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-दिलीप कुमार शर्मा
भारत में असम एक ऐसा राज्य है, जहां 27 लाख से अधिक लोग चाहकर भी अपना आधार कार्ड नहीं बनवा पा रहे हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ख़ुद इस बात को मानते हैं कि आधार कार्ड के बिना सैकड़ों लोगों को सरकार की योजनाओं का फ़ायदा नहीं मिल पा रहा है.
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया के दौरान राज्य के क़रीब 27 लाख लोगों के बायोमीट्रिक लॉक हो गए थे. इस कारण इन लोगों को अब तक आधार कार्ड नहीं मिल पाया है.
हिमंत बिस्वा सरमा लोकसभा चुनाव की तारीख़ों के एलान के ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को गुवाहाटी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.
सरमा ने कहा, "सीएए लागू हो चुका है. यह सही समय है, जब हम स्वदेशी और वास्तविक लोगों को आधार कार्ड दे सकते हैं. क़रीब 14 हज़ार स्वदेशी असमिया लोगों के नाम एनआरसी में नहीं है. आधार के बिना छात्रों को भी दिक्कत आ रही है."
उन्होंने कहा, "अब हम वास्तविक नागरिकों के लिए इसकी प्रक्रिया शुरू करेंगे. एक सटीक प्रक्रिया के लिए ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और अन्य पक्षों से चर्चा करूंगा. हमें उम्मीद है कि चुनाव के तुरंत बाद कोई समाधान निकल आएगा."
क्या है मामला?
एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट को अपडेट करने के दौरान लगभग 27 लाख लोगों का बायोमीट्रिक डेटा लिया गया था.
उस समय जिन लोगों का बायोमीट्रिक लिया गया था, उनसे कहा गया था कि आधार कार्ड उनके पते पर भेज दिया जाएगा, लेकिन आज भी हज़ारों लोग आधार केंद्रों के चक्कर लगा रहे हैं.
ऐसा कहा जा रहा है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) द्वारा एनआरसी को अब तक नोटिफाई नहीं करने से इन सभी लोगों का बायोमीट्रिक लॉक है.
ऐसे में जब भी कोई व्यक्ति आधार केंद्र में आधार कार्ड का आवेदन करता है तो बायोमीट्रिक लॉक होने के कारण उनका आवेदन ख़ारिज हो जाता है. (bbc.com/hindi)