हथियार या गोला-बारूद की सप्लाई नहीं की है.
उन्होंने कहा कि अतीत में पाकिस्तान के यूक्रेन के साथ अच्छे रक्षा संबंध रहे हैं, लेकिन वो हथियारों की आपूर्ति नहीं कर रहा है.
मालूम हो कि बीबीसी संवाददाता जोनाथन बेल अभी यूक्रेन में हैं और यूक्रेन की सेना की मुहिम पर वे अग्रिम मोर्चे से रिपोर्टिंग कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने यूक्रेन की सेना की 17 टैंक ब्रिगेड के कमांडर से बातचीत की.
इन कमांडर ने पाकिस्तान समेत दूसरे देशों से रॉकेट मिलने की बात कही, लेकिन उन्होंने शिकायत भी की कि पाकिस्तान से मिले रॉकेट अच्छी गुणवत्ता के नहीं हैं.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब यूक्रेन ने इस तरह के दावे किए हों. इससे पहले इस साल की जनवरी में यूक्रेन के कई मीडिया संस्थानों ने भी ऐसी ख़बरें प्रकाशित की थीं.
हालांकि, पाकिस्तान और यूक्रेन ने कभी भी हथियारों के किसी लेन-देन की आधिकारिक पुष्टि कभी नहीं की.
इस साल जनवरी में यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने बीबीसी को बताया था कि वे पाकिस्तान से हथियार मिलने की किसी ख़बर पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते.
क्या कहते हैं पाकिस्तान के रक्षा जानकार
पाकिस्तान के रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व रक्षा महासचिव (सेवानिवृत्त) नईम ख़ालिद लोधी ने बीबीसी को बताया कि इसमें कोई शक़ नहीं कि पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच पहले से अच्छे रक्षा संबंध रहे हैं.
लेकिन पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान की पुष्टि करते हुए उन्होंने भी कहा कि ऐसी कोई संभावना नहीं है कि पाकिस्तान ने इस युद्ध में यूक्रेन को किसी तरह का कोई हथियार मुहैया कराया होगा.
उन्होंने कहा कि अतीत में पाकिस्तान और यूक्रेन के बीच बख्तरबंद गाडियों, टैंकों और उनके पुर्जों का लेन-देन होता रहा है और उनके संबंध यहीं तक सीमित रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से यूरोप, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कई देशों को हथियारों का निर्यात करता रहा है, लेकिन उसने यूक्रेन को कभी हथियारों की आपूर्ति नहीं की.
हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि 'इसकी कभी आवश्यकता नहीं थी.'
यूक्रेनी सेना के कमांडर के दावे के बारे में उन्होंने कहा, ''मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि पाकिस्तान ने कभी भी यूक्रेन को हथियार या गोला-बारूद का निर्यात नहीं किया.''
जनरल नईम ख़ालिद लोधी ने कहा, ''लेकिन इस बात की संभावना हो सकती है कि पाकिस्तान से दूसरे देशों को निर्यात होने वाले हथियार और गोला-बारूद उन देशों से होकर यूक्रेन पहुंचे हों.''
मालूम हो कि यूरोप के कई देशों ने इस लड़ाई में यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की है.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही पाकिस्तान का रुख़ तटस्थ रहा है और 'हम जानते हैं कि ऐसा काम गुपचुप तरीके से नहीं किया जा सकता.''
यूक्रेनी सेना के कमांडर के 'घटिया' हथियार वाले बयान पर जनरल नईम ख़ालिद ने कहा, ''पाकिस्तान विश्व स्तर के हथियारों का उत्पादन करता है. इन हथियारों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार परीक्षण करने के बाद पाकिस्तान की सेना में शामिल किया जाता है.''
उन्होंने कहा, ''उनके इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि पाकिस्तान में बने हथियार 'घटिया' हैं. हालांकि, ये संभव है कि किसी देश से उन्हें मिले ये हथियार पुराने हो गए हों.''
उन्होंने कहा कि मल्टी-बैरल रॉकेट तोप के गोले की उम्र 8 से 10 साल होती है, लेकिन गोले के निचले हिस्से में पाए जाने वाले प्रोपेलेंट की उम्र केवल दो साल ही होती है.
जनरल नईम ख़ालिद ने कहा, ''मैंने ख़ुद इन रॉकेटों का परीक्षण किया है और ये पूरी क्षमता के साथ अपने निशाने पर लगे.'
पाकिस्तान-यूक्रेन रक्षा संबंधों का इतिहास
पाकिस्तान और यूक्रेन के रक्षा संबंध कम से कम तीन दशक पुराने हैं.
यूक्रेन ने एक रक्षा समझौते के तहत, 1997 से 1999 के बीच पाकिस्तान को 320 टी-80 टैंक बेचे थे. इस समझौते के कारण, भारत और यूक्रेन के सबंध कुछ सालों के लिए ख़राब भी हो गए थे.
हालांकि, यूक्रेन ने भारत और पाकिस्तान के बीच के संघर्ष में खुद को हमेशा तटस्थ रखते हुए उसने दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखा है.
यूक्रेन का सैन्य उद्योग पाकिस्तान के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहा है.
90 के दशक में पाकिस्तान को बेचे गए टैंकों की मरम्मत के लिए 2010 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था. उसके बाद नवंबर 2016 में, इन टैंकों की मरम्मत के लिए 60 करोड़ डॉलर के समझौते किए गए.
2017 में यूक्रेन की सेना के एक बयान में कहा गया था कि यूक्रेन के माल्शेव प्लांट ने पाकिस्तान में सैन्य टैंकों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया है. उस समझौते के तहत पाकिस्तान के 320 टैंकों की मरम्मत होनी थी.
फरवरी 2021 में, यूक्रेन ने एलान किया कि वो 8.6 करोड़ डॉलर की लागत से पाकिस्तान के टी-80 टैंकों की मरम्मत करेगा. और फिर जून 2021 में बताया कि उसने इस काम को शुरू कर दिया है. (bbc.com/hindi)