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ओड़िशा के गांव में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण, 1934 में की थी यहां की यात्रा
01-Jun-2023 1:02 PM
ओड़िशा के गांव में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण, 1934 में की थी यहां की यात्रा

केंद्रपाड़ा, 1 जून ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के धूमत गांव में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1934 में अपनी पदयात्रा के दौरान इस गांव में रुके थे।

केंद्रपाड़ा के विधायक और पूर्व मंत्री शशिभूषण बेहरा ने 30 मई, 1934 को गांधीजी की धूमत यात्रा की 89वीं वर्षगांठ के अवसर पर मंगलवार रात फाइबर से बनी इस प्रतिमा का अनावरण किया।

लोगों को 1934 की पदयात्रा के महत्व की याद दिलाने और स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी की भूमिका को रेखांकित करने के लिए, इंदुपुर की ग्राम पंचायत ने उनकी प्रतिमा का निर्माण कराया है। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आयोजन जिला स्वतंत्रता सेनानी संघ और जिला प्रशासन द्वारा किया गया था। गांधी 30 मई, 1934 को पदयात्रा के दौरान धूमत गांव में रुके थे।

महात्मा गांधी ने अपनी पदयात्रा के दौरान धूमत गांव में एक पत्थर पर बैठकर स्नान किया था। तब कुछ ग्रामीण पास की नदी से बाल्टियों में पानी लेकर आए और गांधीजी ने धूमत में पत्थर पर बैठकर स्नान किया।

यह पत्थर उसी स्थान पर संरक्षित है जहां महात्मा गांधी ने स्नान किया था। इस पत्थर के पास गांधी जी और स्वतंत्रता सेनानी उत्कलमणि गोपबंधु दास की प्रतिमा है।

धूमत के एक सेवानिवृत्त चिकित्सक डॉक्टर बिरंची नारायण जगदेव ने बताया, ‘‘हम भाग्यशाली हैं कि राष्ट्रपिता ने हमारे, नदी किनारे स्थित गांव का दौरा किया था। यहां के लोग स्नान के पत्थर (गांधी शिला) और उनके बैठने के स्थान की पूजा करते हैं।’’

जिले के एक सेवानिवृत्त शिक्षक भजकृष्ण राउत ने कहा, ‘‘गांधीजी की पदयात्रा देश के स्वतंत्रता संग्राम की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक थी। गांधी ने 1934 में ओडिशा में अपनी लंबी पैदल यात्रा के दौरान कुछ गांवों में दलितों को मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति दिलाई थी।’’

वर्ष 1934 की अपनी पदयात्रा के दौरान, महात्मा गांधी ने केंद्रपाड़ा जिले में पांच दिन बिताए थे और विभिन्न स्थानों का दौरा किया था।

केंद्रपाड़ा के शोधकर्ता डॉ. बासुदेव दास ने बताया कि गांधी के साथ मीरा बेन, गोपबंधु चौधरी, राजकृष्ण बोस, रमा देवी, एक जर्मन युवक के कुटो, उमा बजाज, बिनोद कानूनगो, सुरेंद्रनाथ पटनायक, मनमोहन चौधरी, जादूमणि मंगराज और कई अन्य लोग थे।

धूमत, इंदुपुर और आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों ने महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था।

डॉक्टर दास ने कहा कि महात्मा गांधी की याद में 1938 में फूस का एक आश्रम भी बनाया गया था। लेकिन अक्टूबर 1999 में आए चक्रवात में यह आश्रम पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। (भाषा) 

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