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वरिष्ठ गीतकार जावेद अख़्तर ने निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की फ़िल्म एनिमल की व्यावसायिक सफलता को समाज के लिए 'ख़तरनाक' ट्रेंड बताया है.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में जावेद अख़्तर ने बिना इस फ़िल्म का नाम लिए हुए कहा कि परेशान करने वाले दृश्यों वाली फ़िल्मों का सफल होना अच्छा नहीं है.
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि आज की घड़ी युवा फ़िल्मकारों के लिए परीक्षा की है, वो इसलिए कि वो किस तरह का चरित्र गढ़ें कि समाज उसे सराहे."
अख़्तर के अनुसार, "उदाहरण के लिए, यदि किसी फ़िल्म में कोई आदमी किसी औरत से कहे कि वो उसके जूते चाटे या आदमी किसी औरत को थप्पड़ मारने को ठीक कहे और वो फ़िल्म सुपर डुपर हिट हो, तो कहना चाहिए कि ये समाज के लिए ख़तरनाक है."
वे बिना नाम लिए एनिमल फ़िल्म के एक सीन की ओर इशारा कर रहे थे.
कई आपत्तिजनक और हिंसक दृश्यों के लिए एनिमल फ़िल्म की आलोचना हुई है और इसे महिला विरोधी करार दिया गया है.
एनिमल फ़िल्म के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल से जावेद अख्तर को जवाब दिया गया और कहा गया- आप जैसा बड़ा लेखक भी आशिक के खाए धोखे को समझ नहीं पाया. अगर यही काम किसी लड़की ने किया होता तो आप इसे फेमिनिज्म कहकर जश्न मना रहे होते.
हालांकि तमाम आलोचनाओं के बावजूद यह फ़िल्म कमाई के मामले में लगातार नए रिकॉर्ड कायम कर रही है. इसने अब तक पूरी दुनिया में 900 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार कर लिया है. (bbc.com/hindi)