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ग़ज़ा के लोगों की ईद कैसी बीती
11-Apr-2024 9:05 AM
ग़ज़ा के लोगों की ईद कैसी बीती

BBC

रफ़ा सीमा पर रह रहे फ़लस्तीनीयों ने बीबीसी अरबी के शो 'ग़ज़ा लाइफ़लाइन' में बात की है और बताया है कि बीते साल की ईद और इस साल की ईद उनके लिए कितनी अलग है.

हारून अल-मेदललका कहना है कि "दर्द, बर्बादी, विस्थापन और लगातार गोलाबारी के बावजूद, हम लोग जीवन से प्यार करने वाले लोग हैं."

रफ़ा के एक शेल्टर होम में रहने वाले हारून ने बताया कि कुछ फ़लस्तीनी महिलाएं कुकीज़ बना रही हैं. वे उन अनाथ बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश कर रही हैं जिन्होंने इसराइल के हमलों में अपने माता-पिता और घरवालों को खो दिया है.

अला-अल-एद्दाह भी बीबीसी को बताते हैं कि रिकॉर्ड संख्या में लोगों के मारे जाने के कारण "हर कोई इस ईद पर दुखी है."

वह कहते हैं, पहले वे "ईद की बधाई देने के लिए रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाते थे और बच्चे खुशियाँ मनाते थे," लेकिन अब वो लोग "विस्थापन में रह रहे हैं."

हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि वे मज़बूत रहेंगे, ईद मनाएंगे, रिश्तेदारों को बुलाएंगे और उन लोगों से मिलेंगे जिनके अपने मारे गए हैं.

आज ईद के मौके पर दक्षिणी ग़ज़ा में रहने वाले कई लोग अपने लोगों की कब्रगाह पर जा रहे हैं तो कई लोगों ने नमाज़ अदा दी .

बीबीसी पत्रकार ने मैं दक्षिणी शहर राफा में रह रही 40 साल की एक महिला एल्हाम से बात की.

एल्हम का घर अब मलबे का ढेर बन गया है, केवल एक कमरा है जो बमबारी से बच गया और उसका परिवार अब उसी में रहता है.

रफ़ा में 15 लाख फ़लस्तीनियों ने शरण ले रखी है.

बीबीसी पत्रकार ने उनसे पूछा- क्या वो इस साल ईद मना रहे हैं और अगर हां तो कैसे?

उन्होंने बताया, "हमारी कोई ईद नहीं है, कोई नए कपड़े नहीं हैं, त्योहार की कोई झलक नहीं है."

"यह युद्ध में शहीद हुए हमारे बच्चों के लिए आंसुओं से भरा बहुत दुखद दिन है, मेरी बहन के बच्चे भी मारे गए हैं."

रमज़ान का महीना ईद के त्योहार के साथ खत्म होता है. लेकिन ग़ज़ा में हालात बद से बदतर होते जा रहा हैं.

ग़ज़ा में भुखमरी की स्थिति है, एल्हाम बताती हैं कि वह खाने का इंतज़ाम नहीं कर पा रही हैं.

वो कहती हैं, "मेरे पास खुद के लिए खाना नहीं है. मेरे बच्चों ने थोड़ा ब्रेड और चीज़ खाया है लेकिन मैंने खाना नहीं खाया."

नबील सामी अल-सरौरा 10 साल के हैं. वह इस माहौल में भी सकारात्मक रहने की कोशिश करते हैं. उनका कहना है कि युद्ध और डर के बावजूद, वह "दुनिया के बाकी बच्चों की तरह ईद की खुशी मनाएंगे."

वे कहते हैं, "पिछले साल की ईद ख़ुशियों से भरी थी, लेकिन इस बार युद्ध और लगातार बमबारी के कारण डर ही डर फैला है." (bbc.com/hindi)

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