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नयी दिल्ली, 18 अप्रैल उच्चतम न्यायालय द्वारा चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द किए जाने के बाद से राजनीतिक दलों को धन देने का मामला चर्चा में है और ऐसे में पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी ने एक राष्ट्रीय कोष स्थापित करने की वकालत की है।
कुरैशी ने कहा कि इस राष्ट्रीय कोष में कार्पोरेट जगत के लोग दान कर सकेंगे और फिर इससे धन दलों के उनके पिछले चुनाव में प्रदर्शन के हिसाब से दिया जाए।
कुरैशी ने कहा कि चुनाव के लिए पैसा देने के बजाय राजनीतिक दलों को धन देना बेहतर विकल्प होगा क्योंकि इससे दलों की संगठनात्मक जरूरतों को पूरा करने और राजनीतिक क्रियाकलापों में मदद मिलेगी।
उन्होंने ‘‘पीटीआई वीडियो’’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि जब 2017 में चुनावी बॉण्ड योजना लाई गई थी तब इसमें पारदर्शिता की बात कही गई थी लेकिन इसने उस पारदर्शिता को भी ‘‘नष्ट’’ कर दिया जो उस वक्त तक मौजूद थी।
कुरैशी जुलाई 2010 से जून 2012 के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त थे। उन्होंने कहा,‘‘ याद कीजिए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली का भाषण जिसकी शुरुआत उन्होंने यह कहते हुए की थी कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले धन की पारदर्शिता के बिना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ यह सुनना हमारे लिए मधुर था क्योंकि हम भी कब से यही कह रहे थे। उनका दूसरा वाक्य भी बेहतरीन था कि पिछले 70 वर्ष में हम पारदर्शिता नहीं ला सके हैं...।’’
कुरैशी ने कहा,‘‘ और हमें उम्मीद थी कि उनका तीसरा वाक्य यह होगा कि अब हम पारदर्शिता लाएंगे और इस तरह से लाएंगे।’’
कुरैशी ने कहा, ‘‘ लेकिन उन्होंने उस समय तक मौजूद सभी पारदर्शिता को खत्म कर दिया। जो पारदर्शिता बची वह यह थी कि 20,000 रुपये से अधिक के प्रत्येक दान की सूचना निर्वाचन आयोग को दी जाती थी।’’
कुरैशी ने कहा कि दान देने वाले बहुत होशियार और चतुर हैं, वे सभी दलों को दान देते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप राष्ट्रीय चुनाव कोष में दान देते हैं तो वहां से दलों को पैसा वितरित किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक कॉर्पोरेट दान को 100 प्रतिशत आयकर राहत जैसे प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं (भाषा)