अंतरराष्ट्रीय
आइसलैंड में प्रधानमंत्री काटरीन याकब्सडोटीयर समेत लाखों महिलाओं ने मंगलवार को काम करने से इनकार कर दिया है.
इसकी वजह तनख़्वाह में लैंगिक आधार पर असमानता और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध होना बताई जा रही है.
महिलाओं ने वेतन की असमानता और जेंडर आधारित हिंसा के विरोध में मंगलवार को काम करने से इनकार किया है.
आइसलैंड में महिलाएं अधिकतर स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में काम करती हैं. साल 1975 के बाद से पहली बार महिलाएं पूरे दिन की हड़ताल पर गई हैं.
आइसलैंड की प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैं इस दिन काम नहीं करूंगी और मैं उम्मीद करती हूं कि सभी महिलाएं (कैबिनेट में) ऐसा ही करेंगी.''
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस बात पर गौर कर रही है कि परंपरागत रूप से पुरुषों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों की तुलना में महिला-प्रधान व्यवसायों को कितना महत्व दिया जाता है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रैंकिंग में लैंगिक समानता के मामले में आइसलैंड 14 सालों तक दुनिया में सबसे बेहतर देश रहा है. लेकिन, यहां पूरी तरह समानता नहीं है क्योंकि फोरम ने इसे 91.2 फीसदी स्कोर दिया था.
इससे पहले 1975 में आइसलैंड की 90 प्रतिशत महिला कर्मचारी हड़ताल पर चली गई थीं. उनकी मांग थी कि अर्थव्यवस्था में महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाए.
इस हड़ताल के बाद अगले साल देश की संसद में समान वेतन से जुड़ा क़ानून पारित किया गया था. (bbc.com/hindi)