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बृजभूषण शरण सिंह: अयोध्या से क्यों उठा रहे हैं पॉक्सो एक्ट में संशोधन का मुद्दा?
02-Jun-2023 5:04 PM
बृजभूषण शरण सिंह: अयोध्या से क्यों उठा रहे हैं पॉक्सो एक्ट में संशोधन का मुद्दा?

अनंत झणाणें

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पांच जून को बृजभूषण शरण सिंह अयोध्या में संतों के साथ एक रैली करने जा रहे हैं.

बृजभूषण का कहना है कि पाक्सो क़ानून चरित्र हनन का हथियार बन गया है, इसमें संशोधन की ज़रूरत है.
अयोध्या के कई संत उनके समर्थन में उतरे हैं.
महिला पहलवानों ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया है.
उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे पहलवानों ने कई सप्ताह राजधानी में धरना दिया.

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उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने 18 मई को एलान किया कि वो पांच जून को अयोध्या के राम कथा पार्क में संतों और महापुरुषों के साथ जन चेतना महारैली करने जा रहे हैं.

यौन शोषण के आरोप का सामना कर रहे बृजभूषण ने 24 मई को एक फ़ेसबुक पोस्ट में संतों की इस महारैली का एजेंडा साझा किया.

इसे वो "पूज्य पीठाधीश्वर और पूज्य संतों की ओर से प्रस्तावित मांग का एक ज्ञापन" बताते हैं जिसे "अयोध्या के संतों के गहन चिंतन के बाद" बनाया गया है.

बृजभूषण: 'प्रताड़ना' से बचने के लिए करें पॉक्सो संशोधित

दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत बृजभूषण शरण सिंह पर नाबालिग के यौन शोषण का मुक़दमा दर्ज किया है.

इस पोस्ट में क़ानून को संशोधित करने की मांग करते हुए बृजभूषण लिखते हैं-

नाबालिगों को यौन शोषण से बचाने के लिए बड़े पवित्र उद्देश्य से लाया गया क़ानून पॉक्सो एक्ट आज समाज में चरित्र हनन और राजनीतिक षड्यंत्रोंं का उपकरण बनकर रह गया है. पॉक्सो समाज में कैंसर का रूप ले चुका है.
छेड़ने, घूरने या स्पर्श करने जैसे आरोप, जिनकी प्रामाणिकता स्वयं ही संदिग्ध रहती है, ऐसे मामलों में आरोप के आधार की जांच बिना किए व्यक्ति को अपराधी मानकर दंड देना न्यायोचित नहीं समझा जा सकता.
अभियुक्त को आरोप मात्र से अपराधी मानकर, (चाहे उसकी सच्चाई कुछ भी न हो...) उसकी स्वतंत्रता, उसका सम्मान और उसका पक्ष रखने का अधिकार छीन लेने को न्यायपूर्ण नहीं कहा सकता.
बृजभूषण ने सोशल मीडिया पर लिखा, "पॉक्सो क़ानून में परिभाषित स्थितियां विचारणीय हैं, इसलिए तत्काल प्रभाव से पॉक्सो क़ानून को संशोधित करने की ज़रूरत है. इसके साथ ही आरोप झूठा पाए जाने या अदालत में आरोप साबित न होने पर ग़लत आरोप लगाने वाले के लिए कड़ी सजा के सम्बन्ध में क़ानून बनाने की आवश्यकता है. साथ ही अभियुक्त को सुनवाई के दौरान अनुचित प्रताड़ना से बचाने पर गंभीर निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है."

सोमवार को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी के 85वें जन्मोत्सव के मद्देनज़र संतों ने एक सभा की थी और वहां आए संतों ने पांच जून की जन चेतना महारैली और पॉक्सो एक्ट को लेकर अपनी राय भी रखी.

अयोध्या स्थित पत्थर वाले मंदिर के महंत मनीष दास ने पॉक्सो एक्ट के बारे में कहा कि "बहन बेटियों की सुरक्षा सरकार का प्रथम कार्य है लेकिन एक विचार विमर्श की भी ज़रूरत है. क्योंकि जब मामला बड़े लोगों का होता है तो पुलिस उन्हें जल्दी अरेस्ट नहीं करती है. लेकिन छोटे लोगों से जुड़ी ऐसी बातें सामने आती हैं तो तुरंत गिरफ़्तारी हो जाती है. कुछ अंशों पर सरकार को ध्यान देने की ज़रूरत है.”

