अंतरराष्ट्रीय
जेम्स लैंडेल, कूटनीतिक संवाददाता
कूटनीति में बातचीत ज़रूरी होती है और तरक्की के लिए भरोसा चाहिए होता है. लेकिन ग़ज़ा के अल-अहली अस्पताल में धमाके से जो बर्बादी हुई है, उसका मतलब है कि अब वहां दोनों ही बातें कम हैं.
राष्ट्रपति बाइडन अरब नेताओं से आमने-सामने की बातचीत के लिए जॉर्डन के दौरे पर नहीं जा रहे हैं. उन्हें एयर फोर्स वन से ही अब इन नेताओं से बातचीत के लिए फोन करना होगा.
इसका ये भी मतलब है कि वे सिर्फ़ इसराइल के दौरे पर हैं. मतलब ये कि उनकी पूरी यात्रा असंतुलित लग रही है.
ऐसा करके राष्ट्रपति बाइडन मुमकिन है कि एक लक्ष्य हासिल कर लें, वो ये कि हमास के बर्बर हमले के बाद इसराइल के प्रति अमेरिकी समर्थन का इजहार करना.
लेकिन उनका दूसरा टास्क कूटनीतिक गतिरोध को तोड़ना है, जिसमें कहीं ज़्यादा मुश्किल आएगी.
एक युद्ध प्रभावित क्षेत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति का दौरा कोई आम बात नहीं है और अमेरिका की योजना बाइडन के इस दौरे से इसराइल को ग़ज़ा में मानवीय सहायता हेतु रास्ता देने के लिए मनाने का है.
ताकि आम लोगों के लिए सुरक्षित क्षेत्र बनाए जा सकें. इसके लिए इतना भरोसा तो पैदा करना होगा जिससे बातचीत के लिए थोड़ी गुंजाइश बन सके और अरब देशों की मध्यस्थता से बंधकों की रिहाई के बारे में बात हो सके.
लेकिन बढ़े हुए तनाव के बीच इन सब की संभावना कम लग रही है. (bbc.com/hindi)