अंतरराष्ट्रीय
नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर। इजराइल और हमास के मध्य जारी युद्ध के बीच कई विपक्षी नेताओं ने सोमवार को फलस्तीन के राजदूत अदनान अबू अल हायजा से मुलाकात कर फलस्तीनी जनता के प्रति एकजुटता प्रकट की और गाजा पर इजराइली बमबारी की निंदा करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाना चाहिए।
फलस्तीनी राजदूत ने उम्मीद जताई कि इजराइल और फलस्तीन दोनों का मित्र होने के कारण भारत तेल अवीव पर दबाव बनाएगा कि वह गाजा की ‘घेराबंदी’ खत्म करे और लोगों तक मानवीय सहायता पहुंचने दे।
विपक्षी नेताओं ने एक संयुक्त बयान में यह भी कहा कि 1967 की सीमाओं के आधार पर एक स्वतंत्र फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना होनी चाहिए, क्योंकि यह इजराइल-फलस्तीन संघर्ष का न्यायसंगत और स्थायी समाधान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली, कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर, जनता दल (यूनाइटेड) के नेता के सी त्यागी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी सहित कई विपक्षी नेताओं के एक समूह ने फलस्तीन की जनता के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए सोमवार को यहां फलस्तीनी दूतावास पहुंचकर फलस्तीन के राजदूत हायजा से मुलाकात की।
विपक्ष के इन नेताओं ने जो साझा बयान जारी किया है, उस पर कुल 15 नेताओं के हस्ताक्षर हैं। इनमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा भी शामिल हैं।
विपक्षी नेताओं से मुलाकात के बाद फलस्तीनी राजदूत अल हायजा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में उम्मीद जताई कि कि भारत सरकार दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थ बनकर "अच्छी भूमिका" निभा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत दोनों पक्षों का मित्र है। उम्मीद है कि वह फलस्तीनी लोगों की हत्या को रोकने, घेराबंदी खत्म करने और 22 लाख लोगों को पानी, भोजन, ईंधन, दवा और बिजली की मानवीय सहायता देने के लिए इजराइली सरकार पर दबाव डालेगा।’’
त्यागी ने कहा कि फलस्तीन के लोगों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए फलस्तीन के राजदूत से मिलना ऐसे समय में समान विचारधारा वाले नेताओं का निर्णय था।
उन्होंने कहा कि गाजा पट्टी में पानी और बिजली की आपूर्ति बंद करके इजराइल उन्हें मरने के लिए मजबूर कर रहा है।
बसपा सांसद दानिश अली ने कहा कि नेताओं का रुख भारत सरकार के उस रुख के अनुरूप है कि एक स्वतंत्र फलस्तीनी राष्ट्र होना चाहिए।
इन नेताओं ने अपने साझा बयान में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि हिंसा कोई समाधान नहीं है, क्योंकि यह विनाश और पीड़ा को जन्म देती है। इसलिए हम संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वरा प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।’’
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसको लेकर दबाव डालना चाहिए, इज़राइल को अन्तरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करना चाहिए और फ़लस्तीनी लोगों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।’’
विपक्षी नेताओं के इस समूह ने कहा, ‘‘ हम क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए गहन राजनयिक प्रयासों और बहुपक्षीय पहल का आह्वान करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम गाजा में चल रहे संकट और फलस्तीनी लोगों की पीड़ा के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। हम इजराइल द्वारा गाजा में फलस्तीनियों पर बमबारी की कड़ी निंदा करते हैं। हमारा मानना है कि यह नरसंहार के प्रयास के समान है। हम निर्दोष लोगों की मौतों और घरों एवं बुनियादी ढांचे की तबाही को रोकने के लिए सभी तरह की शत्रुता पर विराम लगाने का आग्रह करते हैं।’’ उनके मुताबिक, ‘‘ हम गाजा के लोगों को मानवीय सहायता की तत्काल और निर्बाध आपूर्ति का आह्वान करते हैं। यह मानवीय स्थिति तत्काल ध्यान और कदम उठाने की मांग करती है।’’
विपक्षी नेताओं के समूह ने कहा कि वे महात्मा गांधी के इस कथन पर दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि फलस्तीन अरबों का उसी तरह है, जैसे इंग्लैंड अंग्रेजों का या फ्रांस फ्रांसीसियों का है।
गाजा से हमास के चरमपंथियों के इजराइली शहरों पर हमले और उसके बाद इजराइल से जवाबी कार्रवाई के बाद पश्चिम एशिया में हिंसा बढ़ गई है।
हमास के हमलों का बदला लेने के लिए इजराइल ने गाजा में बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की है। इस संघर्ष में अब तक 2600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। (भाषा)