वो कहते हैं कि पांच जून को संतों की सभा में क़ानून के जानकार भी मौजूद होंगे.

पहलवानों की ओर से बृजभूषण पर लगाए गए आरोपों पर महंत मनीष दास कहते हैं, "एक पहलवान तो हर प्रकार से सक्षम होता है वह तो तुरंत विरोध कर सकता है. अब पांच-दस साल बाद कोई आरोप लगा रहा है तो यह एक प्रकार से कहीं ना कहीं प्रथम दृष्टया अनर्गल आरोप के रूप में ही दिखाई देता है."

बृजभूषण शरण सिंह भी अपने पक्ष में यही दलील देते हैं कि आरोप से जुड़ी घटनाएं पुरानी हैं और इसी प्रकार के सवाल उठाते हैं कि महिला पहलवानों ने ऐसा पहले क्यों नहीं कहा.

लेकिन यौन शोषण के मामलों में अदालतों का रुख़ साफ़ रहा है. अदालतों का का कहना है कि आरोप चाहें कितने ही पुराने हों, क़ानून की नज़र में उन्हें गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जाँच के प्रावधान हैं.

कृपालु मंगल भवन के महंत राम भूषण दास कहते हैं, "अयोध्या में ही बहुत सी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं कि तमाम ऐसी महिलाएं आ जाती है जो कहती हैं कि महाराज जी ने हमको छेड़ दिया. उसमें 376 लागू हो जाता है, महंत जी को उठाकर जेल में डाल दिया जाता है. इसके बाद मुक़दमा चलने में और उनके निर्दोष साबित होने में समय लगता है."

वे कहते हैं, "आम जनमानस इससे (पॉक्सो) पीड़ित है. हर गांव समाज में भी आप देखेंगे कि जगह-जगह यही धाराएं चल रही हैं."

 

विशाल रैली की तैयारी
लेकिन जानकारों का मानना है कि बृजभूषण शरण सिंह अयोध्या में “जन चेतना महारैली” आयोजित कर असल में शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं.

वो जानते हैं कि उनकी पार्टी और केंद्रीय नेतृत्व की निगाहें उनके हर कदम पर टिकी हुई हैं.

वो गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती और बलरामपुर ज़िलों में अपने कॉलेजों के माध्यम से वैसे ही बुनियादी तौर पर मज़बूत हैं और उन ज़िलों से होने वाली राजनीति पर प्रभाव डालते हैं.

तो क्या अब वो अपने गाँव विश्नोहरपुर से महज़ 20 किलोमीटर दूर स्थित अयोध्या में भी अपना परचम लहराना चाहते हैं?

जब वो गोंडा, बहराइच और श्रावस्ती ज़िलों में संतों और धर्मगुरुओं को पांच जून की महारैली का न्योता देने पहुंचे तो उन्होंने इस रैली में 11 लाख लोगों के शामिल होने का लक्ष्य बताया.

 

अयोध्या में क्यों कर रहे हैं शक्ति प्रदर्शन?
लंबे समय से अयोध्या और गोंडा की राजनीति कवर करती आ रही उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ पत्रकार सुमन गुप्ता कहती हैं, "अयोध्या में बृजभूषण ने छात्र संघ की राजनीति से शुरुआत की थी, उन्होंने अवध विश्वविद्यालय के सबसे बड़े महाविद्यालय से छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव जीता था."

गोंडा से पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी बताते हैं, "1990 में आडवाणी जी राम मंदिर आंदोलन की रथ यात्रा लेकर आए. माना जाता है कि बृज भूषण शरण सिंह उस रथ यात्रा की ड्राइविंग सीट पा गए थे. उसी वकेत से आडवाणी जी से उनकी निकटता हो गई थी. फिर राम मंदिर आंदोलन हुआ, उसमें इनकी भी भूमिका सामने आई."

बाद में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और अन्य नेताओं के साथ ब्रजभूषण शरण सिंह भी बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बरी हो गए.

गोंडा से बृजभूषण का मुखर विरोध करने वाले स्थानीय वकील रवि प्रकाश बताते हैं, "आडवाणी जी से निकटता को देखते हुए ब्रजभूषण को टिकट मिल गया और हिन्दू जनता ने भाजपा के नाम पर इनको सांसद बना दिया."


अयोध्या पर बृजभूषण की पकड़ का अंदाज़ा आप इससे भी लगा सकते हैं कि जब इस साल अप्रैल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अयोध्या दौरे पर आए तो बृजभूषण दोनों के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए नज़र आए.

