अंतरराष्ट्रीय

तुर्की के भूकंप क्षेत्र में एस्बेस्टस छिपा हुआ है
11-Oct-2023 12:34 PM
तुर्की के भूकंप क्षेत्र में एस्बेस्टस छिपा हुआ है

डीडब्ल्यू की एक विशेष जांच में भूकंप के बाद तुर्की में एस्बेस्टस के खतरों के बारे में पता चला है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ यहां रह रहे लोगों को लेकर बहुत चिंतित हैं.

  डॉयचे वैले पर सेरदार वारदार,पेलिन यूंकेर की रिपोर्ट- 

दक्षिणी तुर्की के हाताय शहर में, कर्मचारी अभी भी उन इमारतों को नष्ट कर रहे हैं जो 6 फरवरी, 2023 को आए भूकंप में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थीं. भूकंप में हजारों लोगों की मौत हुई थी. पीले रंग की बड़ी मशीनें मलबे के ढेर को हटाती हैं, जिससे शहर में धूल के बादल छा जाते हैं.

कुछ बच्चे फुटबॉल खेलने के लिए जगह ढूंढ़ रहे हैं और इसके लिए वे मलबे के बीच से गुजरते हैं. जैसे ही वे सांस लेते हैं, वास्तव में वे एक साइलेंट किलर: एस्बेस्टस को अपने अंदर ले रहे होते हैं.

डीडब्ल्यू के तुर्की और पर्यावरण डेस्क की एक विशेष जांच के मुताबिक, जहरीली निर्माण सामग्री ने प्रमुख कृषि क्षेत्र में पौधों, मिट्टी और मलबे को दूषित कर दिया है. यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करता है.

टर्किश चैंबर ऑफ एंवायर्नमेंटल इंजीनियर्स की एक विशेषज्ञ टीम ने हाताय में धूल के नमूने इकट्ठा किए, जिनका डीडब्ल्यू के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला एजीटी वोंका इंजीनियरिंग एंड लेबोरेटरी सर्विसेज द्वारा विश्लेषण किया गया. जांच में पता चला है कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर एस्बेस्टस मौजूद है, हालांकि आधिकारिक तौर पर एस्बेस्टस की मौजूदगी से इनकार किया गया है.

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डीडब्ल्यू को बताया कि भूकंप प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों, जिनमें हजारों बच्चे भी शामिल हैं, को फेफड़े और गले में एस्बेस्टस से जुड़े कैंसर का गंभीर खतरा है. यही नहीं, एस्बेस्टस की वजह से लोगों में एक बेहद घातक कैंसर मेसोथेलियोमा होने का भी जोखिम है.

डीडब्ल्यू की जांच के शुरुआती प्रयोगशाला परिणामों को देखने के बाद सार्वजनिक और व्यावसायिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ और डॉक्टर ओजकान कान कराडाग कहते हैं, "आने वाले वर्षों में, मेसोथेलियोमा की वजह से हजारों युवा लोगों की मौत हो सकती है.”

भूकंप के मलबे की सफाई के दौरान एस्बेस्टस का खतरा बढ़ जाता है
किसी समय एस्बेस्टस का इस्तेमाल इतनी ज्यादा चीजों को बनाने में होता था कि इसे एक तरह से चमत्कारिक सामग्री के तौर पर देखा जाता था लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ‘पक्के कार्सोजेनिक' के रूप में वर्गीकृत किया है यानी एक ऐसा पदार्थ जो निश्चित तौर पर कैंसर का कारण बनता है.

लेकिन तुर्की में अभी भी एस्बेस्टस निर्माण सामग्री कई ऐसी इमारतों में पाई जाती है जो कि 2010 से पहले बनी थीं. 2010 में तुर्की में एस्बेस्टस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि ऐसी इमारतों की संख्या कितनी है, यह स्पष्ट नहीं है.

