राष्ट्रीय

यूपी में अजीब स्थिति में फंस गई है निषाद पार्टी
12-Apr-2024 12:43 PM
यूपी में अजीब स्थिति में फंस गई है निषाद पार्टी

लखनऊ, 12 अप्रैल। उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद को वह तो मिल गया, जो वह चाहते थे, लेकिन जैसा वह चाहते थे, वैसा नहीं मिला। उनके बेटे प्रवीण निषाद को बीजेपी ने संत कबीर नगर से लगातार दूसरी दफा चुनावी मैदान में उतारा है।

बीजेपी ने निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद को भी भदोही से बीजेपी उम्मीदवार बनाया है।

हालांकि, बीजेपी ने संजय निषाद की पार्टी को अपना चुनाव चिन्ह नहीं दिया।

संजय निषाद ने कहा, "लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी के लिए एक वकील का होना अनिवार्य है। प्रवीण निषाद सांसद हैं, लेकिन वह बीजेपी से हैं।"

जबकि भाजपा ने एक सीट, घोसी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) को दी है और अपना दल के लिए दो सीटें रखी हैं। लेकिन निषाद पार्टी को कुछ नहीं दिया है।

दिलचस्प बात यह है कि जहां संजय निषाद को 2021 में भाजपा द्वारा विधान परिषद के लिए नामांकित किया गया और बाद में मंत्री बनाया गया, वहीं, उनके बेटे प्रवाण निषाद ने 2018 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर उपचुनाव में गोरखपुर लोकसभा सीट जीती।

2019 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा करने के बाद निषाद पार्टी इससे बाहर हो गई और भाजपा के साथ चली गई, जिसके टिकट पर प्रवीण ने उसी वर्ष संत कबीर नगर सीट जीती।

उनके छोटे बेटे श्रवण निषाद 2022 में भाजपा के टिकट पर चौरी चौरा से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।

इसलिए तकनीकी तौर पर अपने दोनों बेटों के बीजेपी में होने के कारण संजय निषाद बीजेपी से अपनी हिस्सेदारी मांगने की स्थिति में नहीं हैं।

भाजपा ने अपने सहयोगियों के लिए पांच सीटें छोड़ी हैं - राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और अपना दल (एस) के लिए दो-दो और एसबीएसपी के लिए एक।

56 वर्षीय संजय निषाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण मिशन और शक्ति मूर्ति महासंग्राम जैसे संगठनों की स्थापना से की और फिर निषाद एकता परिषद का गठन किया।

उन्होंने 2013 में निषाद पार्टी की स्थापना की और 2017 में भदुरिया के ज्ञानपुर से विधायक बने।

 (आईएएनएस)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news