बृजभूषण की ज़िन्दगी में अयोध्या की अहमियत समझाते हुए पत्रकार सुमन गुप्ता कहती हैं, "बृजभूषण अयोध्या में आस्था का बड़ा केंद्र माने जाने वाले हनुमान गढ़ी मंदिर से भी जुड़े हैं. वो वहां भोजन भंडारा कराते हैं, महंतों के पैर छूते हैं, उनका आदर सत्कार करते हैं."

"वो नृत्य मणिराम छावनी के नृत्यगोपाल दास के क़रीबी माने जाते हैं. वह अयोध्या के बड़े-बड़े स्थानों जैसे लक्ष्मण किले के महंत मैथली रमण शरण के भी क़रीबी हैं."


बृज भूषण ने अप्रैल में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस को अयोध्या के प्रसिद्द हनुमान गाढ़ी का दर्शन कराया

वरिष्ठ पत्रकार सुमन गुप्ता कहती हैं कि बृजभूषण शरण सिंह अयोध्या से चुनाव भी लड़ना चाहते थे लेकिन उ्हें वहां से टिकट नहीं मिला.

वो बताती हैं, "बृजभूषण सोचते हैं कि अयोध्या उनके लिए बहुत अच्छा क्षेत्र है और इसलिए वो काफी दिनों से इस इलाक़े में निवेश कर रहे हैं. जहां तक टिकट का सवाल है तो अगर मोदी या योगी दोनों में से कोई अयोध्या से नहीं लड़ना चाहता है तो वो ये सीट इनको दे सकते हैं. कोई समस्या नहीं है."

लेकिन यौन शोषण के आरोपों के मद्देनज़र अगर भाजपा अयोध्या से बृजभूषण को लोकसभा का टिकट देती है तो क्या उसका उसका ग़लत मैसेज नहीं जाएगा?

सुमन गुप्ता पूछती हैं, "इतने लोग हैं, किसके ऊपर आरोप नहीं है? अगर यह मैसेज देना होता तो सरकार उनके ख़िलाफ़ कोई ठोस कार्रवाई करती? सरकार ने क्या कार्रवाई की? दिखाने के लिए ही सही कोई कार्रवाई होती तो पता चलता. मैसेज तो इससे जाता है ना कि आप किसके साथ खड़े हैं."

भाजपा के ज़िला अध्यक्ष संजीव सिंह कहते हैं कि न तो बृजभूषण का अयोध्या से कोई लेना-देना है और न ही इस कार्यक्रम का भाजपा से कोई नाता है.

संजीव सिंह बताते हैं कि आधिकारिक रूप से भाजपा का बृजभूषण शरण सिंह की पांच जून को संतों की महारैली के कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है.

वो कहते हैं, "व्यक्तिगत संबंधों के तौर पर कोई जा रहा है तो पार्टी उसका विरोध नहीं कर रही. वो माननीय सांसद का कार्यक्रम है. और जब पार्टी औपचारिक तौर पर उसके बारे में कुछ कहेगी तो पार्टी के लोग उस बारे में चिंता करेंगे."

अयोध्या में भाजपा की राजनीति पर बृजभूषण शरण सिंह के प्रभाव के बारे में संजीव सिंह कहते हैं, "बृजभूषण गोंडा के रहने वाले हैं और अयोध्या की राजनीति से उनका कोई मतलब नहीं है. व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर वो किसी की मदद करते होंगे. लेकिन पार्टी संगठन के आधार पर अयोध्या और गोंडा की राजनीति अलग-अलग है."

अयोध्या में बृजभूषण के प्रति पार्टी के रवैये के बारे में पत्रकार सुमन गुप्ता कहती हैं कि अयोध्या में भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता बृजभूषण के साथ नहीं हैं.

वो कहती हैं, "लेकिन इनको (बृजभूषण को) अपना शक्ति प्रदर्शन करना है. मेरे हिसाब से उन्हें यह साबित करना है कि इनको यह दिखाना है कि आरोपों के बावजूद अयोध्या जैसे धार्मिक संस्थान में हमारी कितनी पूछ है."

सुमन गुप्ता आने वाले दिनों की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए कहती हैं, "अब यह देखना है कि पांच जून को अयोध्या के राम कथा कुंज में मुख्यमंत्री योगी इनकी मीटिंग होने देते हैं या नहीं."  (bbc.com/hindi)

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