अक्सर छतों, फुटपाथों और इन्सुलेशन्स में पाई जाने वाली ये सामग्री जब टूट जाती हैं, तो एस्बेस्टस बहुत सूक्ष्म आकार में टूट सकता है जो दिखता नहीं है लेकिन हवा के जरिए ये दूर तक फैल सकता है और फिर सांस के जरिए लोगों के शरीर में पहुंच जाता है. 6 फरवरी को आए भूकंप में हाताय सहित 11 शहरों में करीब एक लाख इमारतें नष्ट हो गईं. दो लाख से ज्यादा इमारतें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गईं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दो सप्ताह बाद आए छोटे भूकंपों के साथ-साथ 116 मिलियन से लेकर 210 मिलियन टन तक मलबा निकला. यह मलबा इतना ज्यादा था कि मैनहट्टन शहर के करीब दोगुने आकार के क्षेत्र को कवर करने के लिए पर्याप्त है.

तमाम मजदूर अभी भी क्षतिग्रस्त इमारतों को नष्ट कर रहे हैं और मलबा हटा रहे हैं, वो भी अक्सर बिना मास्क और दूसरे सुरक्षात्मक उपकरणों के. यही नहीं, कई बार तो मलबे से उड़ने वाली धूल को थामने करने की भी कोशिशें नहीं की जा रही हैं, मसलन- पानी का छिड़काव वगैरह. ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान डीडब्ल्यू टीम की ने धूल को पानी से दबाने का केवल एक मामला देखा.

यूनियन ऑफ चैंबर्स ऑफ टर्किश इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट्स जैसे संगठनों का कहना है कि भूकंप के बाद बेतरतीब विध्वंस, मलबा हटाने और कचरा निपटान प्रक्रियाओं से उत्पन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरों के बारे में उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज किया जा रहा है.

इन चेतावनियों के जवाब में, पर्यावरण, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के तत्कालीन उप मंत्री मेहमत एमिन बीरपिनार ने जून में सोशल मीडिया पर लिखा था कि हवा में कोई एस्बेस्टस नहीं था. उन्होंने कहा, "भूकंप क्षेत्र में हमारे नागरिक निश्चिंत हो सकते हैं. हम एस्बेस्टस पर बहुत सावधानी से काम कर रहे हैं.”

इनकार के बावजूद डीडब्ल्यू ने एस्बेस्टस की मौजूदगी का खुलासा किया
लेकिन हाताय के छह अलग-अलग इलाकों से लिए गए जिन 45 नमूनों का डीडब्ल्यू ने विश्लेषण किया है उनके नतीजे आधिकारिक बयानों से मेल नहीं खाते.

बेतरतीब ढंग से लिए गए सोलह नमूनों में एस्बेस्टस की मौजूदगी पाई गई. ये नमूने भूकंप से बेघर हुए लोगों के तंबुओं के शीर्ष से इकट्ठा की गई धूल, पत्तियों, फलों, मिट्टी और मलबे से इकट्ठा की गई धूल से लिए गए थे.

हाताय से करीब 200 किलोमीटर दूर गाजियांटेप शहर में, डीडब्ल्यू ने अपनी किराये की कार की छत से धूल का आखिरी नमूना लिया. नमूने में एस्बेस्टस पाया गया. टीम ने दो दिन पहले कार धोने के बाद हाताय जाने के लिए गाजियांटेप छोड़ने से पहले एक नियंत्रण नमूना लिया था और उस नमूने में एस्बेस्टस नहीं था.

विशेषज्ञों ने डीडब्ल्यू को बताया कि इससे पता चला कि कैसे रेशेदार सामग्री वाहनों से चिपक सकती है और लंबी दूरी तय कर सकती है.

एस्बेस्टस के संपर्क से जुड़े कैंसर को सामने आने में कई दशक लग सकते हैं. हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, क्षेत्र में धूल की घनी परतें पहले से ही स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं, जिससे बच्चों को काफी खतरा है.

पंद्रह वर्षीय लिमर यूनुसोग्लू और उनका परिवार युद्ध से बचने के लिए सीरिया से तुर्की भाग गया. भूकंप के बाद वे मलबे के ढेर के पास तंबू में चले गए. उनका भाई अब बीमार है.

यूनुसोग्लू कहते हैं, "मेरा भाई धूल की वजह से बीमार हो गया. हम उसे अस्पताल ले जाते हैं और वे उसे ऑक्सीजन देते हैं. लेकिन जब हम यहां वापस आते हैं तो धूल की वजह से उसकी तबीयत फिर खराब हो जाती है. कभी-कभी वह पूरे सप्ताह सोता है.”

