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छत्तीसगढ़: सबसे बड़ी नक्सली मुठभेड़ को कैसे दिया गया अंजाम
18-Apr-2024 12:46 PM
छत्तीसगढ़: सबसे बड़ी नक्सली मुठभेड़ को कैसे दिया गया अंजाम

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने नक्सली विरोधी अभियान को किस तरह से सफल बनाया जिसमें 29 नक्सली मारे गए.

   डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट- 

16 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने इलाके के सबसे बड़े नक्सल विरोधी ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए. सुरक्षाबलों ने इस ऑपरेशन को बहुत बारीकी से अंजाम दिया.

मंगलवार को बस्तर क्षेत्र के कांकेर जिले के गहरे जंगलों में माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच अब तक की सबसे बड़ी मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में 29 माओवादी मारे गए. मारे गए नक्सलियों में 50 लाख रुपये से अधिक का इनाम रखने वाले वरिष्ठ कैडर शामिल हैं.

इस मुठभेड़ के होने के दो दिन बाद इस ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी मीडिया में सामने आ रही है. इन जानकारियों से पता चल रहा है कि सुरक्षाबलों ने कैसे ऑपरेशन को सफलता के साथ अंजाम दिया और खुद को कम से कम जोखिम में डाला.

खुफिया जानकारी और रात को ट्रैकिंग
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 200 सुरक्षाकर्मियों की एक टीम ने रात के अंधेरे में अबूझमाड़ के पहाड़ी इलाके में 50 किलोमीटर से कुछ कम की दूरी तय की.

ट्रेक करते हुए वे एक पहाड़ी की चोटी पर गए. जहां वे सीपीआई (माओवादी) के दो डिवीजनल कमेटी के सदस्यों समेत 29 नक्सलियों को घेरने में कामयाब रहे.

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का अबूझमाड़ वन क्षेत्र है और यह नक्सलियां का गढ़ माना जाता है, यहां तक सुरक्षाबलों आ जाना वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ राज्य की लड़ाई में एक मील का पत्थर है.

इंडियन एक्सप्रेस ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा कि मुठभेड़ से पहले सबसे बड़ी चुनौती 200 मीटर से 550 मीटर के बीच अलग-अलग ऊंचाई की पांच या छह पहाड़ियों पर अंधेरे में चलना था.

ऑपरेशन का हिस्सा रहे एक सूत्र ने अखबार से कहा, "कलपर पहाड़ी तक पहुंचने से पहले हम कम से कम 48 किलोमीटर चले, जहां से माओवादी केवल दो किलोमीटर दूर थे. फिर हमने पहाड़ी को घेर लिया और एक घेरा बना लिया. नक्सलियों के पास भागने का कोई रास्ता नहीं था, उन्हें पता था कि वे फंस गए हैं."

इस सूत्र ने आगे कहा, "उन्होंने हम पर फायरिंग की और हमने जवाबी कार्रवाई की. हमारे तीन लोगों को चोटें आईं, लेकिन सावधानीपूर्वक योजना के कारण हम हताहत होने से बचने में सफल रहे. हम इस क्षेत्र से अच्छी तरह परिचित थे, जिससे मदद मिली."

बुधवार को मीडिया से बात करते हुए बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि यह पिछले तीन दशकों में सबसे बड़ी मुठभेड़ है. उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी से लेकर अब तक 79 नक्सली मारे गए हैं और नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है.

चार घंटे चली मुठभेड़
सुंदरराज ने कहा कि मंगलवार दोपहर नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई थी, जो करीब चार घंटे चली. उन्होंने कहा, "डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की टीमों ने इलाके की घेराबंदी करते हुए सर्च अभियान छेड़ा, ऑपरेशन के बाद 29 नक्सलियों के शव बरामद हुए." पुलिस के मुताबिक इनमें 15 महिला नक्सलियों के शव हैं.

मारे गए नक्सलियों में शंकर राव और ललिता शामिल हैं, जो सीपीआई (माओवादी) के डिविजनल कमेटी के सदस्य थे. दोनों की गिरफ्तारी पर 25-25 लाख रुपये का इनाम था और साइट पर उनकी मौजूदगी की विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर यह ऑपरेशन चलाया गया था.

यह मुठभेड़ लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले हुई है, जबकि बस्तर में शुक्रवार को मतदान होगा. कांकेर में 26 अप्रैल को मतदान होगा. हर चुनावी मौसम की तरह इस बार भी अबूझमाड़ में माओवादियों ने ग्रामीणों से चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार करने के लिए कहा है. नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार करने के लिए क्षेत्र में पोस्टर और बैनर लगाए हैं. (dw.com)

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