अंतरराष्ट्रीय
-शुमाइला जाफ़री
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने एवेनफील्ड और अल-अज़ीज़ा मिल केस में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की प्रोटेक्टिव बेल दो दिन के लिए बढ़ा दी है.
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो से कहा है कि वह अपने चेयरमैन से जाकर पूछे कि क्या एनएबी इस मामले को आगे लेकर जाना चाहती है. एनएबी इस मामले में मुख्य शिकायतकर्ता है.
साल 2019 में पाकिस्तान छोड़ने से पहले नवाज़ शरीफ़ को इन मामलों में क्रमश: दस और सात साल की सज़ा सुनाई गई थी.
नवाज़ शरीफ़ तोशाख़ाना मामले में भी वॉंटेड हैं और भगौड़ा घोषित किए गए थे.
लेकिन नवाज़ शरीफ़ आज सुबह जज के सामने पेश हुए जिसके बाद कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ जारी अरेस्ट वॉरंट निलंबित किया. इसके साथ ही अदालत ने इस मामले की सुनवाई 20 नवंबर से शुरू करने का फ़ैसला किया है.
नवाज़ शरीफ़ को इस मामले में फौरी राहत मिल गयी है लेकिन उन पर गिरफ़्तारी की तलवार अभी भी लटक रही है.
बीबीसी के कोर्ट रिपोर्टर शहज़ाद मलिक के मुताबिक़, अदालत में माहौल 2017-18 की तुलना में काफ़ी अलग था. नवाज़ शरीफ़ के बरी होने के लिए क़ानूनी आधार हैं. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ बदला हुआ सरकारी रुख कई सवाल खड़े करेगा. इस मामले की तुलना इमरान ख़ान के साथ भी की जाएगी क्योंकि उन्होंने भी तोशाख़ाना मामले में जमानत याचिका दायर की थी जिसे अस्वीकार कर दिया गया है.
नवाज़ शरीफ़ चार साल तक विदेश में रहने के बाद बीती 21 अक्टूबर को पाकिस्तान पहुंचे हैं. अदालत ने उन्हें इन मामलों में भगोड़ा घोषित किया हुआ था.
अगर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ इन मामलों में खुद को बरी साबित कराने में सफल हो पाते हैं तो वह चुनाव लड़ने के साथ-साथ प्रधानमंत्री बनने में भी सक्षम होंगे. (bbc.com/hindi)