समुद्र तट से करीब 50 किलोमीटर दूर एक व्यापारी ने डीडब्ल्यू को बताया कि धूल उसे और उसके परिवार को भी बीमार बना रही है. उनकी दुकान के बगल के खंडहर में, इलेक्ट्रॉनिक सामानों से लेकर एस्बेस्टस युक्त इन्सुलेशन सामग्री तक, बहुत सारा कचरा पड़ा हुआ है. खुद उनकी बांहों और पेट पर उभरे लाल धब्बे दिख रहे हैं.

वो कहते हैं, "हम सभी की नाक और मुंह धूल से भरे हुए हैं. हमारे घर, हमारे तंबू, हमारे घरों के सामने, हमारी कारें सभी धूल से भरी हैं. यही कारण है कि हमारे बच्चे और हम, हमारी मां और पिता सभी बीमार हैं.”

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ कराडाग कहते हैं कि बिना स्वास्थ्य निगरानी के अध्ययन के ये निर्धारित करना मुश्किल है कि क्षेत्र में कितने लोग प्रभावित हैं. वो कहते हैं, "आधिकारिक बयान यह दावा करते हैं कि लोग प्रभावित नहीं हैं लेकिन ऐसा करना सिर्फ समस्या पर पर्दा डालना है.”

एस्बेस्टस के खतरे से निपटने के लिए सामुदायिक प्रयास तेज हो गए हैं
अप्रैल महीने में, हाताय बार एसोसिएशन और पर्यावरण और स्वास्थ्य संगठनों ने शहर में ध्वस्तीकरण और उससे जुड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए मुकदमा दायर किया, लेकिन मामला पांच महीने बाद भी लंबित है.

हाताय बार एसोसिएशन के एसेविट अल्कन उन वकीलों में से एक हैं जो कचरा हटाने के प्रचलित खराब तरीकों के खिलाफ लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. धूल से वह भी बीमार पड़ चुके हैं. वो कहते हैं, "अल्कन ने शहर में इस्तेमाल होने वाले सभी मलबे के डंप क्षेत्रों का नक्शा तैयार करने में मदद की, क्योंकि अधिकारियों ने जानकारी सार्वजनिक नहीं की है."

वह डीडब्ल्यू को एक साइट दिखाते हैं जो एक हाई स्कूल के साथ-साथ भूकंप पीड़ितों के लिए कंटेनर शहर और खेती के लिए एक सिंचाई नहर के करीब स्थित है. हाताय देश के उपजाऊ इलाके का हिस्सा है. यहां अजवाइन और चार्ड की खेती होती है और यहां से ये कृषि उपज पूरे देश में पहुंचाई जाती है.

अल्कान कहते हैं, "इसलिए इस जगह को मलबे के ढेर के रूप में इस्तेमाल करना इंसानों और पर्यावरण दोनों के लिए बहुत जोखिम भरा है.”

डीडब्ल्यू के लिए धूल के नमूने इकट्ठा करने में मदद करने वाले पर्यावरण इंजीनियर उटकु फिरात कहते हैं कि इमारतों को ध्वस्त करने से पहले एस्बेस्टस सामग्री को हटाकर खतरे को कम किया जा सकता था. फिरात ने अधिकारियों और विध्वंस करने वाली कंपनियों के बारे में कहा, "वे ऐसा करने में न सिर्फ विफल रहे, बल्कि वे अभी भी मलबा ले जाने वाले वाहनों को तिरपाल से भी नहीं ढकते. इससे भी बहुत मदद मिलती.”

हालांकि अब तक हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन कुछ सुरक्षा उपायों को लागू करके कम से कम लिमर यूनुसोग्लू और उसके भाई जैसे लोगों के लिए कुछ खतरों को तो कम किया ही जा सकता है.

फिरात कहते हैं, "क्षेत्र में लोगों और मजदूरों को मास्क वितरित किए जाने चाहिए और उन्हें इसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. धूल से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में आवासीय इकाइयों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें दूसरी जगह ले जाया जाना चाहिए.”

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि समस्या का मुख्य समाधान यही है कि पहले तो समस्या को स्वीकार किया जाए और फिर घातक सामग्री को सुरक्षित तरीके से निपटाया जाए. (dw.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news