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गाज़ा में युद्ध को लेकर मुस्लिम नेताओं ने बाइडन की इफ्तार दावत का निमंत्रण ठुकराया
03-Apr-2024 11:11 AM
गाज़ा में युद्ध को लेकर मुस्लिम नेताओं ने बाइडन की इफ्तार दावत का निमंत्रण ठुकराया

वाशिंगटन, 3 अप्रैल। गाज़ा में जारी जंग के कारण अमेरिका में मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से आयोजित होने वाले रोज़ा इफ्तार (व्रत तोड़ने) के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है।

इसके बाद व्हाइट हाउस ने मंगलवार शाम को छोटी इफ्तार दावत का आयोजन करने का फैसला किया है जिसमें सिर्फ प्रशासन में काम करने वाले लोग ही शामिल होंगे।

मुस्लिम पैरोकार समूह ‘एमगैज’ की अगुवाई करने वाले वाइल अल ज़ायत ने पिछले साल व्हाइट हाउस में आयोजित इफ्तार में हिस्सा लिया था लेकिन उन्होंने इस बार बाइडन के साथ रोज़ा खोलने से यह कहते हुए इनकार कर दिया, “ जब गाज़ा में भुखमरी के हालात हों तो इस तरह से दावत में शिरकत करना अनुचित है।”

उन्होंने कहा कि कई लोगों द्वारा निमंत्रण को अस्वीकार करने के बाद व्हाइट हाउस ने सोमवार को अपनी योजना बदली और समुदाय के नेताओं से कहा कि वह प्रशासन की नीतियों पर केंद्रित एक बैठक का आयोजन करना चाहते हैं। अल ज़ायत ने इससे भी इनकार कर दिया।

कई अमेरिकी-मुस्लिम गाज़ा की घेराबंदी को लेकर इज़राइल का समर्थन करने के लिए बाइडन से खफा हैं।

राष्ट्रपति की डेमोक्रेटिक पार्टी को इस बात का डर सता रहा है कि बाइडन के लिए मुस्लिमों का कम होता समर्थन रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी का रास्ता प्रशस्त कर सकता है।

मंगलवार को होने वाली इफ्तार दावत में बाइडन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, सरकारी मुस्लिम अधिकारी, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अधिकारी और कई मुस्लिम नेता शामिल हो सकते हैं। हालांकि व्हाइट हाउस ने उनके नाम नहीं बताए हैं।

जिन कुछ लोगों को पिछले वर्षों में आयोजित कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया था, उन्हें इस बार निमंत्रण नहीं दिया गया है जिनमें डियरबॉर्न, मिशिगन के मेयर अब्दुल्ला हम्मूद शामिल हैं।

प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे ने कहा कि "समुदाय के नेताओं ने कार्य समूह की बैठक" करने के लिए कहा था। उन्होंने इस बैठक को "उनसे प्रतिक्रिया प्राप्त करने" का अवसर बताया।

जहां तक निजी इफ्तार की बात है, ज्यां-पियरे ने कहा "राष्ट्रपति रमज़ान के दौरान मुस्लिम समुदाय की मेज़बानी करने की अपनी परंपरा को जारी रखने जा रहे हैं।"(एपी)

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