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विधान मंडलों में अनुशासन की कमी से लोकतंत्र पर नकारात्मक प्रभाव : बिरला
09-Jan-2024 8:27 PM
विधान मंडलों में अनुशासन की कमी से लोकतंत्र पर नकारात्मक प्रभाव : बिरला

भोपाल, 9 जनवरी । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायी संस्थाओं के समय का उपयोग जनता के कल्याण के लिए करने का परामर्श देते हुए कहा है कि विधान मंडलों में अनुशासन और शालीनता की कमी और सदस्यों के अमर्यादित आचरण से विधानमंडल की गरिमा कम होती है, जिससे लोकतंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मध्य प्रदेश विधानसभा में विधानसभा सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि विधान मंडल गंभीर बहस और चर्चा के महत्वपूर्ण मंच हैं, मतभेद होने पर सभा के कामकाज में बाधा नहीं आने देनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना प्रत्येक विधायक का दायित्व है कि विधायी संस्थाओं के समय का उपयोग सार्थक रूप से जनता के कल्याण के लिए हो। विधान मंडलों में अनुशासन और शालीनता की कमी और सदस्यों के अमर्यादित आचरण से विधानमंडल की गरिमा कम होती है, जिससे लोकतंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक जनप्रतिनिधि राष्ट्र की आशाओं और आकांक्षाओं का रक्षक है। जनता अपने बेहतर भविष्य के लिए जनप्रतिनिधियों पर विश्वास करती है।

मध्य प्रदेश विधानसभा में विधानसभा सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, उत्तरप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित मंत्रीगण उपस्थित थे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि मध्य प्रदेश की जनता से नवनिर्वाचित विधायकों को मिले जनादेश से उन्हें विशेष रूप से महिलाओं और कमजोर वर्गों की सामाजिक, आर्थिक प्रगति के लिए रचनात्मक प्रयास करने की जिम्मेदारी मिली है। विधायकों और जनप्रतिनिधियों के रूप में अपनी भूमिका के साथ पूर्ण न्याय करने के लिए विधायकगण को विधानसभा के नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी होना आवश्यक है।

मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकसभा के प्रभावी संचालन से संसदीय परम्परा को समृद्ध बनाने के साथ-साथ लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया है, उन्हें लोकसभा में कई नए आयाम स्थापित करने का गौरव भी प्राप्त है। यह अपेक्षा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के गरिमावान सदस्यों से प्रदेश की विधानसभा की प्रतिष्ठा पूरे देश में बढ़ेगी। विधायकों के लिए आवश्यक है‍ कि अपनी बात रखते समय उनका जोश दिखे, परंतु क्रोध पूरी तरह से नियंत्रण में हो।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विषय में रूचि उत्पन्न करना और विषय से एकाकार कराने का मार्ग प्रशस्त करना ही प्रबोधन का उद्देश्य है। उन्होंने व्याकरणाचार्य महर्षि पाणिनी का उद्धरण देते हुए कहा कि आशा है कि प्रबोधन कार्यक्रम के बाद विधानसभा विधायकगण का प्रशिक्षण भी आयोजित करेगी और विधानसभा के विभिन्न दायित्वों संबंधी कार्यप्रणाली से विधायकगण को अवगत कराएगी। (आईएएनएस)

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