अंतरराष्ट्रीय
वाशिंगटन, 10 अप्रैल प्रवासी भारतीयों के एक प्रमुख संगठन ने अमेरिकी सरकार की विभिन्न एजेंसियों, विश्वविद्यालयों और छात्र संघों से हाल के महीनों में भारतीय मूल के छात्रों की मौत की घटनाओं में वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए काम करने का आग्रह किया है।
फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (एफआईआईडीएस) के एक विश्लेषण में पाया गया कि इन घटनाओं के कारणों में संदिग्ध गोलीबारी/अपहरण, सुरक्षा जानकारी के अभाव में पर्यावरण संबंधी मौतें (मोनोऑक्साइड विषाक्तता, हाइपोथर्मिया), आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले मानसिक मुद्दे और संदिग्ध दुर्घटनाओं से लेकर हिंसक अपराध तक शामिल हैं।
एफआईआईडीएस ने कहा कि अधिकारियों को सुरक्षा शिक्षा बढ़ानी चाहिए, खोज और बचाव प्रक्रियाओं में सुधार करना चाहिए, भारतीय विद्यार्थियों के साथ रैगिंग के खिलाफ सख्त नियम लागू करना चाहिए; जोखिमों और सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करनी चाहिए।
वर्ष 2024 की शुरुआत से अब तक भारत से अमेरिका आए और भारतीय-मूल के कम से कम छह छात्रों की मौत हो चुकी है।
पिछले महीने से लापता एक 25-वर्षीय भारतीय छात्र इस सप्ताह अमेरिकी शहर क्लीवलैंड में मृत पाया गया था।
पिछले हफ्ते ओहायो में एक भारतीय छात्र उमा सत्य साई गड्डे की मौत हो गई और पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पिछले महीने, भारत के 34-वर्षीय प्रशिक्षित शास्त्रीय नर्तक अमरनाथ घोष की मिसौरी के सेंट लुइस में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
पिछले महीने, वाणिज्य दूतावास ने बोस्टन में 20-वर्षीय भारतीय छात्र अभिजीत पारुचुरू की मौत के बारे में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था। कनेक्टिकट में रहने वाले पारुचुरू के माता-पिता जांचकर्ताओं के सीधे संपर्क में थे और उनकी मौत की शुरुआती जांच में किसी भी तरह की साजिश से इनकार किया गया था।
पर्ड्यू विश्वविद्यालय में 23-वर्षीय भारतीय-अमेरिकी छात्र समीर कामथ पांच फरवरी को इंडियाना में एक संरक्षित क्षेत्र में मृत पाया गया था।
दो फरवरी को, भारतीय मूल के आईटी कार्यकारी विवेक तनेजा (41) को वाशिंगटन में एक रेस्तरां के बाहर हमले के दौरान जानलेवा चोटें आईं।
एक अन्य त्रासदी में, 25-वर्षीय भारतीय छात्र विवेक सैनी को जॉर्जिया में एक बेघर नशेड़ी ने पीट-पीटकर मार डाला।
अमेरिका में भारतीय छात्रों की दुखद मौतों में बढ़ोतरी ने भारत-अमेरिकी समुदाय के साथ-साथ भारतीय आबादी के बीच महत्वपूर्ण चिंताएं बढ़ा दी हैं।
दस से अधिक विद्यार्थियों की मौत से संबंधित डेटा इकट्ठा करने वाली बोस्टन की डॉ. लक्ष्मी थलांकी ने कहा, ‘‘भारतीय छात्रों की मौत की घटनाओं में अचानक वृद्धि चिंताजनक और संदिग्ध है।’’
एफआईआईडीएस ने विदेश विभाग, न्याय विभाग, शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालयों, छात्र संगठनों के साथ-साथ भारत-अमेरिकी समुदाय को विभिन्न सिफारिशें सौंपीं।
एफआईआईडीएस में नीतियों और रणनीति मामलों के प्रमुख खांडेराव कांड ने कहा, ‘‘हालांकि उनकी (भारतीय विद्यार्थियों की) मौतों में हालिया वृद्धि चिंताजनक है और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो अमेरिकी विश्वविद्यालयों की सुरक्षा को लेकर भारतीयों का भरोसा डगमगाएगा, जिससे छात्रों की आमद पर और असर पड़ सकता है।’’
एफआईआईडीएस ने भारतीय-अमेरिकी छात्रों की चिंताओं और सुरक्षा से संबंधित एक सर्वेक्षण शुरू करने की भी घोषणा की। (भाषा)